Iceland erupted again: "आग और बर्फ की भूमि" के नाम से मशहूर देश आइसलैंड एक बार फिर ज्वालामुखी विस्फोट (Volcanic eruption) से दहल गया है। बुधवार सुबह 3:54 बजे, दक्षिण-पश्चिम आइसलैंड के रेक्जेनेस प्रायद्वीप पर ज़मीन से मैग्मा निकला और लावा फूट पड़ा, जिससे पृथ्वी की पपड़ी फट गई। सुबह के अंधेरे में नारंगी और पीले रंग के लावा के प्रवाह से दृश्य जगमगा उठा।
यह घटना 2021 के बाद से आइसलैंड में 12वाँ ज्वालामुखी विस्फोट है। इसे 'दरार विस्फोट' इसलिए कहा जाता है क्योंकि लावा किसी एक ज्वालामुखी से नहीं, बल्कि ज़मीन में मौजूद लंबी दरारों से निकलता है।
इन विस्फोटों का मुख्य कारण आइसलैंड की भौगोलिक स्थिति है। यह देश मध्य-अटलांटिक रिज पर स्थित है, जो एक समुद्री पर्वत श्रृंखला है, जहाँ उत्तरी अमेरिकी और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटें अलग-अलग दिशाओं में गति कर रही हैं। इन प्लेटों की दैनिक गति के कारण मैग्मा ऊपर उठता है और नई पपड़ी का निर्माण होता है। परिणामस्वरूप, आइसलैंड में अक्सर ज्वालामुखी विस्फोट होते रहते हैं।
आइसलैंड में एक हॉटस्पॉट भी है, जो पृथ्वी के मेंटल का एक गर्म भाग है जो अंदर से ऊपर उठता है। जब टेक्टोनिक प्लेटें इस हॉटस्पॉट के ऊपर से गुजरती हैं, तो ज्वालामुखियों की एक श्रृंखला बनती है। हवाई द्वीप समूह में भी यही हुआ। आइसलैंड में, ये दोनों चीजें एक साथ मिलकर ज्वालामुखी विस्फोटों को और भी तीव्र और लगातार बना देती हैं।
इन विस्फोटों में ग्लेशियर की बर्फ का प्रभाव भी एक भूमिका निभाता है। जब बर्फ की परत के नीचे ज्वालामुखी फटता है, तो मैग्मा और बर्फ की परत की ठंडक आपस में मिलकर प्रतिक्रिया करती है और भयंकर विस्फोट का कारण बनती है। ठंडा होते ही लावा तुरंत फूट पड़ता है, जिससे राख और चट्टानें उड़ती हैं। इसके अलावा, पिघली हुई बर्फ 'जोकुलहाप्स' नामक एक भयानक बाढ़ का कारण बन सकती है।
यदि हम इतिहास पर नज़र डालें, तो आइसलैंड में ज्वालामुखी 9वीं शताब्दी से सक्रिय हैं। 1783 के लाकी विस्फोट और 2010 के आइजाफ्याल्लाजोकुल विस्फोट ने न केवल आइसलैंड को बल्कि यूरोप और दुनिया की जलवायु और विमानन को भी प्रभावित किया।
दिलचस्प बात यह है कि रेक्जाविक प्रायद्वीप, जहाँ यह सब हो रहा है, 800 वर्षों से निष्क्रिय था। लेकिन 2021 में, मैग्मा फिर से ऊपर उठने लगा। तब से, 12 विस्फोट हो चुके हैं, जिनमें से 9 अकेले दिसंबर 2023 के बाद हुए हैं।
इन विस्फोटों ने आइसलैंड के सामने चुनौतियों को तो बढ़ाया है, लेकिन अवसर भी प्रस्तुत किए हैं। इस भूमिगत ऊष्मा का उपयोग भूतापीय ऊर्जा में किया जाता है, जिससे देश के 90 प्रतिशत घरों को गर्म किया जाता है और 25 प्रतिशत बिजली पैदा की जाती है। 400,000 की आबादी वाला यह देश अमेरिका के केंटकी के आकार का है, लेकिन यहाँ 30 से ज़्यादा सक्रिय ज्वालामुखी हैं।
इस प्राकृतिक आश्चर्य ने आइसलैंड को ज्वालामुखी पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बना दिया है, जो हर साल मैक्सिको, ग्वाटेमाला, सिसिली, इंडोनेशिया और न्यूजीलैंड से हजारों साहसिक पर्यटकों को आकर्षित करता है।
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Tue, Jul 22 , 2025, 09:12 PM