Rudrabhishek on Shravan Shivratri: श्रावण व्रतियों का महीना है। इस महीने में कई धार्मिक उत्सव (Religious festivals) आते हैं। इसलिए इस महीने का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस महीने में भगवान शिव की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। चौथे महीने में पृथ्वी का शासन महादेव के अधीन होता है। इसलिए महादेव की पूजा का विधान बताया गया है। भगवान शिव (Lord Shiva) को रुद्राभिषेक बहुत प्रिय है। अगर विधि-विधान से रुद्राभिषेक किया जाए तो कुंडली के दोष कम हो जाते हैं। साथ ही भक्तों की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसी भावना है कि रुद्राभिषेक से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। शास्त्रों में वर्णित इस श्लोक का अर्थ है कि महादेव सभी दुखों का नाश करते हैं। ऐसा माना जाता है कि रुद्राभिषेक करने से कुंडली के दोष दूर हो जाते हैं। श्रावण मास 25 जुलाई से शुरू हो रहा है। साथ ही, 21 अगस्त को इसी महीने की शिवरात्रि है। इस शिवरात्रि को श्रावणी शिवरात्रि (Shravani Shivaratri) कहा जाता है।
रुद्राभिषेक कैसे करें? जानिए विधि
रुद्राभिषेक शुरू करने से पहले भगवान गणेश का अभिषेक करें। पुष्प, नैवेद्य, दूर्वा आदि अर्पित करें। अन्य देवताओं का आह्वान करें और नवग्रह पूजा करें। फिर भगवान शिव का ध्यान करें। एक बेलपत्र लें और उस पर ॐ लिखकर शिवलिंग पर अर्पित करें। अभिषेक करने के लिए जल में गंगाजल, दूध, गन्ने का रस आदि मिलाएँ। रुद्री का पाठ करें। फिर श्रृंगी में जल मिलाकर धीरे-धीरे शिवलिंग का अभिषेक करें। रुद्राष्टाध्यायी का जाप करें। यदि आपको रुद्राष्टाध्यायी नहीं आती है, तो ॐ नमः शिवाय का जाप करें।
रुद्राभिषेक के क्या लाभ हैं?
धर्मशास्त्र में महादेव का रुद्राभिषेक करने के अनेक लाभ बताए गए हैं। रुद्र से भगवान शिव का अभिषेक करने से सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं, साथ ही धन की प्राप्ति होती है। यह बुरी नज़र और तंत्र-मंत्र से रक्षा करता है। नकारात्मकता दूर होती है। शिव रुद्राभिषेक करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है। रुद्राभिषेक करने से कुंडली के सभी दोष दूर हो जाते हैं।
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Tue, Jul 22 , 2025, 09:05 PM