Cancer: 2008 के बाद पैदा हुई पीढ़ी खतरे में? भारतीय बच्चों को 'इस' जानलेवा कैंसर का ज़्यादा ख़तरा, विशेषज्ञों का चौंकाने वाला दावा!

Sat, Jul 19 , 2025, 10:30 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Cancer: कैंसर एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन गया है। यह सिर्फ़ उम्र से जुड़ी समस्या नहीं है, बल्कि अब छोटे बच्चों में भी इसका ख़तरा बढ़ रहा है। कुछ साल पहले तक कैंसर को बुज़ुर्गों की बीमारी या समस्या माना जाता था। हालाँकि, हालिया शोध के अनुसार, अब 20 साल से कम उम्र के बच्चों में भी कैंसर के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं।

आपने इंटरनेट या सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी कई खबरें सुनी होंगी। बॉलीवुड इंडस्ट्री में भी कई लोगों को कैंसर जैसी समस्या का सामना करना पड़ा है। इस संबंध में 'नेचर जर्नल' में एक अहम और कुछ हद तक चौंकाने वाली रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट से पता चला है कि भारत समेत कई एशियाई देशों में कम उम्र में 'पेट का कैंसर' (गैस्ट्रिक कैंसर) बढ़ रहा है।

शोध के अनुसार, अनुमान है कि 2008 से 2017 के बीच दुनिया भर में पैदा हुए लगभग 15.6 मिलियन बच्चों को अपने जीवनकाल में पेट का कैंसर होगा। इनमें से ज़्यादातर लोग एशिया, खासकर भारत में हैं।

हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (एच. पाइलोरी) नामक जीवाणु इस कैंसर का मुख्य कारण है। यह जीवाणु पेट को संक्रमित करता है और धीरे-धीरे गैस्ट्रिक कैंसर का कारण बनता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि भारत में 16 लाख से ज़्यादा लोगों को पेट के कैंसर का खतरा है और इनमें से 76 प्रतिशत मामले एच. पाइलोरी के कारण हो सकते हैं।

क्या लक्षणों को नज़रअंदाज़ करने से जोखिम बढ़ जाता है?
पेट के कैंसर का अक्सर देर से पता चलता है क्योंकि इसके लक्षण आम पाचन समस्याओं जैसे ही होते हैं, जैसे: पेट फूलना, अपच, भूख न लगना, वज़न कम होना, खाने के बाद पेट दर्द। इन लक्षणों को नज़रअंदाज़ करने से बीमारी बढ़ सकती है और इलाज मुश्किल हो सकता है।

भारत और चीन में सबसे ज़्यादा ख़तरा
शोध से पता चला है कि भारत और चीन को मिलाकर 65 लाख से ज़्यादा संभावित गैस्ट्रिक कैंसर के मरीज़ हो सकते हैं। अकेले भारत में, अगले कुछ वर्षों में यह संख्या 16.57 लाख तक पहुँच सकती है।

क्या करें?
समय पर जाँच करवाएँ, अगर पाचन संबंधी समस्याएँ बार-बार होती हैं तो उन्हें नज़रअंदाज़ न करें, स्वच्छता बनाए रखें और दूषित पानी और भोजन से बचें। एच. पाइलोरी संक्रमण की जाँच करवाएँ और उचित उपचार लें। तंबाकू और शराब जैसी आदतों से बचें।

आखिरकार, क्या ज़रूरी है?
कैंसर सिर्फ़ बुज़ुर्गों तक सीमित बीमारी नहीं है। इसलिए, युवाओं, अभिभावकों और आम जनता का सतर्क रहना ज़रूरी है। उचित जाँच, स्वच्छता और जीवनशैली में बदलाव लाकर हम समय रहते इस गंभीर बीमारी से बच सकते हैं।

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