Shravan 2025 : बेलपत्र या जल, शिवलिंग पर पहले क्या चढ़ाएँ? कैसे करें पूजा? जानें पूरी जानकारी!

Tue, Jul 15 , 2025, 09:05 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Worshiping Shivling: श्रावण मास शुरू होने में बस कुछ ही दिन बचे हैं। श्रावण मास शिव शंकर के भक्तों के लिए एक उत्सव है। इस वर्ष श्रावण 25 जुलाई से शुरू हो रहा है। श्रावण मास (Shravan month) में लाखों शिव भक्त अपने आराध्य शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत, जप और अभिषेक करते हैं। श्रावण में प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव शंकर के मंदिरों में भीड़ रहती है। कई भक्त शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाते नज़र आते हैं। भक्त इसके लिए जल्दी में होते हैं। लेकिन अक्सर हमारे मन में यह सवाल आता है कि शिवलिंग पर पहले जल चढ़ाएँ या बेलपत्र। आज हम इसका उत्तर जानने जा रहे हैं।

शिव मंदिर जाकर शिवलिंग की पूजा (worshiping Shivling) करने के कुछ नियम हैं। जिन्हें हर भक्त को जानना ज़रूरी है। भोपाल के प्रसिद्ध ज्योतिषी और वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा (Pandit Hitendra Kumar Sharma) बता रहे हैं कि शिव की पूजा कैसे करें? शंकर भगवान का अभिषेक कैसे करें? शिवलिंग पर पहले जल चढ़ाना चाहिए या पान? इसका विस्तृत उत्तर दिया गया है।

पूजा की सही विधि क्या है?
पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भगवान शिव (Lord Shiva) को अभिषेक सबसे प्रिय है। इसलिए शिव पूजा की शुरुआत हमेशा अभिषेक से ही करनी चाहिए। अभिषेक करते समय सबसे पहले शिवलिंग पर शुद्ध जल या गंगाजल चढ़ाना चाहिए। फिर दूध, दही, शहद, चीनी और घी के पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। पंचामृत से अभिषेक के बाद शिवलिंग को फिर से शुद्ध जल से धोना चाहिए। इसके बाद उस पर अन्य पूजन सामग्री जैसे पान, सफेद फूल, माला आदि अर्पित करनी चाहिए।

शिवलिंग पर पहले जल क्यों चढ़ाना चाहिए?
शिव पुराण, स्कंद पुराण और पद्म पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि शिव पूजा की शुरुआत जल से करनी चाहिए। जल को आमंत्रण का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग पर जल चढ़ाने से शीतलता मिलती है। इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है। जब भगवान शिव ने जगत कल्याण हेतु समुद्र मंथन से निकला हलाहल विष पी लिया था। उस विष की ज्वलनशील प्रकृति के कारण उनके शरीर में सूजन आ गई थी। इस सूजन को शांत करने के लिए उनके सिर पर निरंतर जल चढ़ाया जाता है। भगवान शिव को शीतलता प्राप्त करने के लिए जल सबसे ज़रूरी है।

बेलपत्र का क्या महत्व है?
बेलपत्र शिव को सबसे प्रिय है। लेकिन इसे जल चढ़ाने के बाद ही चढ़ाना चाहिए। जल शिवलिंग में ऊर्जा को सक्रिय करता है। बेलपत्र उस ऊर्जा को स्थिर करने का काम करता है। इसलिए पहले जल चढ़ाकर फिर बेलपत्र चढ़ाना उचित माना जाता है। बेलपत्र हमेशा अक्षुण्ण होना चाहिए। यह कभी भी टूटा, कटा या क्षतिग्रस्त नहीं होना चाहिए। बेलपत्र में तीन पूरे पत्ते होने चाहिए। बेलपत्र चढ़ाते समय 'ॐ नमः शिवाय' का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है।

गलत क्रम में क्या होता है?
यदि गलती से पहले बेलपत्र चढ़ा दिया जाए और फिर जल चढ़ा दिया जाए, तो पूजा का क्रम बदल जाता है। पूजा करते समय इसे सही क्रम में करना आवश्यक है। यह भावना और नियम दोनों ही दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसलिए श्रावण में सबसे पहले शिवलिंग पर शुद्ध जल अर्पित करना चाहिए और उसके बाद ही अन्य पूजन सामग्री अर्पित करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शंकर उन भक्तों पर प्रसन्न होते हैं जिनका मन पवित्र होता है। जो छल-कपट से दूर रहते हैं और सच्चे मन से पूजा करते हैं। जो अपना नहीं, सबका भला सोचते हैं। जो धर्म के मार्ग पर चलते हैं। जो कभी छल-कपट नहीं करते, भगवान शंकर ऐसे लोगों पर प्रसन्न होते हैं।

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