निवेशकों को भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता के नतीजे का इंतजार

Sun, Jul 13 , 2025, 02:09 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

नयी दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय व्यापार (international trade) परिदृश्य और भू-राजनैतिक अनिश्चितताओं से प्रभावित कारोबार के कारण बीते सप्ताह भारतीय शेयर बाजारों (Stock Markets) में गिरावट (Decline) तेज हो गयी।
निवेशकों को अब भारत-अमेरिका व्यापार (India-US trade) वार्ता के संतुलित परिणाम की प्रतीक्षा है। वे फिलहाल किनारे रह कर कुछ चुनिंदा लिवाली करना बेहतर मान रहे हैं ।
सप्ताह के दौरान तिमाही परिणामों का सीजन आईटी क्षेत्र की दिग्गज टीसीएस के पहली तिमाही के नतीजों से शुरू हुआ जिसमें बाजार को वैश्विक मांग में नरमी का संकेत दिखा है। सप्ताहांत यूरोपीय संघ और मैक्सिको के खिलाफ अमेरिका में 30 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (President Donald Trump) की घोषणा का इस सप्ताह बाजार (Week Market) पर नकारात्मक प्रभाव दिख सकता है।
विश्लेषकों के अनुसार भारत में मुद्रास्फीित नीचे आने और ब्याज दर में नरमी से निवेशकों का बाजार में विश्वास बना हुआ है लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति की व्यापार नीति से व्याप्त अनिश्चिताओं और भू-राजनीतिक तनाओं के बीच मांग में कमी के कारण फिलहाल निवेश किनारे पर ही रहना बेहतर मान रहे हैं।
पिछले कुछ महीनों तक विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की ओर से अच्छे प्रवाह के बाद जुलाई में अब तक उनका निवेश कुल मिलाकर कम हुआ है।
बजाज ब्रोकिंग रिसर्ज के अनुसार स्थिर मैक्रो संकेतक और घटती मुद्रास्फीति तेजी की धारणा को बढ़ावा दे रही है, हालांकि वैश्विक संकेत (जैसे, अमेरिकी चुनाव, ब्याज दरों पर निर्णय) अस्थिरता पैदा कर सकते हैं। फर्म के अनुसार निवेशक चुनिंदा खरीदारी की ओर झुके हैं और उचित मूल्य निर्धारण और स्पष्ट वृद्धि की संभावना वाले आईपीओ को पसंद कर रहे हैं।फिर भी बाजार में फार्मा, औद्योगिक और विशिष्ट उपभोक्ता वस्तु वर्ग के शेयर बेहतर चल रहे हैं जबकि रियल एस्टेट और फिनटेक क्षेत्र में मंदी बनी हुई है।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वी.के. विजय कुमार (Dr. V.K. Vijay Kumar) का कहना है कि एफपीआई प्रवाह कमजोर होने के संकेत हैं। तीन महीने तक सकारात्मक प्रवाह के बाद, जुलाई में अब तक एफपीआई मामूली रूप से ही सही, नकारात्मक हो गया है। जुलाई में 11 तारीख तक स्टॉक एक्सचेंजों के माध्यम से इक्विटी में एफपीआई प्रवाह 555 करोड़ रुपये का नकारात्मक आंकड़ा दर्शाता है। अप्रैल, मई और जून में तीन महीने तक सकारात्मक प्रवाह के बाद यह पहला नकारात्मक प्रवाह आंकड़ा है। इस वर्ष 2025 के जनवरी, फरवरी में तेज निकासी के साथ पहले तीन महीने एफपीआई प्रवाह नकारात्मक रहे और अगले तीन महीनों में यह प्रवृत्ति उलट गई थी। जुलाई में फिर प्रवाह कुल मिला कर नकारात्मक हो गया है। वैसे वर्ष 2025 के लिए, अब तक कुल मिलाकर एफआईआई प्रवाह 100443 करोड़ रुपये घटा है।
श्री विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई प्राथमिक बाजार में लगातार खरीदार और निवेशक रहे हैं।तीन महीने की खरीदारी के बाद जुलाई में एफपीआई की बिकवाली को मार्च के निचले स्तर से बाजार में आई रिकवरी और उसके परिणामस्वरूप बढ़े हुए मूल्यांकन के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
विश्लेषकों के अनुसार चूंकि अन्य बाजार अपेक्षाकृत सस्ते हैं इस लिए वहां पूंजी डालने के लिए एफआईआई अल्पकालिक रणनीति के तहत भारत में फिर से बिकवाली कर सकते हैं । इस वर्ष की पहली छमाही में भारतीय बाजार ने अधिकांश बाजारों से कमतर प्रदर्शन किया है।
चॉइस इक्विटी ब्रोकिंग के वरिष्ठ विश्लेषक मंदार भोजने ने कहा कि भारत में प्रमुख बाजार सूचकांक इस समय अपने उच्च स्तरों से अल्पकालिक सुधार के दौर से गुजर रहा है। उनकी राय में निफ्टी को 25,000 के आस पास समर्थन मिल रहा है और नीचे में 25300 तथा ऊपर में 25600 पर प्रतिरोध है। बाजार में मुख्य धारणा फिलहाल किनारे बने रहने की है।
बीते सप्ताह के दौरान शुक्रवार को 11 जुलाई को बीएसई30 सेंसेक्स और निफ्टी 50 में 0.80 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गयी थी। सप्ताह के दौरान पहले दो दिन नाम मात्र की तेजी के बाद बाजार वैश्विक चिंताओं के बीच कोई स्पष्ट संकेत न मिलने से आखिरी तीन दिन गिरावट में बंद हुए।

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