Mental Health Tips: मिर्गी के दौरे आने पर मरीज को पानी क्यों नहीं देना चाहिए? प्राथमिक उपचार क्या है? जानें!

Sun, Jul 06 , 2025, 07:26 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Mirgi ka dora: मिर्गी एक मस्तिष्क से संबंधित बीमारी है। जिसे आम तौर पर दौरा, दौरा या मिर्गी का दौरा कहा जाता है। यह एक प्रकार का न्यूरोलॉजिकल विकार है जिसमें मरीज के मस्तिष्क में असामान्य विद्युत तरंगें उत्पन्न होती हैं, जिससे मरीज को दौरा पड़ता है। वह जमीन पर गिर जाता है और कुछ समय के लिए बेहोश हो जाता है। लेकिन दौरा (Seizure) पड़ने का कारण क्या है, इसके क्या कारण हैं, इसके लक्षण क्या हैं और दौरा पड़ने के बाद क्या करना चाहिए।

आमतौर पर दस में से एक व्यक्ति को दौरा पड़ता है। हालांकि, दौरे की यह समस्या कई कारणों से हो सकती है। पहला कारण यह है कि यह समस्या वंशानुगत हो सकती है। साथ ही, कई बार मरीज के मस्तिष्क में संक्रमण हो सकता है। इसके साथ ही, बार-बार और तेज सिरदर्द भी इसके पीछे का कारण हो सकता है। मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति में रुकावट और मस्तिष्क में ट्यूमर के कारण भी दौरा पड़ सकता है।

दौरे के लक्षण क्या हैं?

  • मांसपेशियाँ बहुत सख्त और कठोर हो जाती हैं, जिसके बाद दौरा पड़ता है।
  • दांत पीसना
  • होंठ काटना
  • अचानक चक्कर आना और जमीन पर गिर जाना
  • मुंह से झाग आना
  • कपड़ों पर पेशाब करना
  • आंखें घुमाना

अगर किसी व्यक्ति को दौरा पड़ जाए तो क्या करें?

  • जब किसी व्यक्ति को दौरा पड़ जाए तो शांत रहना और उचित प्राथमिक उपचार देना ज़रूरी है।
  • जिस मरीज को दौरा पड़ जाए उसे तुरंत बाईं या दाईं करवट लिटा देना चाहिए। इससे उसके मुंह में फंसी लार या झाग बाहर आ जाएगी। यह श्वासनली में नहीं फंसेगा।
  • मरीज के सिर के नीचे मुलायम तकिया या मुड़ा हुआ कपड़ा रखें। अगर मरीज के आस-पास कोई ऐसी वस्तु हो जिससे उसे चोट लग सकती हो तो उसे हटा दें।
  • अगर मरीज ने टाइट कपड़े पहने हैं तो उसे ढीला कर दें। खास तौर पर गर्दन के आस-पास के कपड़े ढीले कर दें।
  • मरीज को कुछ भी खाने-पीने को न दें, क्योंकि दौरा पड़ने के दौरान वह पूरी तरह होश में नहीं होता। ऐसे में भोजन और पानी श्वासनली में जाने की संभावना रहती है जिससे दम घुट सकता है। इसलिए मरीज का मुंह खोलने के लिए चम्मच या कोई और वस्तु डालने की कोशिश न करें।
  • दौरा आमतौर पर दो से तीन मिनट तक रहता है और फिर व्यक्ति सो जाता है। हालांकि, अगर दौरा पांच मिनट से अधिक समय तक रहता है, तो रोगी को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है।
  • दौरा पड़ने के बाद, व्यक्ति को मुंह में रखने के लिए अक्सर गेंद या कुछ और दिया जाता है।
  • लेकिन ऐसा नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि इससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है और व्यक्ति का दम घुट सकता है।

 दौरे को लेकर समाज में अभी भी कई गलत धारणाएं हैं!

यह समझना जरूरी है कि अगर दौरे का समय पर निदान और इलाज किया जाए, तो यह बीमारी ठीक हो सकती है। 70 फीसदी मामलों में मरीज नियमित दवा लेकर इन बीमारियों पर काबू पा चुके हैं। जबकि 30 फीसदी मरीजों में दौरे के लिए दवा की तुलना में सर्जरी ज्यादा फायदेमंद है। उचित चिकित्सकीय सलाह और इलाज से दौरे से पीड़ित व्यक्ति स्वस्थ और सामान्य जीवन जी सकता है। इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है।

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