नयी दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) में पिछला सप्ताह निवेशकों की सतर्क चाल और मिले जुले वैश्विक संकेतों के बीच कारोबार का दायरा सीमित रहा। सप्ताह के दौरान प्रमुख शेयर सूचकांक सीमित (share index limited) दायरे में नीचे ऊपर होते रहे।
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि विश्व स्तर पर भू राजनीतिक तनावों तथा अमेरिका के साथ विभिन्न देशों के व्यापार संबंधों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। भारतीय बाजारों में जून माह की तेजी के बाद भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के बारे में अनिश्चितता से विदेशी निवेशक सावधानी का रुख किए हुए है। जुलाई के प्रथम सप्ताह में विदेशी संस्थागत निवेशकों की ओर से बिकवाली का दबाव भी बढ़ा हुआ है।
बाजार विश्लेषणों के अनुसार हाल के सत्रों में तेज उछाल के बाद बीते सप्ताह भारतीय शेयर बाजारों में मुनाफावसूली का दौर देखने को मिला। मिश्रित वैश्विक संकेतों और भारत के खिलाफ ट्रम्प सरकार के आयात शुल्क संबंधी फैसले की 9 जुलाई की तारीख नजदीक आ गयी है। निवेशकों को अमेरिका के निर्णय की प्रतीक्षा है जो सात जुलाई को घोषित किया जा सकता है।
विश्लेषकों के अनुसार भारतीय बाजार में शेयरों का मूल्यांकन अब भी ऊंचा है। स्पष्ट संकेतों के अभाव में विदेशी संस्थागत निवेशक सतर्क हो गए हैं लेकिन जबकि घरेलू संस्थागत निवेशक बाजार को समर्थन बनाए हुए हैं। घरेलू निवेशकों के इस समर्थन से बाजार की स्थिति संभली हुई है।
अमेरिका में प्रशुल्क दरों को लेकर अनिश्चितता से धातु, वाहन और वित्तीय क्षेत्र के शेयर दबाव में दिखे ,पर बड़े रक्षा खरीद सौदे के सरकार के फैसलों से उत्साहित रक्षा शेयरों ने बेहतर प्रदर्शन किया, जो रणनीतिक क्षेत्रों पर सरकार के निरंतर ध्यान को दर्शाता है। सरकार ने इसी सप्ताह 1.06 लाख करोड़ रुपये के रक्षा खरीद के प्रस्तावों को मंजूरी दी है जिसका अधिकतर ठेका घरेलू कंपनियों को जाएगा।
मुद्रास्फीति में कमी और ब्याज दरों में गिरावट जैसी अनुकूल स्थितियों तथा मानसून के अच्छा होने से बाजार की भावना को बल मिल रहा है। जानकारों का कहना है कि अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता के बाद कोई अच्छा समझौता निकल है तो स्थानीय शेयर बाजार (Stock Market) उसका जोरदार स्वागत करेंगे।
अमेरिका के साथ अच्छे व्यापारिक संबंध से आईटी, फार्मा और ऑटो जैसे निर्यात की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों को लाभ होने की उम्मीद है। विश्लेषकों के अनुसार बाजार को कंपनियों के पहली तिमाही के वित्तीय परिणामों से भी संकेत मिलने की उम्मीद है। कंपनियों के पहली तिमाही के परिणाम अगले सप्ताह से आने शुरू हो जाएंगे।
इस सप्ताह तेल उत्पादक एवं निर्यात देशों के मंच ओपेक और अन्य बड़े उत्पादकों की साझा बैठक के वैश्विक तेल उत्पादन को प्रभावित करने वाले निर्णयों का भी बाजार को इंतजार है। ओपेक एंव अन्य देशों के निर्णय कच्चे तेल के भाव को प्रभावित करेंगे जिसका बड़ा आयातक होने के कारण भारत की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है।
विश्लेषकों के अनुसार मिड- और स्मॉल-कैप स्पेस में हाल की रिकवरी के बाद अब अधिक ध्यान चुनिंदा शेयरों पर जा रहा है।
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Sun, Jul 06 , 2025, 01:45 PM