Heart Attack and Cardiac Arrest: हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट एक ही हैं? दोनों में है बहुत बड़ा अंतर, सभी को जानना चाहिए

Fri, Jul 04 , 2025, 03:49 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Heart Attack Symptoms : हार्ट अटैक (Heart attack) और कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest) एक ही शब्द हैं और यही वजह है कि कई लोग इन दोनों बीमारियों को लेकर भ्रमित हो जाते हैं। अक्सर लोग सोचते हैं कि, हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट एक ही हैं, लेकिन इन बीमारियों के लक्षण (symptoms and treatment) और उपचार अलग-अलग हैं। हालांकि दोनों ही हृदय से जुड़ी जानलेवा बीमारियां हैं, लेकिन इनके कारण और उपचार एक जैसे नहीं बल्कि बिल्कुल अलग हैं। इस खबर में आइए कार्डियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और कार्डियोलॉजिस्ट की मदद से कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक के बीच के अंतर को समझते हैं।

मेडिकल साइंस के मुताबिक ये दोनों अलग-अलग चीजें हैं। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित मित्तल और एसएन मेडिकल कॉलेज में कार्डियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बसंत कुमार गुप्ता ने सरल भाषा में कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक के बीच के अंतर को समझाया है। उन्होंने यह भी बताया है कि इन दोनों प्रकारों की पहचान कैसे करें और इनसे कैसे बचा जा सकता है।

हार्ट अटैक क्या है?
 डॉ. अमित मित्तल कहते हैं, हृदय को काम करने के लिए ऑक्सीजन युक्त रक्त की आवश्यकता होती है। यानी ऐसा रक्त जिसमें ऑक्सीजन हो। यह ऑक्सीजन युक्त रक्त कोरोनरी धमनियों के माध्यम से हृदय तक पहुंचाया जाता है। अगर इन कोरोनरी धमनियों में रुकावट आ जाए तो ऑक्सीजन युक्त रक्त हृदय तक पहुंचना बंद हो जाता है। पर्याप्त रक्त न मिलने के कारण हृदय की कोशिकाएं धीरे-धीरे मरने लगती हैं। नतीजतन, हृदय की कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है। फिर एक समय ऐसा आता है जब हृदय की कार्यक्षमता आवश्यकता से बहुत कम हो जाती है। इसके कारण हृदय पर तनाव बहुत बढ़ जाता है। इसके कारण हृदय काम करना बंद कर देता है।

 इसे मेडिकल टर्म में हार्ट अटैक कहते हैं। अगर हृदय रोग की समय पर पहचान न हो या उसका समय पर इलाज न हो तो मौत की संभावना बढ़ जाती है। डॉ. गुप्ता ने कहा, बचपन से ही सभी के खान-पान की वजह से धमनियों में धीरे-धीरे प्लाक जमा होता जाता है। जब प्लाक इतना बढ़ जाता है कि वह उन नसों को बाधित कर देता है, जिनके माध्यम से हृदय पूरे शरीर में रक्त पंप करता है, जिसे कोरोनरी धमनी रोग कहते हैं। इससे हृदय को हार्ट अटैक का खतरा होता है। यह पट्टिका धमनियों को संकरा कर सकती है, जिससे हृदय में रक्त का प्रवाह धीमा या बंद हो जाता है। इससे धमनी का दूसरा हिस्सा अवरुद्ध होकर फट सकता है। इसके बाद मरीज को सीने में तेज दर्द और बेहोशी का अनुभव होता है, जिसे हार्ट अटैक कहते हैं।

हार्ट अटैक के लक्षण
सीने में दबाव या दर्द
सांस लेने में दिक्कत
पसीना आना
सीने में जकड़न महसूस होना
दर्द कंधे, गर्दन, हाथ या जबड़े तक फैलना
सीने में जलन या अपच की शिकायत के साथ मतली और उल्टी
अचानक चक्कर आना, थोड़ी देर के लिए बेहोश हो जाना

कार्डियक अरेस्ट क्या है?
डॉ. बसंत कुमार गुप्ता बताते हैं, "हृदय रोग को तकनीकी रूप से मायोकार्डियल इंफार्क्शन (एमआई) या कार्डियक अरेस्ट अटैक कहा जाता है। यह तब होता है जब दिल की धड़कन में रुकावट आती है। कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब दिल अचानक काम करना बंद कर देता है। कार्डियक अरेस्ट में दिल धड़कना बंद कर देता है और खून महत्वपूर्ण अंगों तक नहीं पहुंच पाता। ऐसी स्थिति में मरीज की कुछ ही मिनटों में मौत हो जाती है।"

डॉ. अमित मित्तल कहते हैं कि कार्डियक अरेस्ट का मतलब है हार्ट ब्लॉकेज। ऐसे में जब हृदय पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है, तो इसे कार्डियक अरेस्ट कहते हैं। हृदय में सोडियम, कैल्शियम और पोटेशियम चैनल होते हैं। अगर इन चैनलों में असंतुलन होता है, तो दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। मेडिकल भाषा में इसे वीटीबीएस कहते हैं। ऐसी स्थिति में अगर मरीज को समय रहते बिजली का झटका न दिया जाए, तो उसकी मौत हो जाती है। झटका लगने में लगने वाले हर मिनट में बचने की संभावना 10 फीसदी कम हो जाती है।

 डॉ. मित्तल कहते हैं कि इस स्थिति को रोकने के लिए अब कई डिवाइस उपलब्ध हैं। ये डिवाइस हाई रिस्क वाले मरीजों में लगाए जाते हैं। शरीर के किसी भी हिस्से में बीमारी या अनियमितता होने पर शरीर हमें इसके बारे में बता देता है। हमें सही समय पर उन संकेतों को पहचानना चाहिए। शारीरिक गतिविधि के दौरान सांस फूलना या सीने में दर्द होना। ऐसी स्थिति में मरीज के हृदय की कोरोनरी धमनी ब्लॉक हो जाती है। शारीरिक परिश्रम के दौरान ज्यादा रक्त प्रवाह की जरूरत होती है। तब हृदय पर दबाव पड़ने से सीने में दर्द या सांस फूलने लगता है। घबराहट भी महसूस होती है। ऐसा डॉ. मित्तल कहते हैं। 

हृदयाघात के लक्षण
चक्कर आना
सांस लेने में अचानक कठिनाई
सीने में दर्द
ट्रिगर, आमतौर पर हाथ या पैर में
एक घंटे पहले मतली या उल्टी

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