Rasmalai: आपने रसमलाई तो खाई होगी, लेकिन क्या आप इसका दिलचस्प इतिहास जानते हैं?

Wed, Jul 02 , 2025, 09:28 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

History of Rasmalai: रसदार और मलाईदार रसमलाई का नाम सुनते ही कई लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस स्वादिष्ट मिठाई (Delicious dessert) को सबसे पहले किसने और कैसे बनाया? इस मीठी मिठाई के पीछे न सिर्फ़ इसका स्वाद छिपा है, बल्कि एक दिलचस्प और अद्भुत इतिहास भी छिपा है। तो चलिए जानते हैं रसमलाई के बनने की यह मीठी कहानी!

रसमलाई क्या है?

रसमलाई का सार इसके नाम में ही छिपा है। "रस" का मतलब है मिठास और नमी और "मलाई" का मतलब है दूध का गाढ़ा रूप। यह मिठाई मुलायम, स्पंजी छेना (चक्का) से बनाई जाती है और इसे मीठे, केसर-युक्त दूध में भिगोया जाता है। ऊपर से बादाम और पिस्ता डालकर इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है।

रसमलाई का जन्म कहाँ हुआ?

इस मिठाई के जन्मस्थान के बारे में दो अलग-अलग कहानियाँ हैं। एक कहानी कहती है कि रसमलाई की उत्पत्ति कोमिला, बांग्लादेश (जो उस समय भारत का हिस्सा था) में हुई थी। इसे सबसे पहले सेन बंधुओं ने बनाया था और इसका नाम "खीर भोग" ​​रखा था। बाद में इसका नाम बदलकर "रसमलाई" कर दिया गया।

दूसरी और ज़्यादा मशहूर कहानी यह है कि रसमलाई सबसे पहले कोलकाता में बनी थी। 19वीं सदी में मशहूर बंगाली हलवाई के.सी. दास (Confectioner K.C. Das) की दुकान में रसगुल्ले बनाए जाते थे। कहा जाता है कि उनकी दुकान के कुछ रसगुल्ले (rasgullas) एक बार गरम चाशनी की जगह ठंडे दूध में डाल दिए गए थे - और यहीं से रसमलाई का जन्म हुआ। यह घटना गलती से हुई या जानबूझकर, यह तो पक्का पता नहीं, लेकिन इस प्रयोग ने एक नई मिठाई ज़रूर बनाई।

एक क्लासिकल प्रयोग से बनी मिठाई?

इस मिठाई के पीछे एक और दिलचस्प घटना बताई जाती है। के.सी. दास के पोते ऑस्मोसिस की प्रक्रिया का अध्ययन कर रहे थे और उसी संदर्भ में उन्होंने डिब्बाबंद रसगुल्ले तैयार किए। इसी प्रयोग से बाद में रसमलाई का निर्माण हुआ। तैयार होने के बाद कोलकाता के मारवाड़ी समुदाय ने इस मिठाई को लोकप्रिय बना दिया।

रसमलाई बनाने की प्रक्रिया
रसमलाई बनाने के लिए सबसे पहले छेना तैयार किया जाता है और उसके छोटे-छोटे गोले बनाए जाते हैं. इन गोलों को चीनी की चाशनी में उबाला जाता है और फिर ठंडा किया जाता है. फिर इन मीठे गोलों को केसर, इलायची और चीनी मिले गाढ़े दूध में भिगोया जाता है. अंत में बादाम और पिस्ता डालकर इस पर सजावट की जाती है।

एक स्वादिष्ट इतिहास
रसमलाई सिर्फ़ एक मिठाई नहीं है, इसे भारतीय मिठाइयों की शान माना जाता है. हर त्यौहार, ख़ास मौकों और शादी-ब्याह में इसकी ख़ास जगह होती है. इसके बनने की कहानी जितनी मीठी है, उतनी ही यह हमें नए प्रयोगों को अपनाने के लिए प्रेरित करती है। एक छोटा सा प्रयोग और उससे बनी यह मीठी याद रसमलाई का इतिहास वाकई उतना ही स्वादिष्ट है जितना खाने के शौकीनों के मुंह में घुल जाता है।

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