Insulin intolerance: भारत में 6-8 लाख लोग ग्लूटेन इनटॉलेरेंट हैं; जाने क्या होता है क्या है इन्सुलिन इंटॉलरन्स?

Wed, Jul 02 , 2025, 09:30 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

दुनिया की 1% आबादी को सीलिएक रोग है, यानी उन्हें गेहूं या ग्लूटेन वाली किसी भी चीज़ से एलर्जी है। रिसर्च गेट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया की लगभग 8.4% आबादी ग्लूटेन इनटॉलेरेंट है। इनमें से कुछ लोगों को सीलिएक रोग है। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें सीलिएक रोग नहीं है और वे नॉन-सीलिएक ग्लूटेन सेंसिटिव हैं। भारत में 5-6% आबादी को गेहूं या ग्लूटेन सेंसिटिविटी है, जिनमें से 90% को इसके बारे में पता ही नहीं है।

सीलिएक एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें ग्लूटेन खाने से छोटी आंत को नुकसान पहुंचता है। वहीं, नॉन-सीलिएक ग्लूटेन सेंसिटिविटी में ग्लूटेन खाने से गैस, डायरिया और पेट दर्द जैसी समस्याएं होती हैं। गेहूं इतना लोकप्रिय अनाज इसलिए है क्योंकि यह बाइंडर का काम करता है। उदाहरण के लिए, बिस्किट बनाते समय इसका आटा गीला होने पर चिपक जाता है, जबकि साबुत अनाज का आटा सूखने पर बिखर जाता है। इसके अलावा, ग्लूटेन की मौजूदगी इसे नरम बनाती है, लेकिन यह पाचन संबंधी समस्याओं का कारण भी बन सकती है।

ग्लूटेन-मुक्त अनाज एक सुरक्षित विकल्प 
आजकल बहुत से लोग ग्लूटेन-मुक्त आहार का पालन कर रहे हैं। ग्लूटेन एक प्रकार का प्रोटीन है जो गेहूं और जौ जैसे अनाज में पाया जाता है। यह भोजन को नरम बनाता है और रोटी को फूलने में मदद करता है। हालांकि, ग्लूटेन कुछ लोगों में पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है, जैसे कि सीलिएक रोग या ग्लूटेन संवेदनशीलता वाले लोग। ऐसे मामलों में, ग्लूटेन-मुक्त अनाज एक स्वस्थ और सुरक्षित विकल्प बन सकता है।

अब विस्तार से समझते हैं कि इस अनाज को खाने के क्या फायदे हैं और इसे अपने आहार में कैसे शामिल करें:

1. ज्वार
ज्वार में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो पाचन में सुधार करता है और कब्ज से राहत देता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो सूजन को कम करते हैं और हृदय स्वास्थ्य में सुधार करते हैं। यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में भी मदद करता है, जिससे यह मधुमेह रोगियों के लिए एक अच्छा विकल्प बन जाता है।

इसे अपने आहार में कैसे शामिल करें?
आप बाजरे की रोटी बनाकर खा सकते हैं, जो भारत में बहुत लोकप्रिय है। इसे खिचड़ी, सलाद या पॉपकॉर्न के रूप में भी बनाया जा सकता है। इसके आटे का इस्तेमाल कुकीज़ और केक बनाने में किया जा सकता है।

2. बाजरा
बाजरा आयरन, फाइबर, प्रोटीन और मैग्नीशियम से भरपूर होता है। यह हीमोग्लोबिन बढ़ाने, पाचन में सुधार करने और मधुमेह को नियंत्रित करने में फायदेमंद है। इसके नियमित सेवन से कोलेस्ट्रॉल कम होता है और दिल की सेहत में सुधार होता है। यह ग्लूटेन-फ्री है, इसलिए यह सीलिएक और ग्लूटेन-सेंसिटिव लोगों के लिए सुरक्षित है।

इसे अपने आहार में कैसे शामिल करें?
उत्तर भारत में सर्दियों में बाजरे की रोटी खूब खाई जाती है। इसके आटे से थेपला, चीला या पैनकेक भी बनाए जा सकते हैं। बाजरे को खिचड़ी, उपमा या दलिया के रूप में भी पकाया जा सकता है।

3. मक्का
मकई में फाइबर और ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। यह पाचन में सुधार करता है और ऊर्जा प्रदान करता है।

इसे अपने आहार में कैसे शामिल करें?
मकई को रोटी बनाकर, उबालकर या भूनकर खाया जा सकता है। इसके आटे का इस्तेमाल कॉर्नब्रेड बनाने के लिए भी किया जाता है। इसे सलाद में भी डाला जा सकता है।

4. चना
मकई में फाइबर, आयरन और कैल्शियम भरपूर मात्रा में होता है। यह हड्डियों को मजबूत बनाता है, ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है। इसमें मौजूद अमीनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। यह ग्लूटेन फ्री होता है, इसलिए यह एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए भी फायदेमंद है।

इसे अपने आहार में कैसे शामिल करें?
आप चने के आटे से रोटी, पराठा या डोसा बना सकते हैं। इसे दलिया या खिचड़ी के रूप में नाश्ते में शामिल किया जा सकता है। गर्मियों में इसे भिगोकर 'अंबिल' नामक स्थानीय पेय बनाया जाता है, जो शरीर को ठंडक पहुंचाता है।

5. क्विनोआ
क्विनोआ प्रोटीन का एक संपूर्ण स्रोत है क्योंकि इसमें सभी 9 आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं। यह फाइबर, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। यह हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, वजन प्रबंधन में मदद करता है और शरीर को पोषक तत्व प्रदान करता है।

इसे अपने आहार में कैसे शामिल करें?
क्विनोआ को सलाद में, चावल के विकल्प के रूप में या नाश्ते के लिए दलिया के रूप में खाया जा सकता है। इसका आटा पैनकेक, ब्रेड और मफिन बनाने के लिए भी उपयुक्त है। यह हल्का और पचने में आसान होता है।

6. ओट्स
ओट्स में बीटा-ग्लूकेन नामक फाइबर होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और दिल के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। यह लंबे समय तक भूख को नियंत्रित करता है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है। हमेशा प्रमाणित ग्लूटेन-मुक्त ओट्स चुनना याद रखें, क्योंकि मिलावट से ग्लूटेन की समस्या हो सकती है।

7. बकव्हीट
बकव्हीट में रुटिन और क्वेरसेटिन जैसे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो सूजन को कम करते हैं और रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं। यह हृदय के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है और पाचन में सहायता करता है।

इसे अपने आहार में कैसे शामिल करें?
गेहूं के आटे का इस्तेमाल पूरी, पैनकेक या नूडल्स बनाने के लिए किया जा सकता है। इसे सूप या सलाद में भी डाला जा सकता है। इसका नारियल जैसा स्वाद इसे खास बनाता है।

8. अमाल्फी
अमाल्फी प्रोटीन, फाइबर और कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे खनिजों से भरपूर है। यह हड्डियों को मजबूत करता है, सूजन को कम करता है और पाचन में सुधार करता है। इसमें लाइसिन नामक एक एमिनो एसिड भी होता है।

9. चावल
चावल में कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में होता है, जो शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है। इसमें थोड़ी मात्रा में प्रोटीन, विटामिन बी और मैग्नीशियम भी होता है। यह पचने में आसान होता है, इसलिए बुखार या पेट दर्द होने पर इसे खाने की सलाह दी जाती है। ब्राउन राइस में फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं, जो दिल और पाचन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।

इसे अपने आहार में कैसे शामिल करें?
चावल को दाल या सब्ज़ी के साथ खाया जा सकता है। इसका इस्तेमाल पुलाव, खिचड़ी या इडली-डोसा के लिए आटा बनाने में भी किया जाता है। ब्राउन राइस और रेड राइस को सलाद या बाउल मील में शामिल करके सेहतमंद विकल्प बनाया जा सकता है।

ग्लूटेन-मुक्त अनाज क्यों खाएं?
ग्लूटेन-मुक्त भोजन न केवल आपको पाचन समस्याओं से बचाता है, बल्कि यह ज़्यादातर साबुत अनाज होता है। इसमें गेहूं और जौ से ज़्यादा फाइबर होता है। यह प्रोटीन और कैल्शियम का भी अच्छा स्रोत है। कुल मिलाकर, यह पोषक तत्वों से भरपूर है। इसमें आयरन, जिंक, बी-विटामिन और फॉस्फोरस जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व भी होते हैं। इनकी मौजूदगी ही इन्हें इतना फ़ायदेमंद बनाती है। इसीलिए ग्लूटेन मुक्त अनाज खाना चाहिए।

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