मुंबई : अमेय बेलोरकर (Ameya Belorkar), सीनियर वाइस प्रेसिडेंट, आईडीबीआईकैपिटल मार्केट्स एंड सिक्योरिटीज (IDBI Capital Markets and Securities) ने कहा कि नवाचार, इंडस्ट्री व निवेश का रणनीतिक गठजोड़ भारत की डिफेंस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता की यात्रा की आधारशिला है। पिछले पांच सालों में भारत में 1000 से अधिक डिफेंस-टेक स्टार्टअप्स (defense-tech startups) उभरे। ये देश के रक्षा क्षेत्र (defense sector) में हो रहे प्रयासों के लिए टेक सॉल्यूशन विकसित कर रहे हैं। अमेय बेलोरकर ने बताया कि ये स्टार्टअप्स और एमएसएमई लंबे समय तक उड़ान भरने में सक्षम ड्रोन, रोबोटिक हथियार और एआई-आधारित सिस्टम को विकसित करने पर फोकस कर रहे हैं जो आधुनिक युद्धक्षेत्र की जरूरतों को पूरा करते हैं।
जैसे-जैसे स्टार्टअप्स और एमएसएमई नेक्स्ट जनरेशन टेक (next generation tech) को विकसित करने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, वैसे ही अल्टरनेटिव इंवेस्टमेंट फंड (एआईएफ) एक अहम मददगार बनकर सामने आ रहा है। वैश्विक संघर्ष का बदलता स्वरूप बताता है कि मॉर्डन टेक कितनी अहम हैं। एआईएफस इन उत्साही उद्यम की धन की कमी को पूरा कर नवाचार को बढ़ावा देने और स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को विकसित करने में मदद कर रहा है।
डिफेंस-टेक के विकास में एआईएफ की अग्रणी भूमिका
पहले डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग में पीएसयू और प्राइवेट कंपनियों का दबदबा था। लेकिन आज, तकनीकी रूप से कौशल स्टार्टअप्स और एमएसएमई की एक नई पांत इस क्षेत्र में प्रवेश कर चुकी है। ये नई कंपनियां ड्रोन, एआई, एडवांस मटेरियल, सर्विलांस टेक और साइबर सिक्योरिटी में नवाचार ला रही हैं।
जैसे-जैसे स्टार्टअप्स को आगे बढ़ाने के लिए मंच तैयार किया जा रहा है, वैसे ही परंपरागत फंडिग के तरीकों को भी सहज बनाए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है। कई डिफेंस-टेक कंपनियों को लंबे समय तक परंपरागत तरीकों से कर्ज लेने या वेंचर कैपिटल फंडिंग हासिल करने में कठिनाई होती है। यहां एआईएफ इन कठिनाइयों को दूर करने में अहम भूमिका निभाते हैं। एआईएफ रिसर्च आधारित और गहरे रेगुलेशन वाले रक्षा जैसे क्षेत्रों लंबी अवधि की पूंजी की जरूरतों को धैर्य के साथ पूरा कर रहे हैं।
ग्लोबल प्रतिस्पर्धी बना रहे एआईएफ
भारत अब सिर्फ डिफेंस टेक का खरीदार नहीं है, बल्कि अब वह इसका निर्माता और निर्यातक भी बन रहा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में डिफेंस-टेक निर्यात से भारत को 1.27 लाख करोड़ रुपए की आय हुई जो 2014-15 की तुलना में 174% ज्यादा है। यह इसका प्रमाण है की, देश का लक्ष्य 2028 तक 50,000 करोड़ के डिफेंस एक्सपोर्ट को प्राप्त करना है। इसके लिए स्टार्टअप्स और एमएसएमई को तेजी से विकास करना होगा। यहां एआईएफ केवल फंडिंग करने तक सीमित नहीं है, वे एक आर्किटेक्ट की तरह काम करते हैं।
हालांकि भारत के डिफेंस-टेक के भविष्य की सफलता उत्पादन या निर्यात से कहीं ज्यादा देश में इसके लिए तैयार ईकोसिस्टम की मजबूत से मापी जाएगी। यहां पूरे डिफेंस टेक ईकोसिस्टम में एआईएफ से फंडेड स्टार्टअप्स और एमएसएमई न केवल आदर्श मंच हैं, बल्कि वे ऐसे सॉल्यूशन प्रदान कर रहे हैं, जिन्हें तैनात किया जा रहा है,टेस्ट किया जा रहा है। यहां तक की कुछ मामलों में निर्यात तक किया जा रहा है।
इतना ही नहीं एआईएफ सपोर्टेड एमएसएमई इंडस्ट्री 4.0 टूल्स का उपयोग करके अपनी मैन्यूफैक्चरिंग प्रक्रियाओं को डिजिटल बना रहे हैं। इससे वे "मेक इन इंडिया' की रक्षा खरीद जरूरतों को पूरा करने की क्षमता बढ़ा रहे हैं। इनमें सटीक पार्ट्स सप्लाई, टेक्टिकल गियर निर्माण और युद्धक्षेत्र सिमुलेशन सिस्टम प्रदान करने वाले सॉफ्टवेयर विक्रेता शामिल हैं। ये सब मिलकर अब भारत की बढ़ती रक्षा आपूर्ति चेन का एकीकरण कर रही है। एआईएफ इस तरह की बदलाव लाने वाले तकनीकी का सपोर्ट और व्यवसायों की सप्लाई चेन के एकीकरण और स्केलेबिलिटी को सक्षम बनाकर इस क्षेत्र में अपना अहम योगदान दे रहे हैं।
एआईएफ की भागीदारी को सक्षम बना रही सरकार
भारत सरकार ने प्राइवेट फंड्स की अहम आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कई पहल प्रारंभ की है। इनमें डिफेंस इनोवेशन फंड (डीआईएफ) और इनोवेशंस फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडेक्स) शामिल हैं। ये मंच सुनिश्चित करते हैं कि कंपनियों को रणनीतिक फंड्स मिलें।
डीआईएफ को रक्षा रिसर्च एंड डेवलपमेंट में प्राइवेट और इंस्टीट्यूशनल पूंजी के संचालन के लिए स्थापित किया गया था। सिडबी (स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया) और रक्षा मंत्रालय के समन्वय से, यह फंड एक निवेश मंच के रूप में कार्य करता है। यह एआईएफ को स्वदेशी डिफेंस सॉल्यूशन की मदद करने और उन्हें लांग टर्म कैपिटल उपलब्ध कराने का काम करता है। आईडेक्स का मंच एक टेक प्रारंभकर्ता और फंड ब्रिज के रूप में कार्य करता है। यह नागरिक और सैन्य दोनों की जरूरतों को पूरा करता है। आईडेक्स डिफेंस इंडिया स्टार्टअप चैलेंज (डीआईएससी) योजना के तहत प्रति प्रोजेक्ट 1.5 करोड़ रुपए तक की ग्रांट-इन-एड के साथ अब तक 300 से अधिक स्टार्टअप्स और एमएसएमई को सपोर्ट कर चुका है। इसके अलावा, आईडीईएक्स प्रोटोटाइप विकास और बाजार सत्यापन के अवसरों को डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और रक्षा-टेक निर्माताओं के माध्यम से सपोर्ट करता है।
निष्कर्ष
एआईएफ भारत की नवाचार क्षमता को रणनीतिक रक्षा निर्यात क्षमता में बदलने के लिए आधार बन रहे हैं। वे केवल व्यावसायिक मॉडल नहीं हैं। दरअसल, वे एक भविष्य के लिए तैयार ईकोसिस्टम बना रहे हैं।
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Tue, Jul 01 , 2025, 03:10 PM