तिरुवनंतपुरम। भारत वैश्विक स्तर पर छठा सबसे बड़ा रसायन उत्पादक (sixth largest chemical producer globally) है, जिसका राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP)में सात प्रतिशत योगदान है। कार्बनिक और पदार्थ रसायन विज्ञान की वैश्विक प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए सीएसआईआर-एनआईआईएसटी (CSIR-NIIST) के निदेशक डॉ. सी. आनंदधर्मकृष्णन ने इस क्षेत्र में नवाचार को गति देने के लिए जलवायु-स्मार्ट, कम कार्बन रसायन विज्ञान और एआई और स्वचालन जैसी प्रौद्योगिकियों के एकीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया।
उन्होंने संस्थान के रासायनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रभाग (सीएसटीडी) द्वारा आयोजित कार्बनिक और पदार्थ रसायन विज्ञान में प्रगति पर राष्ट्रीय सम्मेलन (एओएमसी-2025) का उद्घाटन करते हुए यह बात कही, जो वैज्ञानिक उत्कृष्टता के 50 वर्षों के उपलक्ष्य में स्वर्ण जयंती कॉन्क्लेव श्रृंखला का हिस्सा है।
दो दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य अग्रणी वैज्ञानिकों, उद्योग विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और युवा शोधकर्ताओं को एक साथ लाना है, ताकि वे कार्बनिक और पदार्थ रसायन विज्ञान के क्षेत्र में हालिया प्रगति और उभरते रुझानों पर चर्चा कर सकें।
भारत के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र के विकास पर विचार करते हुए आईआईएससी बैंगलोर के प्रोफेसर और सीएसआईआर-सीडीआरआई के पूर्व निदेशक प्रोफेसर टी. के. चक्रवर्ती ने युवा पीढ़ी को आज उपलब्ध उपकरणों और बुनियादी ढांचे का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।
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