Agriculture: विकसित कृषि और समृद्ध किसान जरूरी - शिवराज!

Thu, Jun 26 , 2025, 08:08 PM

Source : Uni India

इंदौर। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने आज कहा कि “विकसित भारत” (Developed India) के स्वरूप को साकार करने के लिए विकसित कृषि और समृद्ध किसान जरूरी है और इस दिशा में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi government) कार्य कर रही है।

 चौहान ने यहां पत्रकार वार्ता में कहा कि विकसित कृषि और समृद्ध किसान के लिए कृषि क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने, लागत घटाने, उपज के नुकसान की भरपाई करने, उत्पादन के ठीक दाम देने और प्राकृतिक खेती (natural farming) को बढ़ावा देने का काम केंद्र सरकार लगातार कर रही है। उन्होंने कहा कि हाल ही में देशभर में चलाए गए “विकसित कृषि संकल्प अभियान” (Developed Agriculture Sankalp Abhiyan) में सामने आए विषयों के तहत उन्होंने उपजवार और राज्यवार प्रमुख फसलों के विकास के उद्देश्य से रणनीति बनाई है। इसी के अंतर्गत आज सबसे पहले इंदौर में सोयाबीन का उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के लिए बृहद संवाद आयोजित किया गया।

चौहान ने कहा कि देश में पिछले 11 साल में 44 प्रतिशत खाद्यान्न उत्पादन बढ़ा है। हमारे पास 16 हजार कृषि वैज्ञानिक हैं। ये शोध करते हैं, उन्नत गुणवत्ता के बीज तैयार करते हैं, लेकिन लैब में बैठे वैज्ञानिक और जमीन पर काम कर रहे किसान के बीच संवाद और समन्वय नहीं था। ऐसे में यह तय किया गया कि ‘लैब-टू-लैंड’ की तर्ज पर काम किया जाए, तो खेती में और तेजी से उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। इसी भाव से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ चला, जिसमें कई तरह की चीजें सामने आई। उन्होंने कहा कि 2,170 टीमें गांव-गांव गईं और 1.35 करोड़ से ज्यादा किसानों से मिलीं। इस दौरान यह बात सामने आईं कि कई विषय ऐसे हैं, जिन पर शोध की जरूरत है। गन्ना किसान ने कहा कि हमारे यहां लाल सड़न बीमारी लगती है, वहीं सोयाबीन की उत्पादकता स्थिर है। “जीएम सीड” हम इस्तेमाल नहीं करते। ऐसे में उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है, लागत घटाने की जरूरत है व “वैल्यू एडीशन” की भी जरूरत है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहले शोध वैज्ञानिक करते थे, लेकिन अब शोध के मुद्दे दिल्ली में नहीं, बल्कि खेत में किसान से बात करके तय होंगे। किसान से बेहतर जानकारी कोई नहीं दे पाएगा। किसानों ने कई नवाचार किए हैं, उन्हें कैसे बेहतर किया जा सकता है, इस पर वैज्ञानिक काम करेंगे।  चौहान ने बताया कि अभियान के दौरान कई किसानों ने अमानक बीज, कीटनाशक का भी उल्लेख किया, बीजों की उपलब्धता जैसी समस्या आईं। हमने विस्तृत वर्कशॉप की है, जिसमें तय हुआ कि हम किसानों, एग्री यूनिवर्सिटी, स्टैकहोल्डर्स आदि से पूरी चर्चा करेंगे। इसी के तहत, आज हम इंदौर में राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में आए हैं, देश के टॉप वैज्ञानिक यहां हैं, उच्चाधिकारी भी हैं। हम 4 राज्य कवर कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आजकल खेतिहर मजदूर नहीं मिलते हैं, इसके लिए मैकेनाइजेशन को बढ़ावा देना पड़ेगा। बीमारियों से मुकाबला करने वाली किस्मों पर रिसर्च, बीजों का उपचार व बीमारियों को समय पर पहचान लें, इस पर काम करना है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सोयाबीन प्रोटीन का बड़ा जरिया है। सोया खली का कैसे बेहतर उपयोग कैसे हो, एक्सपोर्ट कैसे हो। वैल्यू एडीशन जैसे टोफू, सोया मिल्क जैसी चीजें भी कर सकते हैं। प्रगतिशील किसानों ने बताया कि 20 क्विंटल प्रति एकड़ सोयाबीन उत्पादन किया है, उन्होंने पद्धति भी बताई, ऐसे किसानों से सीखने का प्रयास करेंगे।

 चौहान ने कहा कि अभी हम सोयाबीन के विषय पर संवाद कर रहे हैं, इसके बाद कपास पर कोयंबटूर में सभी से चर्चा करेंगे और फिर मेरठ में गन्ने पर एवं इसके बाद दलहन पर कानपुर में बृहद संवाद किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जितनी भी बड़ी फसलें हैं, उनमें उत्पादन ठीक हो, इसके लिए ये अभ्यास चल रहा है।

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