Lifestyle: क्या बारिश में कुछ खाने से पेट खराब होता है? आंतों के सड़ने से पहले  ये 5 जादुई नुस्खे आजमाएं!

Thu, Jun 26 , 2025, 09:45 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

बारिश की हल्की-हल्की बूंदाबांदी मन को खुश कर देती है, हरियाली आंखों को सुकून देती है, लेकिन इस मानसून में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं लगातार सिर उठाती रहती हैं। खासकर पेट से जुड़ी शिकायतें, जैसे कि दस्त, अपच, पेट में गैस, जी मिचलाना, ये सभी परेशानियां कई लोगों को परेशान करती हैं। बदलते मौसम के कारण शरीर में वात दोष बिगड़ जाता है, पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है और अगर इन पर ध्यान न दिया जाए तो ये लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। दूषित पानी, ठीक से धुली सब्जियां, ठंड और गर्मी में बदलाव, भारी भोजन और गलत आदतें इस स्थिति को और खराब कर देती हैं।

मानसून संक्रमण का समय होता है और इस दौरान शरीर का इम्यून सिस्टम भी थोड़ा कमजोर होता है। ऐसे समय में शरीर को हल्का, आसानी से पचने वाला और वात-संतुलित आहार चाहिए होता है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञ मनीषा मिश्रा के अनुसार, कुछ घरेलू उपायों को अपनाकर मानसून में पेट की समस्याओं से आसानी से बचा जा सकता है। आइए जानें ये सरल लेकिन कारगर उपाय।

आयुर्वेद का अमृत तप्तशीतजल
मानसून के मौसम में शरीर की पाचन क्रिया थोड़ी धीमी हो जाती है। ऐसे में नल का पानी या कोल्ड ड्रिंक नहीं पीना चाहिए। इसकी जगह 'तप्तशीतजल' यानी उबालकर ठंडा किया हुआ पानी पीना बहुत फायदेमंद माना जाता है। उबालने से पानी में मौजूद बैक्टीरिया मर जाते हैं और ठंडा होने पर यह शरीर के लिए आसानी से पचने योग्य हो जाता है। इस पानी को नियमित रूप से पीने से पाचन क्रिया दुरुस्त होती है, अपच कम होती है और शरीर के दोष संतुलित होते हैं। आयुर्वेद में तप्तशीतजल को पेट दर्द, जी मिचलाना या गैस की प्राथमिक औषधि माना जाता है।

काली मिर्च और अदरक - पाचन के लिए रामबाण
मानसून के मौसम में हल्का लेकिन गर्मी बढ़ाने वाला खाना खाने से पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है। खाने में काली मिर्च, पिंपली और सोंठ शामिल करना पेट के लिए बहुत फायदेमंद होता है। त्रिकटु के नाम से मशहूर यह तिकड़ी पाचन क्रिया को दुरुस्त करने के लिए मशहूर है। शहद के साथ इसका सेवन करने पर गैस, अपच और भूख न लगने जैसी शिकायतों से राहत मिलती है। खासकर जब पेट लगातार खराब रहता है, तो इन मसालों का इस्तेमाल आपके खाने में बहुत फायदेमंद होता है।

पालक और सत्तू - मानसून के दौरान परहेज करें
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों से परहेज करना स्वास्थ्य के लिए अधिक महत्वपूर्ण है। इनमें से मुख्य हैं पालक और सत्तू। ये दोनों खाद्य पदार्थ पाचन पर दबाव डालते हैं और गैस बनने की मात्रा को बढ़ाते हैं। पालक में मौजूद फाइबर और सत्तू के ठंडे गुण मानसून के दौरान वात को खराब कर सकते हैं। इसलिए, इन दिनों में आहार में इनका सेवन कम करने या पूरी तरह से परहेज करने की सलाह दी जाती है।

घर में नीम या सरसों का धुआं करें
बरसात के मौसम में घर में नमी और नमी बढ़ने से फंगस, कीड़े और बैक्टीरिया तेजी से फैलते हैं। ऐसे समय में घर में नीम के पत्ते, गुग्गुल या सरसों के बीज का धुआं करना बहुत कारगर होता है। यह धुआं हवा को शुद्ध करता है, कीड़ों को दूर रखता है और संक्रमण से बचाता है। खासकर अगर छोटे बच्चे या बुजुर्ग हैं, तो सप्ताह में दो बार इसका धुआं करने से घर का वातावरण बीमारियों से मुक्त रह सकता है।

बिना चप्पल के घूमने और दिन में सोने से बचें
बारिश के मौसम में कई लोग घर पर बिना चप्पल के घूमते हैं, जो बिल्कुल भी उचित नहीं है। जमीन से आने वाली ठंड सीधे शरीर में प्रवेश करती है और वात दोष को बढ़ाती है, जिसका सीधा असर पाचन पर पड़ता है। इसलिए घर में भी मुलायम, साफ चप्पल का इस्तेमाल करना जरूरी है। इसी तरह दिन में सोने से पाचन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। पाचन क्रिया धीमी हो जाती है, आलस्य आता है और पेट फूलने जैसी शिकायतें होती हैं। इसलिए बारिश के मौसम में दिन में सोने से बचें और ऐसी आदतें अपनाएं जिससे शरीर आसानी से घूम सके।

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