नयी दिल्ली। भारत में लगभग शत प्रतिशत परिवारों में टूथपेस्ट (toothpaste) का उपयोग होता है, लेकिन ओरल केयर के क्षेत्र (Areas of Oral Care) में सुधार किये जाने की अभी भी बहुत संभावनाएं हैं। कोलगेट-पामोलिव लिमिटेड (Colgate-Palmolive Limited) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है। इसमें कहा गया है कि ओरल केयर में वे आसान दैनिक आदतें शामिल हैं, जो बिना खर्च लंबे समय तक ओरल हेल्थ बनाकर रखती हैं। कोलगेट के ओरल हेल्थ अभियान (Oral Health Campaign) में 45 लाख लोगों की जांच की गई और इसके आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गयी है।
भारत में ओरल हेल्थ का स्कोर 5 में से 2.6 रहा है, जिससे देश में ओरल केयर को प्राथमिकता दिए जाने की जरूरत है। इसमें यह पता चला है कि भारत में 90 प्रतिशत लोगों को दांतों की समस्या है, लेकिन डेंटिस्ट से नियमित जांच केवल 9 प्रतिशत लोग ही कराते हैं। इसलिए इस महत्वपूर्ण विषय पर बातचीत शुरू करना और इस बारे में कार्रवाई करना आवश्यक था। मौजूदा और आदर्श व्यवहार के बीच के अंतर को दूर करने के लिए कोलगेट ने नवंबर 2024 में ओरल हेल्थ अभियान शुरू किया।
कंपनी के अभियान के दौरान 700 से अधिक जिलों के 18,000 से अधिक पिन कोड को शामिल किया गया। ओरल हेल्थ स्कोर में कैविटी, मसूड़ों की समस्या और दाग-धब्बों के जोखिम का आकलन करके व्यक्ति की ओरल हेल्थ के बारे में ठोस व व्यक्तिगत जानकारी दी जाती है। जिन लोगों का ओरल हेल्थ स्कोर ज्यादा रहा, उनमें एक आदत समान थी कि वो सभी एक विशेष सेहतमंद दिनचर्या का पालन करते थे। इसमें दिन में दो बार ब्रश करना, कैफीन और शुगर वाले बेवरेज कम लेना, स्वस्थ और पौष्टिक खाना लेना तथा तंबाकू से परहेज करना शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार 41 प्रतिशत लोगों के दांतों में कैविटी का बड़ा खतरा , 44 प्रतिशत को मसूड़ों की समस्या और 14 प्रतिशत के दांतों में दाग-धब्बे पाये गये। 72 प्रतिशत भारतीयों को ओरल हेल्थ का बहुत अधिक जोखिम है, जबकि 4 प्रतिशत को तीनों (कैविटी, मसूड़ों की समस्या, दाग-धब्बे) का जोखिम है। जांच में शामिल 45 लाख भारतीयों में से केवल 10 प्रतिशत को ही पांच में से पांच डेंटल हेल्थ स्कोर मिला। अध्ययन में शामिल लोगों में से, 24 प्रतिशत को सबसे कम 1 का स्कोर मिला।
इसमें कहा गया है कि 50 वर्ष से अधिक उम्र के 60 प्रतिशत से अधिक भारतीयों को मसूड़ों की समस्याओं का जोखिम अधिक है। पूर्वी भारत में दांतों पर दाग होने के मामले अधिक पाए गए, जिसका मुख्य कारण तंबाकू का सेवन है। केरल, झारखंड और राजस्थान में कैविटी के मामले अधिक मिले। यहाँ 50 प्रतिशत से अधिक लोगों को इसका जोखिम ज्यादा पाया गया। 3 से12 वर्ष की आयु के 50 प्रतिशत बच्चों और 64 वर्ष से अधिक आयु के 72 प्रतिशत व्यस्कों में कैविटी का खतरा अधिक पाया गय। इन समूहों पर विशेष ध्यान दिए जाने और इसकी रोकथाम किए जाने की आवश्यकता भी बतायी गयी है।
कंंपनी की प्रबंध निदेशक एवं सीईओ प्रभा नरसिम्हन ने कहा कि ओरल हेल्थ की रक्षा करना आसान व किफायती है। दिन में दो बार केवल 2 रुपये खर्च करने हैं और 2 मिनट का समय देना है। इस अभियान में सामने आया कि ओरल हेल्थ महत्वपूर्ण होने के बाद भी इसको अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। ओरल हेल्थ अच्छी हो तो डायबिटीज, कार्डियोवैस्कुलर समस्याओं और सांस के संक्रमणों आदि का जोखिम भी कम होता है। इसलिए व्यक्ति के अपने स्वास्थ्य और देश के हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बोझ में भी कमी आती है।
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