Mann Water Scheme: पंजाब में जल संसाधनों के संरक्षण, पुनःपूर्ति के लिए पहली एकीकृत राज्य जल योजना लागू होगी: मान

Fri, Jun 20 , 2025, 06:49 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान (Bhagwant Singh Mann) ने शुक्रवार को राज्य में भूजल के संरक्षण और पुनः पूर्ति के लिए एकीकृत राज्य जल योजना (State Water Scheme) के एक भाग के रूप में 14 सूत्री कार्य योजना को मंजूरी दे दी। जल संसाधन विभाग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना राज्य के जल संसाधन विभाग (Water Resources Department) द्वारा सभी प्रमुख विभागों के परामर्श से सावधानीपूर्वक तैयार की गयी है। उन्होंने कहा कि राज्य में स्थिति पहले से ही चिंताजनक है, क्योंकि राज्य के कुल 153 में से 115 ब्लॉक भूजल दोहन के मामले में अत्यधिक दोहन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह योजना भूजल को बचाने और विभिन्न उद्देश्यों के लिए नहरी पानी के उपयोग को बढ़ाने पर केंद्रित है।

मुख्यमंत्री ने 5.2 अरब क्यूबिक मीटर पानी निकाले जाने के कारण जल स्तर में सालाना औसतन 0.7 मीटर की गिरावट पर भी चिंता जतायी। उन्होंने कहा कि भूजल की मांग को कम करके, कृषि जल की मांग को कम करके, सिंचाई की तकनीक में सुधार करके, भूजल को फिर से भरकर और भूजल को कृत्रिम रूप से बढ़ाकर ऐसा किया जा सकता है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि इसके साथ ही अन्य स्थायी स्रोतों की खोज, गहरे जलभृत अन्वेषण और सतही जल के उपयोग को बढ़ावा देने के भी प्रयास किये जाने चाहिए।

मुख्यमंत्री ने दोहराया कि सरकार हर अंतिम छोर के उपभोक्ता को पानी देने के लिए कृत संकल्प है और इस सिद्धांत पर काम करते हुए सरकार ने पहले ही 30 से 40 सालों से बंद पड़े लगभग 6,300 किलोमीटर लंबे 17,000 जलमार्गों को बहाल कर दिया है, तीस से 40 सालों से बंद पड़े 545 किलोमीटर लंबे 79 नहरों को बहाल किया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य पारंपरिक सिंचाई विधियों के बजाय लगभग 15,79,379 हेक्टेयर क्षेत्र को विभिन्न जल कुशल तकनीकों जैसे ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई और अन्य के अंतर्गत लाना है, ताकि दक्षता बढ़ाकर पानी की शुद्ध मांग और पानी की बर्बादी को कम किया जा सके। सतही जल के प्रभावी उपयोग पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना के अनुसार नहर और उसकी सहायक नदियों से अतिरिक्त उपलब्ध पानी को सीधे नहर और सहायक नदियों के साथ लगते तालाबों में वितरित किया जायेगा।

श्री मान ने कहा कि पंजाब में भूजल की वास्तविक स्थिति का पता नहीं है, क्योंकि पुनर्भरण और खपत के बीच अंतर है। उन्होंने कहा कि इस अंतर का अध्ययन स्थिरता और भविष्य के नीतिगत निर्णयों को निर्धारित करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि योजना बेसिन प्रबंधन योजना पर उचित रूप से ध्यान केंद्रित करेगी, क्योंकि पंजाब में अलग-अलग भूमि क्षेत्र हैं जिनमें अलग-अलग भूमि विशेषतायें हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम पंजाब में जलभराव की समस्या है, लेकिन कंडी क्षेत्र की अपनी समस्या है क्योंकि भूजल बहुत गहरा है, जिसके कारण पूरे राज्य के लिए एक ही योजना नहीं बनायी जा सकती और इसे भागों में तैयार करना पड़ता है, जिन्हें बेसिन कहा जाता है। उन्होंने कहा कि योजना के अनुसार पंजाब को अलग-अलग जलग्रहण क्षेत्रों में विभाजित किया जाएगा, जिससे जल प्रवाह, मिट्टी के कटाव को नियंत्रित किया जा सके और आवश्यक पोषक तत्वों को बनाए रखा जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना से बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने पर भी जोर दिया जाएगा। श्री मान ने कहा कि इस योजना के तहत बाढ़ मॉडलिंग और मैपिंग, बाढ़ मैदान ज़ोनिंग और सार्वजनिक भागीदारी के लिए शोध और अध्ययन किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि बांस के पौधे लगाना, वेटिवर घास, स्रोत नियंत्रण, चेक डैम और बांध निर्माण जैसे काम भी योजना में प्रस्तावित हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना का उद्देश्य घग्गर के बाढ़ के पानी को संग्रहित करना और घग्गर में चोक पॉइंट/ ड्रेन पॉइंट की पहचान करके चेक डैम बनाकर इसका कृषि उपयोग करना है, जहां से इसका मुख्य प्रवाह इसमें आता है।

इसी तरह, मुख्यमंत्री ने कहा कि चेक डैम से पानी को ब्लॉकों में पहले से मौजूद तालाबों में डाला जाएगा, जहाँ अपशिष्ट जल को ट्रीटमेंट प्लांट और नैनो बबल तकनीक के माध्यम से उपचारित किया जाएगा। श्री मान ने कहा कि उपचारित पानी को सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों और भूमिगत पाइपलाइन प्रणाली का उपयोग करके लिफ्ट सिंचाई प्रणाली के माध्यम से कृषि क्षेत्रों में ले जाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस योजना में सरकार के वित्तीय बोझ को कम करने के लिए कंपनियों के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) अधिनियम 2013 के तहत जल प्रबंधन में निजी क्षेत्र की भागीदारी की परिकल्पना की गयी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि धान (परमल) से मक्का, कपास, बासमती और अन्य संभावित फसलों तथा धान की अधिक पानी खपत वाली किस्मों की खेती के लिए क्षेत्र में विविधता लाना भी योजना का हिस्सा है। इसी तरह भगवंत सिंह मान ने कहा कि योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि उपयोग के लिए भूजल की मांग में कमी लाना है। उन्होंने कहा कि पानी की एक-एक बूंद राज्य के लिए कीमती है और पंजाब सरकार इसे संरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।

Latest Updates

Latest Movie News

Get In Touch

Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.

Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265

info@hamaramahanagar.net

Follow Us

© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups