कोलार। आंध्रप्रदेश सरकार (Andhra Pradesh government) की ओर से कर्नाटक से आने वाले तोतापुरी आमों (Totapuri mangoes) पर लगाये गये व्यापार प्रतिबंध के चलते राज्य के कोलार जिले के श्रीनिवासपुर में आम के किसानों को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है। कटाई के चरम समय में बाजार ठप हो गया है, जिससे किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और सरकारी हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं। वैसे तो तोतापुरी आम की मांग जून की फसल के मौसम में आम तौर पर चरम पर होती है, लेकिन इस साल बाजार में अभूतपूर्व गिरावट आई है। किसानों का आरोप है कि आंध्र प्रदेश ने कर्नाटक से तोतापुरी आमों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे आम से भरे ट्रक सीमा चौकियों पर, खास तौर पर चित्तूर के पास फंसे रह गए हैं। जबकि आंध्र के ट्रक कर्नाटक में बेरोकटोक आ रहे हैं। इस एकतरफा रोक के चलते हजारों टन आम सीमाओं पर फंसे हुये हैं।
मांग घटने और बिक्री रुकने से किसान हताश हो उठे हैं। किसानों ने सरकार से तोतापरी और अन्य किस्मों के लिए एमएसपी तय करने की मांग को लेकर इस सप्ताह विरोध प्रदर्शन किया। पूर्व मुख्यमंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने श्रीनिवासपुर का दौरा कर प्रभावित किसानों से मुलाकात की और राज्य सरकार से आंध्र और तमिलनाडु में आम की खरीद तथा प्रसंस्करण इकाई के साथ तत्काल वार्ता शुरू करने की अपील की। उन्होंने कहा, “राज्य में कोल्ड स्टोरेज और पैकेजिंग की कमी के कारण किसान भारी नुकसान झेल रहे हैं। सरकार को फौरन हस्तक्षेप कर किसानों को उचित मूल्य दिलाना चाहिए।”
उन्होंने राज्य सरकार की निष्क्रियता पर नाराजगी जताते हुये कहा, “यह मुद्दा तुरंत कैबिनेट स्तर पर उठाया जाना चाहिए था। अगर सरकार ने अब भी कदम नहीं उठाया तो आंदोलन तेज किया जाएगा।” बेंगलुरु में श्रीनिवासपुर के जेडीएस विधायक वेंकटेश्वर रेड्डी और मुलबागल के विधायक सुमरुधि मंचिना ने विधानसौधा के पास गांधी प्रतिमा के सामने धरना दिया। उन्होंने सरकार पर किसानों की अनदेखी का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि जल्द कदम न उठाने पर कोलार सहित पूरे आम बेल्ट में आंदोलन फैलेगा।
श्रीनिवासपुर में बाजार लगातार ठप पड़ा है। किसान बताते हैं कि जिनके पास स्टॉक तैयार है, वे भी उसे बेच नहीं पा रहे हैं क्योंकि आंध्र और तमिलनाडु के खरीदार प्रतिबंधों के चलते माल नहीं उठा रहे। किसानों को संदेह है कि कुछ ताकतवर कारोबारी इस स्थिति का फायदा उठाकर कीमतों में हेरफेर कर रहे हैं। एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा, “यह संकट सरकार की लापरवाही और किसान-विरोधी नीतियों का नतीजा है। अगर सरकार ने अभी कदम नहीं उठाया, तो पूरे सीजन की फसल बर्बाद हो जाएगी। अब किसान केवल एमएसपी ही नहीं, बल्कि भविष्य में ऐसे संकट से बचाने के लिए दीर्घकालिक समाधान की मांग कर रहे हैं।
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Thu, Jun 19 , 2025, 03:40 PM