नयी दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) और किर्गिस्तान के विदेश मामलों के मंत्री ज़ीनबेक कुलुबेव मोल्दोकानोविच (Zinebek Kulubaev Moldokanovich) के गुरूवार को यहां दोनों देशों के बीच प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने तथा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश संधि () से जुड़े दस्तावेजों के आदान प्रदान के साथ ही बीआईटी प्रभावी हो गयी।
भारत सरकार और किर्गिस्तान सरकार के बीच 14 जून, 2019 को बिश्केक में हस्ताक्षरित द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) आज यानी 5 जून 2025 से लागू हो गयी। यह नई बीआईटी 12 मई 2000 को लागू किए गए पहले के समझौते की जगह लेती है, जो दोनों देशों के बीच निवेश की सुरक्षा में निरंतरता सुनिश्चित करती है।
भारत-किर्गिस्तान बीआईटी द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और एक सुरक्षित और पूर्वानुमानित निवेश वातावरण को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। बीआईटी का उद्देश्य दूसरे देश के क्षेत्र में किसी भी देश के निवेशकों के हितों को बढ़ावा देना और उनकी रक्षा करना है। इसमें सतत विकास पर जोर दिया गया है। संपत्तियों की एक सांकेतिक समावेश सूची और परिसंपत्तियों की एक विशिष्ट बहिष्करण सूची के साथ उद्यम आधारित परिभाषा जो निवेश की विशेषताओं जैसे पूंजी की प्रतिबद्धता, लाभ या मुनाफे की उम्मीद, जोखिम की धारणा को भी स्पष्ट करती है और मेजबान देश के विकास के लिए महत्व रखती है।
स्थानीय सरकार, सरकारी खरीद, कराधान, सरकारी प्राधिकरण के प्रयोग में आपूर्ति की जाने वाली सेवाएँ, अनिवार्य लाइसेंस से संबंधित मामलों को इस संधि से अलग रखा गया है ताकि ऐसे मामलों में सरकार के पास पर्याप्त नीतिगत स्थान बना रहे। बीआईटी निवेश के उपचार के मुख्य तत्वों को परिभाषित करने का प्रयास करता है, जैसा कि प्रथागत अंतर्राष्ट्रीय कानून में पाया जाता है। इसके अलावा, बीआईटी राष्ट्रीय स्तर पर निवेश, अधिग्रहण और हस्तांतरण पर प्रावधानों के माध्यम से एक संतुलित रूपरेखा सुनिश्चित करता है।
सबसे पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) दायित्व ने अतीत में निवेशकों को मेजबान राष्ट्र द्वारा संपन्न अन्य संधियों से अनुकूल मूल प्रावधानों को चुनिंदा रूप से ‘आयात’ करने की अनुमति दी है। बीआईटी में एमएफएन खंड को हटा दिया गया है। बीआईटी में दो प्रकार के अपवाद शामिल हैं: सामान्य अपवाद और सुरक्षा अपवाद। सामान्य अपवाद में अन्य बातों के अलावा, पर्यावरण की सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित करना और सार्वजनिक नैतिकता तथा सार्वजनिक व्यवस्था की रक्षा करना शामिल है। बीआईटी ने स्थानीय उपायों के साथ निवेशक-राष्ट्र विवाद निपटान तंत्र को कैलिब्रेट किया है, जिससे निवेशकों को वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र प्रदान किया जा सके। बीआईटी दोनों देशों की संप्रभु विनियामक शक्तियों के साथ निवेशक अधिकारों को संतुलित करता है और एक लचीला और पारदर्शी निवेश माहौल बनाने के लिए साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इससे सीमा पार निवेश को और बढ़ावा मिलने और भारत और किर्गिस्तान के बीच आर्थिक सहयोग को गहरा करने की उम्मीद है।
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Thu, Jun 05 , 2025, 07:17 PM