नयी दिल्ली। सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक यात्री कारों (Electric Passenger Cars) के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना के लिए दिशानिर्देश अधिसूचित किये हैं, जिसके तहत विदेशी विनिर्माता निवेशकों को पांच वर्ष तक सीमा शुल्क की 15 प्रतिशत के निम्न दर से न्यूनतम 35,000 अमेरिकी डॉलर की कीमत वाली कारों का आयात करने की छूट होगी।
यह नीति वैश्विक निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये बनायी गयी है और निवेशकों को अनुमोदन की तिथि से लागू मानी जाएगी। भारी उद्योग मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी (HD Kumaraswamy) ने इसे एक ऐतिहासिक पहल बताया है। इस योजना (scheme) के लाभ के लिए आवेदकों को तीन वर्ष में परिचालन शुरू करना होगा और इसके लिए न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये (50 करोड़ डालर) का निवेश करना आवश्यक होगा।
भारी उद्योग मंत्रालय की सोमवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार इस योजना से ईवी यात्री कार निर्माण क्षेत्र में वैश्विक निवेश को बढ़ावा मिलेगा और देश में ई-वाहनों के वैश्विक विनिर्माण में मदद मिलेगी। विज्ञप्ति में कहा गया है कि इससे
वर्ष 2070 भारत में कार्बन उत्सर्जान में वृद्धि को शुद्ध रूप से शून्य करने के लक्ष्य को हासिल करने, सतत गतिशीलता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के देश के राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप है।
मंत्रालय ने कहा है कि इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना (एसपीएमईपीसीआई/ योजना) को इसे भारत को ऑटोमोटिव विनिर्माण और नवाचार का एक प्रमुख वैश्विक केन्द्र बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। एमएचआई ने 15 मार्च 2024 को योजना की अधिसूचना जारी की थी।
वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने भी योजना के प्रावधानों के अनुरूप आयात शुल्क में कमी के लिए 15 मार्च 2024 को अधिसूचना जारी की थी। इसमें शुल्क में नपी तुली रियायतों और स्पष्ट रूप से परिभाषित घरेलू मूल्य संवर्धन (DVA) के माध्यम से यह योजना अत्याधुनिक ईवी तकनीकों को पेश करने और स्वदेशी क्षमताओं को पोषित-प्रोत्साहित करने की आवश्यकताओं के बीच संतुलन रखा गया है।
इलेक्ट्रिक कारों पर 15 प्रतिशत का रियायती शुल्क संख्या प्रति वर्ष 8,000 कारों तक सीमित होगी लेकिन एक साल में आयात इससे कम रहा तो अगले साल उसके बराबर अधिक संख्या में आयात करने की छूट होगी। प्रति आवेदक अधिकतम शुल्क छूट 6,484 करोड़ रुपये अथवा इस योजना के अंतर्गत किए गए निवेश में से जो भी कम हो, उस तक सीमित होगी। पात्र इकाई को विनिर्माण के दौरान घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए) की शर्तों के तहत पहले तीन वर्षों के 15 प्रतिशत डीवीए हासिल करना होगा तथा पांच वर्ष में इसे न्यूनतम 50 प्रतिशत तक ले जाना होगा।
सरकार ऐसे विनिर्माताओं के परिचालन में डीवीए की शर्त के अनुपालन की जांचने के लिए वाहन और वाहनों के कल पुर्जों के विनिर्माण को प्रोत्साहन के लिए लागू मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को लागू करेगी। डीवीए का प्रमाणन मंत्रालय द्वारा अनुमोदित परीक्षण एजेंसियों द्वारा किया जाएगा। दिशानिर्देशों के अनुसार यदि इस योजना के अंतर्गत निवेश किसी पहले से चल रही परियोजना में किया जाता है, तो मौजूदा और नयी विनिर्माण सुविधाओं के के बीच स्पष्ट भौतिक सीमांकन करना होगा।
निवेश में नये संयंत्र, मशीनरी, उपकरण और संबद्ध उपयोगिताओं, इंजीनियरिंग अनुसंधान एवं विकास (ईआरएंडडी) पर किया किए जाने वाले व्यय को जोड़ा जाएगा। लेकिन भूमि पर किए गए व्यय पर विचार नहीं किया जाएगा। मुख्य संयंत्र और सुविधाओं के लिए स्थापित इमारतों को निवेश का हिस्सा माना जाएगा, बशर्ते यह प्रतिबद्ध निवेश के 10 प्रतिशत से अधिक न हो। चार्जिंग अवसंरचना पर किया गया व्यय प्रतिबद्ध निवेश के अधिकतम 5 प्रतिशत तक माना जाएगा।
निर्देशों के अनुसार विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना, डीवीए की प्राप्ति और योजना के अंतर्गत निर्धारित शर्तों के अनुपालन के लिए आवेदक की प्रतिबद्धता भारत में किसी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक से बैंक गारंटी द्वारा समर्थित होगी। आवेदन आमंत्रण नोटिस के तहत आवेदन की अवधि 120 दिन (या अधिक) की होगी। मंत्रालय आवश्यकतानुसार आवेदकों को आवेदन के लिए 15 मार्च 2026 तक आवेदन करने की छूट दे सकता है।
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