Vastu Tips : वास्तु के अनुसार अपने किचन को 'इन' रंगों से सजाएं, घर के सदस्य रहेंगे स्वस्थ...

Sun, Jun 01 , 2025, 10:06 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Kitchen Vastu Tips: गांव में जीवन सादगी से भरा होता है, जहां आज भी कई घर मिट्टी के बने होते हैं और लकड़ी के चूल्हे पर खाना पकाया जाता है। कई लोग गांव में जाते हैं तो चूल्हे पर पका खाना खाना पसंद करते हैं। ऐसा माना जाता है कि चूल्हे पर पका खाना स्वादिष्ट और सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। ऐसे घरों में लोग अक्सर कुछ सवालों से परेशान रहते हैं, जैसे कि चूल्हे के पास पत्थर रखना चाहिए या नहीं, हाल ही में एक व्यक्ति ने पूछा कि क्या गांव में चूल्हे मिट्टी (Stove Clay) के होने के बावजूद भी चूल्हे के आसपास पत्थर रखना जरूरी है? यह सवाल ग्रामीण जीवन की एक बड़ी सच्चाई को छुपाए हुए है। संसाधनों की कमी और पारंपरिक प्रथाओं का पालन, लेकिन इसका समाधान गांव में सुबह की चाय जितना ही सरल है।

चूल्हे के पास पत्थर रखना क्यों जरूरी नहीं है?

वास्तु शास्त्र में कई नियम हैं, जिनका पालन करने से आपके जीवन में सकारात्मकता आएगी। मिट्टी के घरों में अक्सर चूल्हे जमीन पर बनाए जाते हैं। कई बार वहां सीमेंट या पत्थर रखना संभव नहीं होता है। इन भट्टियों की बनावट ऐसी होती है कि ये मिट्टी को संतुलन और मजबूती प्रदान करती हैं। इसलिए अगर कोई आपसे कहे कि भट्टी के पास पत्थर रखना जरूरी है, तो यह हर स्थिति में लागू नहीं होता।

रंग हमारे आस-पास की ऊर्जा को प्रभावित करते हैं। इसीलिए घर बनाते समय या रसोई को सजाते समय दिशा और रंग का ध्यान रखा जाता है। अगर भट्टी उत्तर या पूर्व दिशा में है, तो उसके आस-पास हरा रंग लगाएं। यह रंग वहां की ऊर्जा को संतुलित करता है और सकारात्मक परिणाम देता है। अगर भट्टी दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में बनी है, तो उसे पीला रंग देना फायदेमंद होता है। पीला रंग गर्मी और ऊर्जा को नियंत्रित करता है, जिससे रसोई में गर्मी संतुलित रहती है। अगर भट्टी अग्नि कोण यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में है, तो मिट्टी का मूल रंग ही पर्याप्त है। चूंकि यह रंग प्रकृति के साथ सामंजस्य रखता है, इसलिए इसे बदलने की जरूरत नहीं है। इस उपाय की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें कोई बड़ा खर्च नहीं आता है। गांवों में रहने वाले लोग चूने या पेंट का इस्तेमाल करके खुद ही यह पेंटिंग का काम आसानी से कर सकते हैं। इससे न सिर्फ रसोई सजती है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा भी बनी रहती है। अगर आप भी ऐसे गांव या कम आधुनिक सुविधाओं वाले घर में रहते हैं, तो इस तरीके को जरूर अपनाएं और खुद फर्क महसूस करें। आपके जीवन में जरूर बदलाव आ सकते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान….
रसोई की दिशा – वास्तु शास्त्र के अनुसार, रसोई दक्षिण-पूर्व दिशा (दक्षिण-पूर्व) में होनी चाहिए। अगर ऐसा संभव न हो, तो उत्तर-पश्चिम दिशा (उत्तर-पश्चिम) या दक्षिण-पश्चिम दिशा (दक्षिण-पश्चिम) भी उपयुक्त है।

सिंक और चूल्हा – सिंक उत्तर-पूर्व दिशा (उत्तर-पूर्व) और चूल्हा दक्षिण-पूर्व दिशा (दक्षिण-पूर्व) में होना चाहिए। सिंक और चूल्हा एक साथ नहीं होना चाहिए।

रेफ्रिजरेटर – रेफ्रिजरेटर को दक्षिण-पश्चिम दिशा (दक्षिण-पश्चिम) या उत्तर-पश्चिम दिशा (उत्तर-पश्चिम) में रखना उपयुक्त होता है।

खाना – जिस जगह खाना रखा जाता है (जैसे पेंट्री, फ्रिज) उसे हमेशा साफ रखना चाहिए और खाली नहीं छोड़ना चाहिए।

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