हाल के दिनों में देशभर में चलती कारों में अचानक आग लगने की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है। मध्य प्रदेश के शाजापुर से लेकर राजस्थान के भीलवाड़ा, हरिद्वार के रुड़की, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला तक देश के अलग-अलग कोनों से ऐसी खबरें आ रही हैं जहां चंद सेकंड में कारें आग की लपटों में बदल गईं।
ये घटनाएं न सिर्फ लोगों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े करती हैं, बल्कि वाहनों की तकनीकी खामियों और रखरखाव में लापरवाही की ओर भी ध्यान खींचती हैं। इन घटनाओं की जड़ तक पहुंचना, कारणों को समझना और समय रहते समाधान निकालना बहुत जरूरी हो गया है। नहीं तो भविष्य में ऐसी दुर्घटनाएं और भी घातक हो सकती हैं।
तो चलिए आज की काम की खबर में हम जानेंगे कि चलती कारों में आग लगने की घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं। साथ ही जानेंगे कि-
आगे बढ़ने से पहले, इस ग्राफ़िक पर नज़र डालें और देखें कि हाल ही में कार में आग लगने की घटनाएँ कहाँ हुई हैं।
गर्मी में बंद कार चलती हुई भट्टी में बदल जाती है। ऐसे में गर्मी के मौसम में कार में पावर बैंक, लैपटॉप, परफ्यूम और सैनिटाइज़र रखने से जोखिम बढ़ सकता है। इसका कारण समझें-
पावर बैंक और लैपटॉप (बैटरी से चलने वाले उपकरण)
ये उपकरण लिथियम-आयन बैटरी पर चलते हैं, जो उच्च तापमान में ज़्यादा गर्म हो सकते हैं और फट सकते हैं या आग पकड़ सकते हैं। अगर कार को बंद करके पार्क किया जाता है, तो अंदर का तापमान तेज़ी से 50-60 डिग्री सेल्सियस या उससे ज़्यादा हो सकता है, जो बैटरी के लिए बहुत ख़तरनाक है।
परफ्यूम
परफ्यूम में अल्कोहल होता है, जो ज्वलनशील होता है। गर्मी की वजह से परफ्यूम की बोतल में दबाव बढ़ सकता है और उसमें विस्फोट हो सकता है या अगर कोई चिंगारी निकलती है, तो अंदर की गैस बाहर निकल सकती है और आग पकड़ सकती है।
सैनिटाइजर
इसमें 70% या उससे ज़्यादा अल्कोहल होता है, जो बहुत ज़्यादा ज्वलनशील होता है. अगर इसे सीधे धूप या गर्मी में छोड़ दिया जाए तो यह आग पकड़ सकता है.
गाड़ी चलाते समय आग से बचने के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
चलती गाड़ी में आग लगना बहुत ख़तरनाक हो सकता है, लेकिन अगर कुछ सावधानियाँ बरती जाएँ तो इस जोखिम से काफ़ी हद तक बचा जा सकता है. निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें.
नियमित रूप से बिजली की वायरिंग और बैटरी की जाँच करें.
अगर आपको पेट्रोल या डीज़ल की गंध आती है, तो तुरंत मैकेनिक को दिखाएँ.
इंजन और एग्जॉस्ट सिस्टम को मेंटेन रखें.
रेडिएटर में पर्याप्त कूलेंट रखें.
कार में हमेशा आग बुझाने वाला यंत्र रखें.
कार में ज्वलनशील चीज़ें जैसे सैनिटाइज़र, परफ्यूम, स्प्रे कैन, पावर बैंक आदि न रखें.
बिना क्वालिटी चेक किए इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का इस्तेमाल न करें.
ब्रेक और क्लच सिस्टम की जाँच करें.
धूम्रपान करते हुए कभी गाड़ी न चलाएँ.
क्या गाड़ी बहुत पुरानी होने की वजह से आग पकड़ सकती है?
समय के साथ गाड़ियों की वायरिंग, फ्यूल लाइन, इंजन और इलेक्ट्रिकल सिस्टम कमज़ोर हो जाते हैं. अगर इनका सही तरीके से रखरखाव न किया जाए और इन्हें बदला न जाए, तो शॉर्ट सर्किट या ईंधन रिसाव से आग लग सकती है।
पुराने वाहनों के संबंध में भारत सरकार द्वारा क्या नियम बनाए गए हैं?
दिल्ली-एनसीआर जैसे इलाकों में 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल कारों पर प्रतिबंध है। राष्ट्रीय स्तर पर 20 साल पुराने निजी वाहनों और 15 साल पुराने वाणिज्यिक वाहनों को फिटनेस टेस्ट पास करना अनिवार्य है। अगर वाहन इस टेस्ट में फेल हो जाता है, तो उसे स्क्रैपिंग के लिए जब्त किया जा सकता है। इसलिए, अगर वाहन बहुत पुराना है और उसका नियमित रखरखाव नहीं किया गया है, तो यह न केवल कानूनी दृष्टिकोण से, बल्कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी खतरनाक हो सकता है।
क्या सीएनजी या इलेक्ट्रिक कारों में आग लगने का खतरा अधिक होता है?
अगर सीएनजी किट ठीक से नहीं लगाई गई है या वाहन का रखरखाव ठीक से नहीं किया गया है, तो आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए, दिसंबर 2022 में मध्य प्रदेश के रीवा में एक दुर्घटना के बाद सीएनजी टैंक में आग लग गई और दो लोगों की मौत हो गई। हालाँकि, यदि सीएनजी या इलेक्ट्रिक कारों की समय पर सर्विसिंग की जाती है और उनका रखरखाव विश्वसनीय (अधिकृत) सर्विस सेंटर द्वारा किया जाता है, तो आग लगने का खतरा बहुत कम हो जाता है।
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Sat, May 31 , 2025, 10:00 AM