हैदराबाद। तेलंगाना के हैदराबाद स्थित अपोलो कैंसर सेंटर (Apollo Cancer Centre) ने विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर मुंह के कैंसर (cancer) का जल्द पता लगाने के लिए ओरल कैंसर स्क्रीनिंग प्रोग्राम ‘ओरालाइफ’ (Oralife) की शुक्रवार को शुरुआत की। यह कार्यक्रम जन जागरूकता, नियमित जांच और लक्षित हस्तक्षेप पर जोर देता है, खासकर उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए जिनमें तंबाकू उपयोगकर्ता, शराब का सेवन करने वाले, एचपीवी-16 संक्रमण वाले लोग और पहले से ही मुंह के घाव वाले लोग शामिल हैं। इस पहल के हिस्से के रूप में एसीसी ने तंबाकू की लत से उबरने के इच्छुक व्यक्तियों को समग्र सहायता प्रदान करने के लिए ईशा फाउंडेशन के साथ भागीदारी की है।
अपोलो कैंसर सेंटर में वरिष्ठ सलाहकार हेड एंड नेक ऑन्कोलॉजी सर्जन डॉ. उमानाथ नायक (Dr Umanath Nayak) ने कहा, “तंबाकू का सेवन करने वालों में गैर-उपयोगकर्ताओं की तुलना में ओरल कैंसर (Oral cancer) होने की आशंका छह से सात गुना अधिक होती है। ओरल कैंसर उन कुछ कैंसर में से एक है, जिसका पता एक साधारण मौखिक जांच के माध्यम से जल्दी लगाया जा सकता है। इस कार्यक्रम के साथ, हमारा लक्ष्य मामलों का जल्दी पता लगाना है - इससे पहले कि बहुत देर हो जाये। ”मुंह का कैंसर भारतीय पुरुषों में सबसे आम कैंसर है और महिलाओं में भी लगातार बढ़ रहा है। राज्यों में इसकी दर व्यापक रूप से भिन्न होती है: पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक जबकि केरल में सबसे कम है। महाराष्ट्र, अहमदाबाद शहरी और मेघालय में भी चिंताजनक रूप से उच्च आंकड़े रिपोर्ट किये गये हैं-जो मुख्य रूप से तंबाकू के उपयोग से हो रहे हैं।
चेन्नई स्थित अध्ययनों ने जीभ के आधार और मुंह के तल के कैंसर में वृद्धि की पहचान की है, जो उच्च मेटास्टेटिक क्षमता के लिए जाने जाते हैं।
यह बीमारी 31-50 वर्ष की आयु के व्यक्तियों को तेजी से प्रभावित कर रही है, खराब पोषण जोखिम को और बढ़ा रहा है।हैदराबाद के जुबली हिल्स स्थित अपोलो कैंसर सेंटर के हेड एंड नेक सर्जिकल ऑन्कोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. अर्शीद हकीम ने कहा “ हमारा उद्देश्य निवारक स्वास्थ्य सेवा की संस्कृति को बढ़ावा देना है। अगर समय रहते पता चल जाए तो ओरल कैंसर का इलाज संभव है। हम 30 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों, खासकर तंबाकू का सेवन करने वालों से स्क्रीनिंग करवाने का आग्रह करते हैं।”
‘ओरालाइफ’, ओरल कैंसर स्क्रीनिंग प्रोग्राम में प्रशिक्षित मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और हेड एंड नेक सर्जन द्वारा की जाने वाली व्यापक दृश्य और स्पर्शनीय मौखिक जांच शामिल है।इसका उद्देश्य लगातार अल्सर, लाल या सफेद धब्बे, गांठ और ठीक न होने वाले घावों जैसे शुरुआती चेतावनी संकेतों की पहचान करना है - जिनमें से कई को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।अपोलो ने ईशा फाउंडेशन के साथ मिलकर अपने तंबाकू छोड़ने के प्रयासों में आध्यात्मिक कल्याण को शामिल किया है। इसके हिस्से के रूप में लोगों को सद्गुरु के नेतृत्व में एक सरल लेकिन प्रभावी 7-मिनट के निर्देशित ध्यान तक पहुंच प्राप्त होगी। मिरेकल ऑफ माइंड एक निःशुल्क ध्यान ऐप है जो व्यक्तियों को अपने कल्याण की जिम्मेदारी लेने में सक्षम बनाता है।डॉ. अभिषेक बुधरापु ने कहा “ ईशा फाउंडेशन के साथ हमारा सहयोग एकीकृत देखभाल में हमारे विश्वास का प्रमाण है जहां प्रारंभिक पहचान और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।“ शोध से पता चलता है कि तंबाकू का सेवन करने वाले लोग अपने जीवनकाल में गैर-उपयोगकर्ताओं की तुलना में स्वास्थ्य सेवा पर 1.1 लाख रुपये से अधिक खर्च करते हैं।
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Fri, May 30 , 2025, 06:47 PM