Earthen pots- boon for health: आयुर्वेद विशेषज्ञों से जानें मटके के पानी के अद्भुत फायदे, इस्तेमाल करते समय बरतें 10 सावधानियां!

Fri, May 30 , 2025, 10:00 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

गर्मियों में ठंडा पानी पीना किसे पसंद नहीं होता? आजकल लोगों के पास फ्रिज है। उसमें रखे पानी को पीकर वे अपनी प्यास बुझाते हैं। हालांकि, फ्रिज के इस दौर में भी मिट्टी के बर्तनों का क्रेज बिल्कुल कम नहीं हुआ है। यह न सिर्फ पानी को प्राकृतिक रूप से ठंडा रखता है, बल्कि यह सेहत के लिए भी कई तरह से फायदेमंद है।भारत में सदियों से मिट्टी के बर्तनों या सुराही में पानी रखने की परंपरा है। आयुर्वेद में इसके कई फायदे बताए गए हैं। विज्ञान भी इस बात से काफी हद तक सहमत है।

जर्नल ऑफ इजिप्टियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन (जेईपीएफए) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, मिट्टी के बर्तनों में रखा पानी प्लास्टिक की बोतलों में रखे पानी से ज्यादा साफ और सुरक्षित होता है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) भी मिट्टी के बर्तनों के इस्तेमाल को सबसे सुरक्षित और फायदेमंद मानते हैं।

तो, आज के काम की खबरों में हम मिट्टी के बर्तन में पानी पीने के फायदों के बारे में बात करेंगे।

मिट्टी के बर्तन में पानी प्राकृतिक रूप से कैसे ठंडा होता है?
इसे साफ और सुरक्षित रखने का सही तरीका क्या है?
विशेषज्ञ: डॉ. पी.के. श्रीवास्तव, पूर्व वरिष्ठ परामर्शदाता, राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं अस्पताल, लखनऊ

मिट्टी के बर्तन में पानी प्राकृतिक रूप से कैसे ठंडा होता है?
मिट्टी के बर्तनों में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। जब पानी इन छिद्रों से रिसकर बर्तन की बाहरी सतह पर पहुँचता है, तो वह वाष्पित होने लगता है। यह एक एंडोथर्मिक प्रक्रिया है। इसका मतलब है कि जब पानी भाप में बदल जाता है, तो उसे आसपास की वस्तुओं से गर्मी सोखनी पड़ती है।

इसके लिए पानी बर्तन और उसमें मौजूद पानी से गर्मी सोखता है। इस प्रक्रिया से बर्तन और उसमें मौजूद पानी धीरे-धीरे ठंडा होता है। यह उसी तरह काम करता है जैसे पसीना हमारी त्वचा को ठंडा करता है।

मिट्टी के बर्तन में पानी पीना हमारे स्वास्थ्य के लिए कैसे फायदेमंद है?
मिट्टी प्राकृतिक रूप से क्षारीय (गैर-अम्लीय) होती है। इसलिए मिट्टी के बर्तन में रखा पानी शरीर के पीएच लेवल को संतुलित रखने में मदद करता है। इससे एसिडिटी और गैस जैसी समस्याएं कम होती हैं। पीएच लेवल बताता है कि लिक्विड कितना अम्लीय है। मिट्टी के बर्तन में मौजूद मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे मिनरल पानी में घुल जाते हैं, जिससे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बनाए रखने में मदद मिलती है।

इसके अलावा मिट्टी के बर्तन का पानी प्राकृतिक रूप से ठंडा होता है, जिसे पीने पर गले में खराश नहीं होती और शरीर का तापमान भी सही रहता है। मिट्टी में मौजूद गुण पानी को शुद्ध करते हैं, जिससे शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। 

फ्रिज के पानी से मठ का पानी बेहतर क्यों है? 
आयुर्वेदाचार्य डॉ. पी.के. श्रीवास्तव बताते हैं कि फ्रिज का पानी शरीर को जल्दी ठंडा करता है। इससे गले में खराश, जुकाम या गले में संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। जबकि मिट्टी के बर्तन का पानी सिर्फ 20-25 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा होता है, जो शरीर के तापमान के लिए उपयुक्त है। फ्रिज का बहुत ठंडा पानी पाचन को धीमा कर सकता है, जबकि मिट्टी के बर्तन का पानी पाचन में मदद करता है। इसके अलावा मिट्टी के घड़े का पानी पीने से बिजली की बचत होती है।

क्या हर रोज़ मिट्टी के घड़े का पानी पीना सुरक्षित है?
डॉ. पी.के. श्रीवास्तव कहते हैं कि नियमित रूप से मिट्टी के घड़े का पानी पीना पूरी तरह सुरक्षित और सेहत के लिए फ़ायदेमंद है। इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में हाइड्रेशन और कुछ ज़रूरी मिनरल मिलते हैं।

घड़े को साफ़ करने का सही तरीका क्या है?
इसके लिए सबसे पहले घड़े को पूरी तरह से खाली कर लें। फिर उसे अंदर से मुलायम कपड़े या स्पॉन्ज से साफ़ करें। घड़े में हाथ डालकर उसे साफ़ करने से बचें क्योंकि इससे पानी ठंडा नहीं हो सकता। इसे बाहर से धोया जा सकता है।

कभी-कभी घड़े के अंदर एक सफ़ेद परत जम जाती है। इसे हटाने के लिए आप नींबू का रस, बेकिंग सोडा, सिरका या नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इनमें से किसी भी चीज़ को पानी में मिलाकर घड़े में डालें। इसके बाद उसे अच्छी तरह घुमाएँ। आखिर में उसे ताज़े पानी से धोकर धूप में सुखाएँ। इससे घड़े में बैक्टीरिया नहीं रहते।

क्या मिट्टी के घड़े में बैक्टीरिया पनपने का ख़तरा है?
मिट्टी के बर्तनों में छिद्र होते हैं, इसलिए उनमें नमी बनी रहती है। अगर इन्हें सही तरीके से और समय पर साफ न किया जाए, तो फफूंद या बैक्टीरिया पनप सकते हैं। नियमित रूप से धूप में सुखाने और साफ करने से यह खतरा कम हो जाता है।

मटके का इस्तेमाल करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
नया बर्तन या चटाई खरीदने के बाद उसे कम से कम 12 घंटे तक पानी में भिगोकर रखें। इसके बाद उसमें साफ पानी भर दें। हर दिन या हर दूसरे दिन इसका पानी बदलें और धूप में सुखाएं, ताकि बर्तन में नमी और फफूंद न रहे। इसे तेज डिटर्जेंट या साबुन से बिल्कुल भी साफ न करें। इसके अलावा कुछ और बातें हैं, जिनका खास ख्याल रखने की जरूरत है। इसे नीचे दिए गए ग्राफिक से समझें-

क्या सभी के लिए मटके का पानी पीना सुरक्षित है?
डॉ. पी.के. श्रीवास्तव कहते हैं कि आमतौर पर यह सभी लोगों के लिए सुरक्षित है। लेकिन अगर किसी को धूल या मिट्टी से एलर्जी है, तो उसे कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा कीमोथेरेपी करा रहे लोगों को डॉक्टर की सलाह के बिना मटके का पानी नहीं पीना चाहिए।

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