वित्त वर्ष 2025-26 के लिए संशोधित ब्याज छूट योजना को जारी रखने को मंजूरी

Wed, May 28 , 2025, 04:04 PM

Source : Uni India

नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने बुधवार को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए संशोधित ब्याज छूट योजना (MISS) के तहत ब्याज छूट (IS) घटक को जारी रखने और आवश्यक निधि व्यवस्था को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की अध्यक्षता में हुयी मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है। बैठक के बाद केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव (Broadcasting Minister Ashwini Vaishnav) ने संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी देते हुये कहा कि

एमआईएसएस एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका उद्देश्य किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से किसानों को सस्ती ब्याज दर पर अल्पकालिक ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। कैबिनेट का फैसला किसानों की आय को दोगुना करने, ग्रामीण ऋण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और समय पर और सस्ती ऋण पहुंच के माध्यम से कृषि विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को पुष्ट करता है।

मंत्री ने कहा कि मौजूदा ऋण लागत प्रवृत्तियों, औसत एमसीएलआर और रेपो दर को देखते हुए, ग्रामीण और सहकारी बैंकों का समर्थन करने और किसानों के लिए कम लागत वाले ऋण तक निरंतर पहुंच सुनिश्चित करने के लिए ब्याज छूट दर को 1.5 प्रतिशत पर बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि योजना के तहत किसानों को केसीसी के माध्यम से सात प्रतिशत की रियायती ब्याज दर पर तीन लाख रुपये तक के अल्पकालिक ऋण प्राप्त हुए, जिसमें पात्र ऋण देने वाली संस्थाओं को 1.5 प्रतिशत ब्याज छूट प्रदान की गई।

उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त समय पर ऋण चुकाने वाले किसान शीघ्र पुनर्भुगतान प्रोत्साहन (पीआरआई) के रूप में तीन प्रतिशत तक के प्रोत्साहन के पात्र हैं, जिससे केसीसी ऋण पर उनकी ब्याज दर प्रभावी रूप से चार प्रतिशत तक कम हो जाती है। पशुपालन या मत्स्य पालन के लिए लिये गए ऋणों पर ब्याज लाभ दो लाख रुपये तक लागू है। वैष्णव ने कहा कि देश में 7.75 करोड़ से अधिक केसीसी खाते हैं। इस समर्थन को जारी रखना कृषि के लिए संस्थागत ऋण के प्रवाह को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, जो उत्पादकता बढ़ाने और छोटे और सीमांत किसानों के लिए वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

केसीसी के माध्यम से संस्थागत ऋण वितरण 2014 में 4.26 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2019 में 1.25 लाख करोड़ रुपये और दिसंबर 2024 तक 10.05 लाख करोड़ रुपये हो गया। कुल कृषि ऋण प्रवाह भी वित्त वर्ष 2013-14 में 7.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 25.49 लाख करोड़ रुपये हो गया। अगस्त 2023 में किसान ऋण पोर्टल (केआरपी) के शुभारंभ जैसे डिजिटल सुधारों ने दावा प्रसंस्करण में पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ाया गया है।

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