Death anniversary: पहली बोलती फिल्म आलम आरा का नायक बनने से रह गए थे महबूब खान, उनके जगह मिला मास्टर विट्ठल को मौका 

Wed, May 28 , 2025, 12:47 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

The first talking film Alam Ara: हिन्दी सिनेमा जगत के युगपुरुष (epochal man of Hindi cinema) महबूब खान (Mehboob Khan) देश की पहली बोलती फिल्म आलम आरा में नायक बनने से वंचित रह गये थे। भारत की पहली बोलती फिल्म आलम आरा के लिये महबूब खान का अभिनेता के रूप में चयन किया गया था, लेकिन फिल्म निर्माण के समय आर्देशिर ईरानी ने महसूस किया कि फिल्म की सफलता के लिए नये कलाकार को मौका देने के बजाय किसी स्थापित अभिनेता को यह भूमिका देना सही रहेगा। बाद में उन्होंने महबूब खान की जगह मास्टर विट्ठल (Master Vitthal) को इस फिल्म में काम करने का अवसर दिया।

महबूब खान (original name Ramzan Khan) का जन्म 1906 में गुजरात के बिलमिरिया में हुआ था। वह युवावस्था में घर से भागकर मुंबई आ गये और एक स्टूडियों में काम करने लगे। उन्होंने अपने करियर की शुरूआत 1927 में प्रदर्शित फिल्म‘अलीबाबा एंड फोर्टी थीफस’ से अभिनेता के रूप में की। इस फिल्म में उन्होंने 40 चोरों में से एक चोर की भूमिका निभायी थी। इसके बाद महबूब खान सागर मूवीटोन से जुड़ गये और कई फिल्मों में सहायक अभिनेता के रूप में काम किया।

वर्ष 1935 में उन्हें ‘जजमेंट ऑफ अल्लाह’ फिल्म के निर्देशन का मौका मिला। अरब और रोम के बीच युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित यह फिल्म दर्शकों को काफी पसंद आई। महबूब खान को 1936 में ‘मनमोहन’ और 1937 में ‘जागीरदार‘ फिल्म को निर्देशित करने का मौका मिला लेकिन ये दोनों फिल्में टिकट खिडक़ी पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकीं। वर्ष 1937 में उनकी ‘एक ही रास्ता‘ प्रदर्शित हुयी। सामाजिक पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म दर्शकों को काफी पसंद आई। इस फिल्म की सफलता के बाद वह निर्देशक के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये।

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