बॉम्बे उच्च न्यायालय ने पुलिस से यमन शरणार्थी को रिहा करने को कहा, साथ ही ग्रेटर मुंबई को नहीं छोड़ने और मोबाइल लोकेशन एक्टिव रखने का निर्देश दिया

Wed, May 28 , 2025, 12:06 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुंबई। बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने यमन नागरिक (Yemeni citizen) मोहम्मद कासिम मोहम्मद अल शिबाह को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भी यहां रहने पर पुलिस ने 16 मई से बायकुला पुलिस थाने (Byculla police station) में हिरासत में रखा गया था। एक अधिवक्ता ने बुधवार को यह जानकारी दी। न्यायमूर्ति गौरी गोडसे (Justice Gauri Godse) और न्यायमूर्ति सोमशेखर सुंदरसन (Justice Somshekhar Sundaresan) की अवकाश पीठ ने बिना औपचारिक आदेश के शरणार्थी के हिरासत को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया। 

न्यायालय ने आदेश पारित करते हुए निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता अल शिबाह को “तुरंत” रिहा किया जाए और उन्हें न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना ग्रेटर मुंबई के अधिकार क्षेत्र को नहीं छोड़ने और अपने मोबाइल फोन पर लोकेशन सेवाओं को सक्रिय (एक्टिव) रखने का निर्देश दिया। न्यायालय ने मुंबई में उचित हिरासत सुविधाओं की कमी पर कड़ी आपत्ति जताई तथा विदेशी अधिनियम के तहत ऐसे मामलों को संभालने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के तहत नामित शरणार्थी अल शिबाह सितंबर 2015 में अपने वीजा की अवधि समाप्त होने के बावजूद परिवार के साथ भारत में रहा है। उसके परिवार के छह सदस्यों के खिलाफ भी निर्वासन आदेश जारी किए गए थे, जिनमें तीन नाबालिग भी शामिल थे। न्यायाधीशों ने निर्दिष्ट हिरासत केंद्रों के न होने के कारण पुलिस थाने में लंबे समय तक हिरासत में रहने पर चिंता व्यक्त की। पीठ ने पूछा, “अगर बंदी के साथ कुछ हो जाए तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा?”

अल शिबाह की ओर से पेश हुए अधिवक्ता वेस्ले मेनेजेस ने दलील दी कि उनके मुवक्किल का वीजा अवधि समाप्त होने के बाद भारत में रहने के अलावा कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। उन्होंने कहा, “वह सार्वजनिक व्यवस्था के लिए कोई खतरा नहीं है और उचित माध्यमों से कानूनी पुनर्वास की मांग कर रहा है।” उन्होंने अदालत को बताया कि शिबाह के परिवार को अगस्त 2027 तक यूएनएचसीआर द्वारा शरणार्थी का दर्जा दिया गया है और वह कनाडा में बसने की प्रक्रिया में है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी प्रक्रिया जिसके लिए उसे भारत में 12 महीने और बिताने होंगे।

अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता पूर्णिमा कंथारिया ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अल शिबाह अपने वीज़ा की अवधि से अधिक समय तक भारत में रहा है और यहीं व्यवसाय चला रहा है। जब अदालत ने उसे रिहा करने का निर्देश दिया है, तो अधिवक्ता कंथारिया ने अनुरोध किया कि उसे दिन में तीन बार पुलिस थाने में पेश होने का आदेश दिया जाय। इसके बाद पीठ ने सुझाव दिया कि शिबाह अपने मोबाइल फोन पर लोकेशन सेवाएं सक्रिय रखें। न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से दो सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 16 जून को मुकर्रर की गयी है।

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