श्रीनगर। कश्मीर घाटी में सर्दियों के बाद सबसे पहले पकने वाला फल स्ट्रॉबेरी (Strawberry) स्थानीय बाजारों में आ गया है, लेकिन किसानों के बीच इसको लेकर कोई खास उत्साह नहीं देखने को मिल रहा है। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले (terrorist attack) के कारण मांग और कीमतों में अचानक आई गिरावट ने स्ट्रॉबेरी उत्पादकों को इस समय घाटा उठाना पड़ रहा है (Impact of Pahalgam attack on strawberry farming)। श्रीनगर के बाहरी इलाके हजरतबल के गुस्सो गांव के किसानों का कहना है कि पहलगाम की घटना ने स्ट्रॉबेरी बाजार (strawberry market) पर बुरा असर डाला है। गुस्सो के किसान मंजूर अहमद ने कहा, “स्थानीय लोगों और पर्यटकों दोनों को स्ट्रॉबेरी का बेसब्री से इंतजार रहता है और बाजार में शुरुआत में काफी उत्साह था, लेकिन पहलगाम की घटना ने रातों-रात सब कुछ बदल दिया। कीमतें गिर गईं और मांग खत्म हो गई।
पिछले आठ वर्षों से स्ट्रॉबेरी की खेती (cultivating strawberries) कर रहे मंजूर ने बताया कि जो फल पहले 80 से 100 रुपये प्रति पेटी मिलता था, वह अब 40 रुपये में बिक रहा है। इसी तरह, बड़े बक्से जो कभी 600 रुपये में मिलते थे, अब 250 रुपये में बिक रहे हैं। उन्होंने कहा, "इस फल की शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है। एक बार कटाई के बाद केवल तीन से चार दिन ही इसे सुरक्षित रखा जा सकता है। हम इसे बर्बाद नहीं होने दे सकते हैं।" उन्होंने भंडारण और परिवहन सुविधाओं की कमी पर निराशा व्यक्त की।
कश्मीर में स्ट्रॉबेरी की खेती एक अपेक्षाकृत नई प्रथा है। श्रीनगर और गंदेरबल के कुछ हिस्सों में कई किसान पारंपरिक सब्जी की खेती से इस फसल की ओर रुख कर रहे हैं। गुस्सू घाटी में प्रमुख स्ट्रॉबेरी उत्पादक क्षेत्रों में से एक के रूप में उभरा है। अधिकारियों ने कहा कि कश्मीर में सालाना 300 मीट्रिक टन से अधिक स्ट्रॉबेरी का उत्पादन होता है। पिछले साल जम्मू- कश्मीर प्रशासन ने स्ट्रॉबेरी को जम्मू के बाजारों में ले जाने के लिए रेफ्रिजरेटेड वाहनों की व्यवस्था की थी, जिससे नुकसान को रोकने में मदद मिली। हालांकि, किसानों का आरोप है कि इस साल ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है।
मंज़ूर ने कहा, "किसान असहाय हैं। कई लोग अब बार-बार होने वाली असफलताओं और सिकुड़ती कृषि भूमि के कारण स्ट्रॉबेरी की खेती को पूरी तरह से छोड़ने पर विचार कर रहे हैं।" उन्होंने सरकार से समय पर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। क्षेत्र के एक अन्य किसान एजाज अहमद ने भी इसी चिंता को दोहराया और कहा कि अगर उचित ध्यान दिया जाए तो स्ट्रॉबेरी की खेती एक फलता-फूलता उद्योग बन सकती है।
उन्होंने कहा कि जम्मू- कश्मीर की जलवायु स्ट्रॉबेरी के लिए आदर्श है, लेकिन बाजार समर्थन, भंडारण समाधान और प्रभावी परिवहन के बिना, इस फल की क्षमता बर्बाद हो जाएगी। बागवानी विभाग के तकनीकी अधिकारी मोहम्मद अमीन ने कहा कि इस साल स्ट्रॉबेरी का उत्पादन अच्छा है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में कुछ चुनौतियां थीं, लेकिन अब चीजें स्थिर हो रही हैं।
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Sat, May 17 , 2025, 02:08 PM