मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने तरलता कवरेज अनुपात (LCR) ढांचे में अहम बदलावों को अंतिम रूप दे दिया है और ये निर्देश 01 अप्रैल, 2026 से लागू होंगे और इससे बैंकों की तरलता प्रबंधन प्रणाली अधिक मजबूत और वैश्विक मानकों के अनुरूप बन सकेगी।
आरबीआई ने तरलता मानकों को और मज़बूती देने के उद्देश्य से तरलता कवरेज अनुपात (LCR) ढांचे में संशोधन संबंधी अंतिम दिशा-निर्देश सोमवार को जारी कर दिए। ये दिशा-निर्देश 25 जुलाई, 2024 को जारी मसौदा परिपत्र के आधार पर तैयार किए गए हैं, जिसमें बैंकों और अन्य हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किए गए थे।
केंद्रीय बैंक के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग सक्षम खुदरा एवं छोटे व्यवसाय ग्राहकों की जमाओं पर 2.5 प्रतिशत की अतिरिक्त रन-ऑफ दर लागू की जाएगी। साथ ही बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों (स्तर 1 एचक्यूएलए) के मूल्य को लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (एलएएफ) और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (LAF) के तहत मार्जिन आवश्यकताओं के अनुरूप समायोजित करना होगा।
इसके अलावा, 'अन्य कानूनी संस्थाओं' जैसे ट्रस्ट (शैक्षणिक, धर्मार्थ, धार्मिक), भागीदारी और एलएलपी से प्राप्त थोक वित्तपोषण पर रन-ऑफ दर को 100 प्रतिशत से घटाकर 40 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे उनकी तरलता में सुधार होगा। आरबीआई ने बताया कि उसके द्वारा 31 दिसंबर, 2024 तक के आंकड़ों के आधार पर किए गए विश्लेषण में पाया गया है कि इन सुधारात्मक उपायों से बैंकों के एलसीआर में औसतन छह प्रतिशत अंकों का सुधार होगा जबकि सभी बैंक नियामक न्यूनतम एलसीआर आवश्यकता को आसानी से पूरा करते रहेंगे। केंद्रीय बैंक को भरोसा है कि यह कदम न केवल बैंकिंग प्रणाली को और अधिक लचीला बनाएगा बल्कि वैश्विक मानकों के साथ तालमेल बिठाने में भी मदद करेगा। बैंकों को अपनी आंतरिक प्रणाली को नए मानकों के अनुसार तैयार करने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है और ये संशोधित दिशा-निर्देश 01 अप्रैल, 2026 से प्रभावी होंगे।
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Mon, Apr 21 , 2025, 07:35 PM