मुंबई: भारत में शादियों का सीजन शुरू होने वाला है। आजकल हर जगह शादियाँ हो रही हैं। इस बीच इससे जुड़ी रील्स भी वायरल हो गई थीं। लेकिन इस मजेदार बात से इतर, डॉक्टरों के अनुसार, आजकल के युवा एक विशेष बीमारी से पीड़ित हैं। इसलिए इसका समय रहते इलाज करना जरूरी है।
हाल के दिनों में गेमोफोबिया के कई मामले डॉक्टरों के ध्यान में आए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि हाल ही में ऐसे मामलों में बढ़ोतरी हुई है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर गेमोफोबिया क्या है? यह किस प्रकार की बीमारी है?
गेमोफोबिया क्या है?
'गैमोफोबिया' शब्द दो ग्रीक शब्दों से मिलकर बना है - गैमोस जिसका अर्थ है विवाह और फोबोस जिसका अर्थ है डर। यानि शादी का डर - एक मानसिक स्थिति जहां व्यक्ति शादी के विचार से ही डर जाता है या भाग जाता है।
जयपुर के कुछ मनोचिकित्सकों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में गेमोफोबिया के रोगियों की संख्या में वृद्धि हुई है। दिलचस्प बात यह है कि ये मरीज अक्सर शिक्षित, अच्छे वेतन पाने वाले और आत्मनिर्भर युवा होते हैं। जब उनके जीवन में सब कुछ ठीक चल रहा होता है, तब भी जब शादी का नाम लिया जाता है, तो वे डर जाते हैं, मानो वे अपनी आजादी खो रहे हों।
यह भय विशेष रूप से तीस वर्ष से अधिक आयु के लोगों में अधिक पाया जाता है। कई लोगों को तो यह भी पता नहीं होता कि उन्हें मानसिक स्वास्थ्य समस्या है। इसलिए वे लगातार शादी से बचते हैं और कभी-कभी अगर पारिवारिक दबाव के कारण वे शादी कर भी लेते हैं तो रिश्ता लंबे समय तक नहीं चल पाता।
डॉक्टरों का कहना है कि गेमोफोबिया को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है, लेकिन इसके लक्षणों को पहचानना और विशेषज्ञ से संपर्क करना जरूरी है। इस फोबिया को मनोचिकित्सा, परामर्श और कभी-कभी दवा के माध्यम से नियंत्रण में लाया जा सकता है।
क्या यह आपके साथ हो रहा है? क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिसे इस प्रकार का डर हो? इसलिए यह जानकारी उन तक अवश्य पहुंचाएं क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
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Sat, Apr 12 , 2025, 10:00 AM