Last wish before hanging: हर फांसी से पहले कैदी की आखिरी इच्छा क्यों पूछी जाती है? क्या कैदी की हर आखिरी इच्छा पूरी की जाती है? पता लागायें!

Sat, Apr 05 , 2025, 09:45 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

आपने अक्सर सुना होगा कि किसी मामले में दोषी पाए गए व्यक्ति को मौत की सजा दी जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि किसी अपराधी को किस नियम के तहत फांसी दी जाती है? आपने फिल्मों या टीवी सीरियलों में देखा होगा कि फांसी पर लटकाए जाने से पहले अपराधी की आखिरी इच्छा पूछी जाती है। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा होता है? और यदि हां, तो यह परंपरा कब और कहां शुरू हुई? तो, आइये इसके बारे में और जानें।

यह परंपरा कब शुरू हुई?
फांसी दिए जाने से पहले प्रत्येक कैदी से उसकी अंतिम इच्छा पूछी जाती है। यद्यपि इस परंपरा की शुरूआत कब हुई, इसके बारे में कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह सदियों से चली आ रही है। प्राचीन समय में लोगों का मानना ​​था कि यदि किसी मरते हुए व्यक्ति की अंतिम इच्छा पूरी नहीं की गई तो उसकी आत्मा भटकती रहेगी। इसी कारण आज भी किसी भी कैदी को फांसी देने से पहले उसकी अंतिम इच्छा पूछी जाती है। हालांकि, जेल मैनुअल में अंतिम इच्छा पूछने का कोई प्रावधान नहीं है, फिर भी यह परंपरा आज भी निभाई जाती है।

अंतिम इच्छाएं क्या हैं?
दिल्ली जेल में लंबे समय तक अधिकारी रहे सुनील गुप्ता ने एक बार कहा था कि जेल मैनुअल में अंतिम इच्छाओं के पालन का कोई प्रावधान नहीं है। यदि कोई कैदी अपनी अंतिम इच्छा के नाम पर फांसी न दिए जाने का अनुरोध करता है, तो उस अनुरोध पर विचार नहीं किया जाता। फिर भी परंपरा के अनुसार उनकी अंतिम इच्छा पूछी जाती है। कैदी से पूछा जाता है कि वह आखिरी बार क्या खाना चाहेगा, क्या वह अपने परिवार से मिलना चाहेगा, क्या वह किसी पादरी या मौलवी से मिलना चाहेगा, या वह कौन सी धार्मिक पुस्तकें पढ़ना चाहेगा।

सूर्योदय के समय ही फाँसी क्यों दी जाती है?
यदि कैदी कोई अन्य इच्छा व्यक्त करता है, तो जेल के नियमों के अनुसार यह जांच की जाती है कि क्या उसकी इच्छा पूरी की जा सकती है। यदि इसमें बहुत अधिक समय लगता है तो इसे इच्छा नहीं माना जाता। उदाहरण के लिए, यदि दोषी को अंतिम 14 दिनों में पढ़ने के लिए कुछ पुस्तकों की आवश्यकता होती है, तो उसे पुस्तकें दी जाती हैं। इसके अतिरिक्त, फांसी हमेशा सुबह के समय दी जाती है, क्योंकि इससे अन्य कैदियों के काम में बाधा नहीं आती। दूसरा कारण यह है कि फांसी सुबह के समय दी जाती है ताकि परिवार को दोषी का अंतिम संस्कार करने के लिए समय मिल सके।

Latest Updates

Latest Movie News

Get In Touch

Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.

Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265

info@hamaramahanagar.net

Follow Us

© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups