देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण फिल्मों के जरिये दर्शकों के दिलों पर राज किया मनोज कुमार ने

Fri, Apr 04 , 2025, 03:03 PM

Source : Uni India

मुंबई, 04 अप्रैल (वार्ता)। बॉलीवुड (Bollywood) में मनोज कुमार (Manoj Kumar) का नाम ऐसे फिल्मकार-अभिनेता (Filmmaker-actor) के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण फिल्मों के जरिये दर्शकों के दिलों (Hearts) पर राज किया।
मनोज कुमार मूल नाम हरिकिशन गिरी गोस्वामी (Hari Kishan Giri Goswami) का जन्म 24 जुलाई 1937 को हुआ था। जब वह महज दस वर्ष के थे तब उनका पूरा परिवार राजस्थान के हनमुनगढ़ जिले में आकर बस गया ।बचपन के दिनों में मनोज कुमार ने दिलीप कुमार अभिनीत फिल्म ..शबनम ..देखी थी। इस फिल्म में दिलीप कुमार के निभाये किरदार से मनोज कुमार इस कदर प्रभावित हुये कि उन्होंने भी फिल्म अभिनेता बनने का फैसला कर लिया ।
मनोज कुमार ने अपनी स्नातक की शिक्षा दिल्ली के मशहूर हिंदू कॉलेज से पूरी की ।इसके बाद बतौर अभिनेता बनने का सपना लेकर वह मुंबई आ गये। बतौर अभिनेता मनोज कुमार ने अपने सिने करियर की शुरूआत वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म ..फैशन ..से की। फिल्म में मनोज कुमार ने छोटी सी भूमिका निभायी थी।वर्ष 1957 से 1962 तक मनोज कुमार फिल्म इंडस्ट्री मे अपनी जगह बनाने के लिये संघर्ष करते रहे । फिल्म .फैशन.के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली वह उसे स्वीकार करते चले गये । इस बीच उन्होंने कांच की गुडि़या .रेशमी रूमाल .सहारा .पंयायत .सुहाग सिंदूर .हनीमून ..पिया मिलन की आस जैसी कई बी ग्रेड फिल्मों मे अभिनय किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुयी ।
मनोज कुमार के अभिनय का सितारा निर्माता-निर्देशक विजय भटृ की वर्ष1962 में प्रदर्शित क्लासिक फिल्म ..हरियाली और रास्ता .. से चमका ।फिल्म में मनोज कुमार के अपोजिट माला सिन्हा थी।मनोज कुमार और माला सिन्हा की जोड़ी को दर्शकों ने बेहद पसंद किया। वर्ष 1964 में मनोज कुमार की एक और सुपरहिट फिल्म ..वह कौन थी ..प्रदर्शित हुयी ।फिल्म में उनकी नायिका की भूमिका साधना ने निभायी ।रहस्य और रोमांच से भरपूर इस फिल्म में साधना की रहस्यमय मुस्कान के दर्शक दीवाने हो गये।
वर्ष 1965 में ही मनोज कुमार की एक और सुपरहिट फिल्म गुमनाम भी प्रदर्शित हुयी। इस फिल्म में रहस्य और रोमांस के ताने.बानेसे बुनी. मधुर गीत.संगीत और ध्वनि के कल्पनामय इस्तेमाल किया गया था। वर्ष 1965 में ही मनोज कुमार को विजय भटृ की फिल्म ..हिमालय की गोद में काम करने का मौका मिला जो टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुयी।इस फिल्म में भी मनोज कुमार की नायिका माला सिन्हा थी। वर्ष 1965 में प्रदर्शित फिल्म ..शहीद ..मनोज कुमार के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है ।देशभक्ति के जज्बे से परिपूर्ण इस फिल्म में मनोज कुमार ने भगत सिंह की भूमिका को रूपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया ।फिल्म से जुड़ा दिलचस्प तथ्य है कि मनोज कुमार के ही कहने पर गीतकार प्रेम धवन ने न इस फिल्म के गीत लिखे साथ ही फिल्म का संगीत भी दिया ।उनके रचित गीत..ऐ मेरे प्यारे वतन.. और ..मेरा रंग दे बसंती चोला.. आज भी उसी तल्लीनता से सुने जाते हैं. जिस तरह उस दौर में सुने जाते थे ।
वर्ष 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की समाप्ति के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने देश में किसान और जवान की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुये ..जय जवान जय किसान ..का नारा दिया और मनोज कुमार से इसपर फिल्म बनाने की पेशकश की ।बाद में मनोज कुमार ने फिल्म उपकार का निर्माण किया। वर्ष 1967 में प्रदर्शित फिल्म ..उपकार ..में मनोज कुमार ने किसान की भूमिका के साथ ही जवान की भूमिका में भी दिखाई दिये।फिल्म में उनके चरित्र का नाम ..भारत ..था बाद में इसी नाम से वह फिल्म इंडस्ट्री में मशहूर हो गये ।
वर्ष 1970 में मनोज कुमार के निर्माण और निर्देशन में बनी एक और सुपरहिट फिल्म ..पूरब और पश्चिम ..प्रदर्शित हुयी ।फिल्म के जरिये मनोज कुमार ने एक ऐसे मुद्दे को उठाया जो दौलत के लालच में अपने देश की मिट्टी को छोड़कर पश्चिम में पलायन करने को मजबूर है ।वर्ष 1972 में मनोज कुमार के सिने करियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म ..शोर ..प्रदर्शित हुयी । वर्ष 1974 में प्रदर्शित फिल्म ..रोटी कपड़ा और मकान ..मनोज कुमार के करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में शुमार की जाती है । इस फिल्म के जरिये मनोज कुमार ने समाज की अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट की साथ ही आम आदमी की जिंदगी में जरूरी रोटी .कपड़ा और मकान के मुद्दे को उठाया ।
वर्ष 1976 में प्रदर्शित फिल्म .दस नंबरी .की सफलता के बाद मनोज कुमार ने लगभग पांच वर्षो तक फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर लिया। वर्ष 1981 में मनोज कुमार ने फिल्म ..क्रांति ..के जरिये अपने सिने करियर की दूसरी पारी शुरू की ।दिलचस्प बात है इसी फिल्म के जरिये मनोज कुमार के आदर्श दिलीप कुमार ने भी अपने सिने करियर की दूसरी पारी शुरू की थी ।देशभक्ति के जज्बे से परिपूर्ण फिल्म में मनोज कुमार और दिलीप कुमार की जोड़ी को जबरदस्त सराहना मिली ।
वर्ष 1983 में अपने पुत्र कुणाल गोस्वामी को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने के लिये मनोज कुमार ने फिल्म ..पेन्टर बाबू ..का निर्माण किया लेकिन कमजोर पटकथा और निर्देशन के कारण फिल्म टिकट खिड़की पर औंधे मुंह गिरी ।फिल्म की असफलता से मनोज कुमार ने लगभग छह वर्ष तक फिल्म निर्माण से किनारा कर लिया । वर्ष 1989 में मनोज कुमार एक बार फिर से फिल्म निर्माण और निर्देशन के क्षेत्र में वापस आये और फिल्म ..क्लर्क ..का निर्माण किया
लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म भी टिकट खिड़की पर असफल साबित हुयी ।वर्ष 1999 में प्रदर्शित फिल्म ..जय हिंद बतौर निर्माता-निर्देशक मनोज कुमार के सिने करियर की अंतिम फिल्म साबित हुयी जो टिकट खिड़की पर बुरी तरह नकार दी गयी ।
मनोज कुमार अपने सिने करियर में सात फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किये गये। इन सबके साथ ही फिल्म के क्षेत्र में मनोज कुमार के उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये उन्हें वर्ष 2002 में पदमश्री पुरस्कार,वर्ष 2008 में स्टार स्क्रीन लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार और वर्ष 2016 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

Latest Updates

Latest Movie News

Get In Touch

Mahanagar Media Network Pvt.Ltd.

Sudhir Dalvi: +91 99673 72787
Manohar Naik:+91 98922 40773
Neeta Gotad - : +91 91679 69275
Sandip Sabale - : +91 91678 87265

info@hamaramahanagar.net

Follow Us

© Hamara Mahanagar. All Rights Reserved. Design by AMD Groups