वक्फ संशोधन विधेयक पर लगी संसद की मुहर

Fri, Apr 04 , 2025, 02:43 PM

Source : Uni India

नयी दिल्ली 04 अप्रैल (वार्ता)। राज्यसभा (Rajya Sabha) ने वक्फ बोर्डों (Wakf Boards) की जवाबदेही , पारदर्शिता तथा दक्षता बढाने के लिए लाये गये वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2025 को विपक्षी सदस्यों के सभी संशोधनों को खारिज करते हुए शुक्रवार तड़के मतविभाजन के जरिये 93 के मुकाबले 128 मतों से पारित कर दिया। इस तरह से इस पर संसद (Parliament) की मुहर लग गयी। लोकसभा (Lok Sabha) इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
सदन ने द्रमुक के तिरूचि शिवा के एक संशोधन प्रस्ताव को भी मतविभाजन के जरिये खारिज किया। इस प्रस्ताव के पक्ष में 92 और विपक्ष में 125 मत पड़े। विपक्षी दलों के अनेक सदस्यों ने विधेयक के तकरीबन हर अनुच्छेद में संशोधन के प्रस्ताव दिये थे लेकिन सदन (House) ने इन सभी प्रस्तावों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया।
सभापति जगदीप धनखड़ (Chairman Jagdeep Dhankhar) ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने से जुड़े सांवधिक संकल्प को ध्वनिमत से मंजूर किये जाने के बाद तड़के चार बजे के बाद सदन को बताया कि पहले इस विधेयक पर मतविभाजन में पक्ष में 128 और विपक्ष के 95 मत पड़े थे लेकिन जब सभी पर्चियों और इलेक्ट्रानिक मतों का मिलान किया गया तो यह पाया गया कि दो सदस्य सुश्री डोला सेन और श्री सुब्रता बनर्जी अपनी अपनी सीट से इलेक्ट्रानिक तरीके से मतदान नहीं किये थे। सुश्री सेन अपनी निर्धारित सीट 151 पर और श्री बनर्जी सीट नंबर 133 से मतदान नहीं किये थे जिसके कारण नियम के अनुसार इन दोनों मतों को निरस्त कर दिया गया है।
इस तरह से विपक्ष में पड़े 95 में से दो मत निरस्त करने के बाद 93 मत रह गये। ये दोनों सदस्य तृणमूल कांग्रेस के हैं और पार्टी ने सदन में इस विधेयक के विरोध में मतदान किया था।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू (Affairs Minister Kiren Rijiju) ने विधेयक पर करीब तेरह घंटे चली चर्चा का देर रात सवा एक बजे बेहद संक्षिप्त जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक किसी की धार्मिक भावना को चोट पहुंचाने के लिए नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय के अधिक से अधिक लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए लाया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वक्फ संपत्तियों में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि सरकार ने विधेयक में संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों तथा देश भर के अन्य हितधारकों के ज्यादा से ज्यादा सुझावों को शामिल किया है। उन्होंने कहा कि मसौदा विधेयक और मूल विधेयक के स्वरूपों को देखकर इस बात का भलीभांति अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार ने सभी हितधारकों को साथ लेकर चलने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि जिन संपत्तियों के दस्तावेज हैं उनके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जायेगी।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि विपक्ष कह रहा है कि देश के मुसलमान गरीब हैं तो सोचने की बात है कि वे किसके कारण गरीब हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश में सबसे अधिक समय तक सरकार तो कांग्रेस की ही रही है। वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम को शामिल किये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड एक वैधानिक संस्था है तो इस तरह की संस्थाओं का धर्मनिरपेक्ष होना जरूरी है इसलिए इसमें मुस्लिम समुदाय से अलग कुछ लोगों को शामिल किया जा रहा है लेकिन उनका बहुमत नहीं रहेगा और वक्फ बोर्ड का प्रबंधन मुस्लिमों के पास ही रहेगा।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि देश भर से अनेक शिष्टमंडलों ने वक्फ बोर्डों में एकाधिकार को समाप्त करने की मांग की थी और इसे ध्यान में रखकर विधेयक में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देकर इसे समावेशी बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से मुसलमानों का फायदा होने वाला है और विपक्ष को लोगों को बेवजह गुमराह नहीं करना चाहिए।
उनके जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। संशाेधन के प्रस्ताव कांग्रेस के नासिर हुसैन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के पी संदोष कुमार, जॉन ब्रिटास , माकपा के ए ए रहीम, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वी शिवादासन , राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) की फौजिया खान, द्रमुक के तिरूचि शिवा , द्रमुक की कनिमोझी एन वी एन सोमू , आई यू एम एल के अब्दुल वहाब और भाकपा के पी पी सुनीर आदि सदस्यों ने दिये थे।

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