Jalaun Wali Mata Temple: आस्था का केंद्र बना जालौन वाली माता का मंदिर ! लगा भक्तों का तांता, महर्षि वेदव्यास ने की थी मंदिर की स्थापना 

Mon, Mar 31 , 2025, 12:41 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

जालौन। उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में स्थित प्रसिद्ध जालौन वाली माता का मंदिर (Jalaun Wali Mata Temple) श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। नवरात्रि के पावन अवसर पर भक्त बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचकर माता के दर्शन कर रहे हैं। पंडित मदन शुक्ला पुजारी ने सोमवार को बताया कि यह प्राचीन मंदिर जालौन तहसील के कुठौंद क्षेत्र में ग्राम पंचायत कंझरीक्षेत्र (Gram Panchayat Kanjhari Kshetra) के यमुना नदी के बीहड़ इलाके में स्थित है। मान्यता है कि द्वापर युग में महर्षि वेदव्यास (Maharishi Ved Vyas) ने इस मंदिर की स्थापना की थी। ऐसा भी कहा जाता है कि जब पांडव वनवास पर थे, तब उन्होंने यहां कठोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप देवी मां ने उन्हें दर्शन दिए थे।

इस मंदिर पर पांडवों ने तपस्या की थी
श्रद्धालु मंदिर में देवी मां की आराधना कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। मां जयंती देवी, जिन्हें स्थानीय लोग जालौन वाली माता कहते हैं, की महिमा अपार है। यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। किवदंतियां हैं कि जब पांडवों को वनवास हुआ था, तब इस मंदिर पर पांडवों ने तपस्या की थी। इस दौरान स्वयं देवी मां प्रकट हुई थीं, जिसके बाद से इस मंदिर पर जो भी मत्था टेकता है, उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है। दस्युओं की मातारानी के नाम से भी इस मंदिर को जाना जाता है। 

मन्नत पूरी होने पर भक्त जवार चढ़ाते हैं 
स्थानीय लोगों के अनुसार बीहड़ के जंगलों में जिस भी डकैत का साम्राज्य स्थापित रहा है, उसकी विशेषता रही है कि वह जालौन वाली माता के मंदिर में दर्शन करने के साथ ही घंटे भी चढ़ाता रहा है। डकैत मलखान सिंह, पहलवान सिंह, निर्भय सिंह गुर्जर, फक्कड़ बाबा, फूलन देवी, लवली पाण्डेय, अरविन्द गुर्जर आदि लोग ऐसे डकैत थे, जो समय-समय पर इस मंदिर में माथा टेकने आते थे। इस मंदिर की खास विशेषता यह है कि जब भी कोई श्रद्धालु मंदिर में मन्नत मांगने आता है और जब वह पूरी हो जाती है तो वह मंदिर में जवारे चढ़ाने जरूर आता है। इसे श्रद्धालु अपने सिर पर रखकर पैदल ही बीहड़ में स्थित इस मंदिर में पहुंचते हैं। 

गोलियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता था मंदिर का परिसर 
नवरात्र के 9 दिनों में यहां पर मेले का उत्सव रहता है। यहां पर जालौन के साथ-साथ औरैया, इटावा, कानपुर देहात, भिंड, मुरैना, हमीरपुर, झांसी, ललितपुर, ग्वालियर और दतिया से श्रद्धालु दर्शन करने के लिये आते हैं। जालौन वाली माता के इस मंदिर में डकैत नवरात्र के समय आकर पूजा अर्चना करते थे। साथ ही मां को प्रसन्न करने के लिए बलि भी चढ़ाते थे। इतना ही नहीं जब डकैत दर्शन करने के लिये आते थे तो गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा बीहड़ को गूंज उठता था। लेकिन आज बीहड़ के इस मंदिर में गोलियों की जगह शंख और झालरों की आवाज सुनाई देती है।  जालौन वाली माता के दर्शन के लिये नवरात्र में दूर दराज से श्रद्धालु आते हैं। इसका मुख्य कारण बीहड़ इलाके का दस्यु मुक्त होना है।

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