आज हम आपको महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं। मान लीजिए, किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद, क्या केवल उसका नामित व्यक्ति ही उसके बीमा का दावा करने का हकदार है? अथवा क्या उस व्यक्ति के कानूनी उत्तराधिकारी बीमा राशि प्राप्त करने का दावा कर सकते हैं? इसके बारे में अधिक जानें.
ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां व्यक्ति ने विवाह से पहले अपने माता-पिता या भाई-बहनों को अपनी बीमा पॉलिसी का नामिती बना दिया था। विवाह के बाद व्यक्ति अपनी पत्नी और बच्चों को नामांकित नहीं कर सकता। व्यक्ति की पत्नी, बच्चे और माता-पिता के बीच कानूनी विवाद शुरू हो जाता है।
उच्च न्यायालय ने इस मामले का निपटारा कर दिया।
हाल ही में कर्नाटक उच्च न्यायालय में भी ऐसा ही मामला सामने आया। जिसमें बेटे ने शादी से पहले अपनी मां को एक बीमा पॉलिसी का नॉमिनी बनाया था। विवाह के बाद पति की मृत्यु हो जाने पर, बीमा राशि के दावे को लेकर पत्नी और उसकी मां के बीच कानूनी विवाह शुरू हुआ।
क्या कानूनी उत्तराधिकारियों के भी अधिकार हैं?
इस मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक बड़ा फैसला देते हुए कहा है कि बीमा पॉलिसी में नामित व्यक्ति को बीमा पॉलिसी के संपूर्ण दावे पर अधिकार नहीं है। यदि मृत व्यक्ति का कानूनी अधिकार दावा करना है, तो उसे बीमा पॉलिसी का दावा करने का भी अधिकार होगा।
क्या यह मामला है?
यह मामला निलाव उर्फ नीलाम्मा बनाम चंद्रव्वा उर्फ चंद्रकला उर्फ हेमा व अन्य से संबंधित है। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 39 का अर्थ यह नहीं है कि इसमें उत्तराधिकार अधिकार के कानून को निरस्त कर दिया जाना चाहिए।
कानूनी उत्तराधिकारी को भी बीमा का दावा करने का अधिकार है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनंत रामनाथ हेगड़े ने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि नामित व्यक्ति को दावे का पूरा लाभ तभी मिलता है, जब मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी दावा दायर नहीं करते हैं। यदि कानूनी उत्तराधिकारी दावा राशि प्राप्त करने का दावा करते हैं और नामित व्यक्ति भी दावा करता है, तो यह राशि सभी पक्षों के बीच समान रूप से विभाजित की जानी चाहिए। कानूनी उत्तराधिकारियों में माता-पिता, पति/पत्नी, बच्चे आदि शामिल हैं।
हाल ही में सामने आए इस मामले में पति ने शादी से पहले अपनी मां को बीमा पॉलिसी में नॉमिनी बनाया था। शादी और बच्चे होने के बाद भी उस व्यक्ति ने नॉमिनी का नाम नहीं बदला। इस व्यक्ति की मृत्यु 2019 में हो गई। इसके बाद पत्नी और मां के बीच बीमा राशि को लेकर बहस शुरू हो गई। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि बीमा दावे की एक तिहाई राशि मृतक की मां, पत्नी और बच्चों के बीच बांटी जाए।
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Fri, Mar 21 , 2025, 04:34 PM