चेन्नई। तमिलनाडु के बिजली, निषेध और उत्पाद शुल्क मंत्री वी. सेंथिलबालाजी ने शुक्रवार को कहा कि शराब की बिक्री और वितरण का एकमात्र सरकारी स्वामित्व वाला संगठन राज्य विपणन निगम (Tasmac) पर प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने गलत इरादे से छापे मारे।
श्री सेंथिलबालाजी ने ईडी के इस दावे से भी इनकार किया कि उसने तस्माक में विभिन्न डिस्टिलरी और बॉटलिंग कंपनियों से जुड़ी 1,000 करोड़ रुपये की अनियमितताओं का पता लगाया है। उन्होंने कहा कि ईडी ने बिना किसी सबूत के ये आरोप लगाए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह (ईडी) कानूनी तौर पर आरोपों का सामना करेंगे। उन्होंने कहा कि हालांकि ईडी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1998 की विभिन्न धाराओं के तहत कई प्राथमिकी रिपोर्ट (FIR) के आधार पर जांच शुरू की थी, लेकिन यह स्पष्ट रूप से नहीं बताया कि ये एफआईआर कब दर्ज की गईं।
श्री सेंथिलबालाजी ने कहा कि मुख्यमंत्री एम के स्टालिन एनईपी का कड़ा विरोध कर रहे हैं, तीन-भाषा नीति को स्वीकार करने से इनकार कर रहे हैं और जनसंख्या के आधार पर परिसीमन भी नहीं कर रहे हैं, इसलिए केंद्र ने छापेमारी करने के लिए ईडी का दुरुपयोग किया है। यह मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल करने का एक प्रयास था, जिन्हें लोगों का सद्भावना और विश्वास प्राप्त है। उन्होंने यह भी कहा कि ईडी द्वारा दावा किए गए अनियमितताओं की कोई गुंजाइश नहीं थी और सभी निविदा प्रक्रिया नियमों के अनुसार पारदर्शी तरीके से की गई थी। तीन दिवसीय छापेमारी के बाद, ईडी ने गुरुवार शाम को एक बयान में कहा कि शहर और पूरे तमिलनाडु में कई निजी डिस्टिलरी और तस्माक मुख्यालय के परिसरों की तलाशी में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की भारी अनियमितताएं सामने आई हैं। इसने कहा कि इस अनियमितता में धोखाधड़ी के उपायों में लिप्त डिस्टिलरी और बॉटलिंग फर्मों के बीच मिलीभगत सामने आई है।
ईडी के मुताबिक इस छापेमारी से एक ऐसे नेटवर्क का भी पता चला है जहां जानबूझकर बढ़ा-चढ़ाकर और फर्जी खर्चों के जरिए बेहिसाब नकदी पैदा की जाती थी और बाद में इसका इस्तेमाल भारी मुनाफे के लिए किया जाता था। मंत्री सेंथिलबालाजी ने कहा कि ईडी ने तस्माक और इससे जुड़ी संस्थाओं/लोगों से संबंधित विभिन्न अपराधों के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत छह मार्च से तमिलनाडु के कई जिलों में विभिन्न परिसरों में तलाशी अभियान चलाया है।
गौरतलब है कि ईडी ने तस्माक में विभिन्न मुद्दों से संबंधित भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज कई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की है।
ये एफआईआर तस्माक की दुकानों द्वारा वास्तविक एमआरपी से अधिक राशि वसूलने, डिस्टिलरी कंपनियों द्वारा आपूर्ति ऑर्डर के लिए तस्माक अधिकारियों को रिश्वत देने की श्रेणियों में आती हैं। खुदरा तस्माक दुकानों से रिश्वत वसूलने और तस्माक स्टाफ के स्थानांतरण तथा नियुक्ति आदि में तस्माक के वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता का भी आरोप है।
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