चेन्नई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ द्रमुक अध्यक्ष एम.के.स्टालिन (MK Stalin) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) पर मंगलवार को अपना कड़ा विरोध (Protest) दोहराते हुए एक बार फिर कहा कि इसके प्रावधान से छात्र दूर भगेंगे और शिक्षा विकास नष्ट होंगे। स्टालिन आज चेंगलपट्टू जिले में एक सरकारी समारोह में बोल रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने 47 पूर्ण हो चुकी परियोजनाओं का शुभारंभ किया, पांच नई परियोजनाओं की आधारशिला रखी और 50,606 लाभार्थियों को 1,285.46 करोड़ रुपये की कल्याणकारी योजनाएं वितरित कीं। इसके अलावा उन्होंने भूमिहीनों को पट्टे वितरित करने की योजना भी शुरू की। उन्होंने इस बात पर बव दिया कि डीएमके अपनी इस प्रतिबद्धता पर अडिग है कि वह एनईपी को स्वीकार नहीं करेगी।
उन्होंने तमिलनाडु के डीएमके सांसदों की एनईपी का विरोध करते हुए तमिलनाडु के अधिकारों को बनाए रखने के लिए सराहना की। उन्होंने कहा “हम किसी से नहीं डरते, हम तमिलनाडु के अधिकारों को बनाए रखने के लिए पूरी ताकत से लड़ेंगे और इसी जिम्मेदारी के साथ हम लोकतांत्रिक शासन के मार्ग पर चलते रहेंगे।” उन्होंने एनईपी विवाद पर संसद में डीएमके सांसदों के खिलाफ केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की टिप्पणी पर निशाना साधते हुए उसे 'अहंकारी' और 'असभ्य' कहा।
संसद में सोमवार को हुई बहस का उल्लेख करते हुए श्री स्टालिन ने कहा कि श्री प्रधान अहंकार के साथ कह रहे थे कि अगर तमिलनाडु त्रिभाषा नीति- हिंदी और संस्कृत - को स्वीकार कर ले, तो ही उसे 2,000 करोड़ रुपये की शिक्षा निधि का उचित हिस्सा मिलेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि “श्री प्रधान एनईपी की आड़ में ऐसी नीति थोपने की कोशिश कर रहे हैं, जो शिक्षा के विकास को पूरी तरह से नष्ट कर देगी और कुचल देगी। इसलिए हम इसका (एनईपी) कड़ा विरोध कर रहे हैं।”उन्होंने कहा, “छात्रों को शिक्षा के क्षेत्र में लाने के की कोशिश करने के बजाय, एनईपी में ऐसे प्रावधान हैं जो छात्रों को शिक्षा से दूर कर देंगे।”
केंद्र की नई शिक्षा नीति पर कड़ा प्रहार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार एनईपी के माध्यम से शिक्षा का निजीकरण करने की कोशिश कर रही है, जिससे ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी जिसमें शिक्षा केवल अमीर और संपन्न वर्गों के लिए ही उपलब्ध होगी। श्री स्टालिन ने कहा कि इसमें शिक्षा में सांप्रदायिकता थोपना, छोटे बच्चों के लिए भी प्रवेश परीक्षा शुरू करना, और कला, विज्ञान और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के छात्रों के लिए भी नीट की तर्ज पर परीक्षा शुरू करना, और शिक्षा में केंद्र सरकार को अधिक अधिकार देना और भी बहुत कुछ शामिल है।
श्री स्टालिन ने कहा कि सभी बातें समझने के बाद ही हम कह रहे हैं कि हम एनईपी को स्वीकार नहीं करेंगे। लेकिन श्री प्रधान हमें ब्लैकमेल कर रहे हैं और कह रहे हैं कि तमिलनाडु को उसके फंड तभी मिलेंगे जब वह एनईपी को स्वीकार करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा , “जैसा कि मैंने स्पष्ट रूप से कहा था, 2,000 करोड़ रुपये नहीं, भले ही आप 10,000 करोड़ रुपये दे दें लेकिन हम 'नागपुर योजना' को स्वीकार नहीं करेंगे, जो भारी विनाश उत्पन्न करने में सक्षम है और मैं इसे यहां फिर से दोहरा रहा हूं और जोर देकर कह रहा हूं।”
श्री स्टालिन ने द्रमुक सांसदों की जुझारूपन की भी सराहना की, जिन्होंने कल लोकसभा में श्री प्रधान द्वारा की गई टिप्पणी का कड़ा विरोध किया और उन्हें आधे घंटे के अंदर टिप्पणी को वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया। स्टालिन ने कहा कि “यह बात पचा पाना मुश्किल है कि तमिलनाडु उनकी साजिश के खिलाफ लड़ रहा है। श्री प्रधान ने लोकसभा में बिना किसी लाग-लपेट के कहा कि 'तमिलनाडु के लोग असभ्य हैं। लेकिन तमिलनाडु के सांसदों ने उन्हें आधे घंटे के भीतर ही अपनी टिप्पणी वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया।” स्टालिन ने कहा “मैं उनकी जुझारूपन की भावना की सराहना करता हूं और इस मंच के माध्यम से आपकी ओर से उन्हें बधाई देता हूं।”
द्रमुक के दिवंगत संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि की एक कहावत का उल्लेख करते हुए, जिसमें तमिलों के लिए सम्मान और गरिमा का क्या मतलब है बताया गया है, श्री स्टालिन ने कहा “हमारे सांसदों ने दिखाया है कि वे कलैगनार (जैसा कि श्री करुणानिधि को प्यार से बुलाया जाता था) के वंशज हैं।” उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार की प्रशंसा करने वाले अन्नाद्रमुक सांसदों के विपरीत द्रमुक सांसदों ने साबित कर दिया है कि वे किसी से डरे बिना तमिलनाडु के अधिकारों के लिए लड़ेंगे।” उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने पूछा था कि इन 40 सांसदों ने क्या किया, उन्हें कल उचित जवाब मिल गया है।
उन्होंने कहा , “द्रमुक उसी संघर्षशील भावना के साथ तमिलनाडु के अधिकारों के लिए लड़ेगी। इसी जिम्मेदारी के साथ हम लोकतांत्रिक शासन के मार्ग पर आगे बढ़ते रहेंगे।”
पिछले चार वर्षों में द्रमुक सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न कल्याणकारी पहलों और चेंगलपट्टू जिले के लिए योजनाओं और परियोजनाओं को सूचीबद्ध करते हुए श्री स्टालिन ने यह भी घोषणा की कि औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए चेयूर में 800 एकड़ क्षेत्र में एक नया एसआईपीसीओटी औद्योगिक पार्क स्थापित किया जाएगा।
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