नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद और खुदरा कारोबारियों के संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (Confederation of All India Traders) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल (Praveen Khandelwal) ने सरकार से राष्ट्रीय धार्मिक पर्यटन नीति बनाने की मांग की। खंडेलवाल ने रविवार को कहा कि प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ ने धार्मिक पर्यटन की असीम आर्थिक संभावनाओं को उजागर किया है। अनुमान है कि इस महाकुंभ में 60 करोड़ श्रद्धालु पवित्र स्नान करेंगे, जिससे तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार होने की संभावना है।
सांसद ने कहा कि महाकुंभ की अपार सफलता यह दर्शाती है कि भारत में धार्मिक पर्यटन को व्यवस्थित रूप से विकसित और बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय नीति की सख्त जरूरत है। उन्होंने आगे बताया कि भारत अपनी विविध धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत के कारण हर साल करोड़ों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है। हालांकि, व्यापक नीति के अभाव में बुनियादी ढांचे, सुरक्षा, स्वच्छता और धार्मिक स्थलों के प्रबंधन से जुड़ी कई चुनौतियां बनी रहती हैं। एक सुव्यवस्थित राष्ट्रीय धार्मिक पर्यटन नीति इन समस्याओं का समाधान करने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था, रोजगार सृजन और सांस्कृतिक संरक्षण में भी सहायक होगी।
श्री खंडेलवाल ने इस नीति के महत्वपूर्ण पहलुओं को रेखांकित करते हुए कहा कि इसमें धार्मिक स्थलों के उचित रखरखाव, आधुनिकीकरण और संरक्षण को सुनिश्चित करना चाहिए। तीर्थयात्रियों के लिए परिवहन, आवास, स्वच्छता और सुरक्षा को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। धार्मिक पर्यटन के माध्यम से स्थानीय व्यवसायों, हस्तशिल्प और पारंपरिक उद्योगों को भी प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। साथ ही, पर्यावरण-अनुकूल और सतत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए धार्मिक स्थलों पर कचरा प्रबंधन, प्रदूषण नियंत्रण और सतत पर्यटन उपायों को लागू करना जरूरी है।
सांसद ने कहा कि डिजिटल और स्मार्ट पर्यटन को बढ़ावा देते हुए ऑनलाइन बुकिंग, वर्चुअल टूर और डिजिटल मैपिंग जैसी सुविधाओं को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। सुरक्षा और आपदा प्रबंधन को मजबूत बनाते हुए प्रमुख धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता किया जाना चाहिए और आपातकालीन प्रतिक्रिया तंत्र को प्रभावी बनाना चाहिए। खंडेलवाल ने स्पष्ट रूप से कहा कि राष्ट्रीय धार्मिक पर्यटन नीति भारत को वैश्विक आध्यात्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित करने के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी। उन्होंने पर्यटन मंत्रालय से आग्रह किया कि वह संबंधित हितधारकों के साथ परामर्श करके इस नीति का मसौदा तैयार करे और इसे शीघ्र लागू करे ताकि देश में धार्मिक पर्यटन को संगठित और समृद्ध क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सके।
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Sun, Feb 23 , 2025, 08:30 PM