Maghi Ganeshotsav: मुंबई में गणपति विसर्जन क्यों नहीं हो रहा है? मूर्ति झील से वापस आते हुए, वास्तव में विवाद क्या है?

Tue, Feb 11 , 2025, 09:56 PM

Source : Hamara Mahanagar Desk

मुंबई. माघी गणेशोत्सव उत्साह (Maghi Ganeshotsav enthusiasm) के साथ मनाया गया। भगवान गणेश (Lord Ganesha) विभिन्न मुद्राओं में विराजमान थे। लेकिन जब गणपति विसर्जन (Ganpati immersion) का समय आया तो एक बाधा उत्पन्न हो गई। इस व्यवधान के कारण, भले ही माघी गणेशोत्सव समाप्त हो गया है, लेकिन कई गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन में देरी हो गई है। 

आखिर यह विवाद क्या है?

गिरगांव में मंडप में विराजमान माघी गणपति की मूर्ति पूरी तरह से खिल चुकी है। माघी उत्सव के बाद भी जब विसर्जन का समय आता है तो मंडल के कार्यकर्ता मूर्ति को विसर्जित करने के लिए तैयार नहीं होते। कारण यह है कि गिरगांव स्थित दूसरी कुंभार गली में गणेश प्रतिमा पीओपी से बनी है और मुंबई महानगरपालिका ने पीओपी की मूर्तियों को समुद्र में विसर्जित करने का विरोध किया है। इसलिए, मुंबई के कई मंडलों में गणेश प्रतिमाएं फिलहाल मंडप में विसर्जन का इंतजार कर रही हैं। मुंबई में माघी गणपति की मूर्तियों का विसर्जन फिलहाल रोक दिया गया है, क्योंकि कार्यकर्ता पीओपी मूर्तियों के विसर्जन के लिए नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराई गई सुविधाओं से खुश नहीं हैं।


भगवान गणेश की मूर्ति कहाँ है?
अभी दो दिन पहले ही चारकोप इलाके में इस विसर्जन को लेकर बड़ा विवाद हुआ था। पीओपी की गणेश प्रतिमाओं को तालाब में विसर्जित करने की अनुमति नहीं दी गई, इसलिए उन्हें मंडप में वापस भेज दिया गया। वर्तमान में चारकोप के राजा का मंडप वीरान पड़ा है। मंडप भी बनाया गया है। लेकिन इस बात का कोई सुराग नहीं है कि विसर्जित गणेश प्रतिमा कहां है। पता चला है कि मंडल के कार्यकर्ताओं ने उनके पिता को छिपा दिया था।

ठाकरे ने सरकार पर निशाना साधा!
ठाकरे पिता-पुत्र ने गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन में देरी को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। आदित्य ठाकरे ने ट्वीट कर सरकार पर मराठा-केंद्रित हिंदुत्व और हमारी भूमि की पहचान को मिटाने की कोशिश करने का आरोप लगाया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पीओपी की मूर्तियों और विसर्जन पर प्रतिबंध लगा दिया है।

उच्च न्यायालय के आदेश क्या हैं?

  1. इस वर्ष माघी गणेश जयंती उत्सव के दौरान कहीं भी पीओपी गणेश मूर्तियों की बिक्री की अनुमति न दें।
  2. यदि ऐसा हुआ है तो गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन न होने दें।
  3. सीपीसीबी के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करें।
  4. पीओपी पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय रातोरात लागू नहीं हुआ।

तो फिर मूर्तिकारों ने पीओपी मूर्तियां बनाना क्यों जारी रखा?

इन नियमों का पालन करने के आदेश 30 जनवरी को जारी किए गए थे। लेकिन इससे पहले ही कई समूह अपने बप्पा को मंडप में ले आए थे। परिषदों ने अब यह रुख अपना लिया है कि जब तक कोई संतोषजनक समाधान नहीं निकलता, तब तक बप्पा का विसर्जन नहीं किया जाएगा। गणेश चतुर्थी हर गणेश भक्त के दिल का एक विशेष कोना है। यह माघी गणेशोत्सव इस समय भक्ति और नियमों को लेकर बहस में उलझा हुआ है। अब प्रार्थना है कि विघ्नहर्ता भगवान इस विघ्न को शीघ्र दूर करें तथा विसर्जन पूर्ण हो सके।

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