बॉम्बे उच्च न्यायालय ने महामारी खिचड़ी घोटाले के आरोपी सूरज चव्हाण को दी जमानत

Tue, Feb 04 , 2025, 04:12 PM

Source : Uni India

मुंबई। बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने मंगलवार को शिवसेना (UBT) के पदाधिकारी सूरज चव्हाण (Suraj Chavan) को जमानत दे दी, जिन्हें पिछले साल की शुरुआत में कोविड-19 महामारी (COVID-19 pandemic) के दौरान प्रवासी श्रमिकों के बीच खिचड़ी वितरण से संबंधित 6.37 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था।
न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव (Justice Milind Jadhav) ने जमानत देते हुए निर्देश दिया कि आरोपी को तत्काल एक लाख रुपये की अनंतिम नकद जमानत पर रिहा किया जाए। 

इसके अलावा आराेपी चव्हाण को रिहाई के चार सप्ताह के भीतर उतनी ही राशि के एक या दो जमानत देने की अनुमति दी गई है। अदालत ने शर्तों के तहत जमानत देते हुए चव्हाण से कहा कि वह निचली अदालत की अनुमति के बिना महाराष्ट्र छोड़कर न जाएं और किसी गवाह को प्रभावित करने या साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ से बचें। उन्हें अपने वर्तमान संपर्क विवरणों के बारे में प्रवर्तन निदेशालय को सूचित करने का भी आदेश दिया गया है। न्यायमूर्ति जाधव ने अपने आदेश में कहा कि चव्हाण को निर्धारित तारीखों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कार्यालय में जांच अधिकारी को रिपोर्ट करना होगा और उन्हें ट्रायल के दौरान सहयोग करना होगा, साथ ही बिना वजह की स्थगन याचिकाएं नहीं करनी चाहिए।

ईडी के अनुसार, चव्हाण पर कोविड-19 महामारी के दौरान बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा प्रवासी श्रमिकों को ‘खिचड़ी’ वितरण से संबंधित वित्तीय गड़बड़ियों में संलिप्त होने का संदेह था। उन्होंने कहा कि चव्हाण को गिरफ्तार किया गया क्योंकि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। अपनी जमानत याचिका में चव्हाण ने अदालत को बताया था कि केंद्रीय एजेंसी की नीति चुनिंदा लोगों को चुनने की है, क्योंकि कार्य आदेश पाने वाली कंपनी फोर्स वन मल्टी सर्विसेज के मालिक को अधिक प्रभाव होने के बावजूद गिरफ्तार नहीं किया गया।

अधिवक्ता हर्षद भदभड़े के माध्यम से दायर उनकी याचिका में आगे दावा किया गया कि उन्हें उनकी गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित नहीं किया गया था और उन्हें कभी नहीं बताया गया था कि एजेंसी के पास यह मानने के लिए क्या कारण थे कि उन्होंने कोई अपराध किया है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि मजिस्ट्रेट के सामने ऐसा कोई कारण नहीं दिखाया गया, जिसने चव्हाण को ईडी की हिरासत में भेज दिया।

शिवसेना (यूबीटी) नेता चव्हाण ने अपनी याचिका में दावा किया कि उन्हें शिवसेना (यूबीटी) से जुड़ा होने के कारण गलत तरीके से फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि ईडी ने सभी आरोपियों में से केवल उन्हें गिरफ्तार करने के लिए चुना। ईडी ने चव्हाण की याचिका का विरोध किया और कहा कि गिरफ्तार करने वाले अधिकारी ने अपराध के विवरण को प्रस्तुत किया था, जिसके आधार पर आरोपी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत जांच शुरू की गई।

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