बेंगलुरु। कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया (Karnataka Chief Minister Siddaramaiah) की ओर से आयोज 02 जनवरी की रात्रिभोज को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। सिद्दारमैया के करीबी सहयोगी लोक निर्माण मंत्री सतीश जरकीहोली (Public Works Minister Satish Jarkiholi) के निवास पर 02 जनवरी को इस भोज में अनुसूचित जाति एवं जनजाति (SC, ST)और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदायों के कई मंत्री शामिल थे, जो कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के जनाधार के मुख्य स्तंभ हैं।
आधिकारिक तौर पर इस एक अनौपचारिक भोज बताया गया, लेकिन सियासी गलियारे में इस बैठक को उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। श्री शिवकुमार पारिवारिक छुट्टी पर तुर्की में होने के कारण इस भोज में शामिल नहीं हुए थे। दो जनवरी को हुई इस बैठक के तुरंत बाद सिद्दारमैया ने संवाददाताओं से कहा था, "यह राजनीतिक महत्व की बैठक नहीं थी।" इस बीच, विपक्ष के नेता आर. अशोक ने दावा किया है कि कांग्रेस विधायकों के बीच आंतरिक असंतोष के कारण सरकार कभी भी गिर सकती है। उन्होंने दावा किया है कि कांग्रेस के कई असंतुष्ट विधायक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संपर्क में हैं।
उन्होंने प्रशासनिक विफलताओं के लिए भी कांग्रेस सरकार की आलोचना की और कहा कि दूध उत्पादकों को बकाया राशि और एम्बुलेंस चालकों को वेतन देने में नहीं मिल रहा है। उन्होंने दावा किया कि यह श्री सिद्दारमैया के कमजोर नेतृत्व को दर्शाता है। गौरतलब है कि अक्टूबर 2023 में गृह मंत्री डॉ जी परमेश्वर के आवास पर श्री सिद्दारमैया के खेमे ने इसी तरह से भोज का आयोजनथा। बैठकों को पिछड़े समुदायों के मंत्रियों द्वारा अपनी राजनीतिक स्थिति को सुरक्षित करने और पार्टी के भीतर श्री शिवकुमार के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए एक समेकन प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
अगस्त 2024 से मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए ) घोटाले से संबंधित आरोपों में उलझे मुख्यमंत्री ने विद्रोही रुख अपना रखा है। श्री सिद्दारमैया ने अपनी पत्नी को आवंटित 14 आवास स्थलों को वापस करते हुए नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच अपना कार्यकाल पूरा करने के इरादे की फिर से पुष्टि की है। उल्लेखनीय है कि नवंबर में तीन विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी की हालिया जीत, (जिसका श्रेय अल्पसंख्यकों, एससी/एसटी और ओबीसी समुदायों के समर्थन को जाता है,) ने श्री सिद्दारमैया की स्थिति को मजबूत किया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार रात्रिभोज के दौरान श्री शिवकुमार को राज्य कांग्रेस प्रमुख के पद से हटाये जाने की संभावना पर चर्चा हुई। इस दौरान कई मंत्रियों ने इस भूमिका में रुचि दिखाई, बशर्ते कि वे अपने मौजूदा पोर्टफोलियो को बरकरार रखें। उधर, अशोक ने शिवकुमार के सत्ता हथियाने के लिए बल प्रयोग के बारे में पहले के दावे का मजाक उड़ाया और सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा, "शिवकुमार, वह समय आ गया है, जब आप उस योजना को अमल में लाएँ, जिसका आपने गर्व से बखान किया था, जिससे आप सत्ता में आने के लिए मजबूर हो रहे हैं।" उन्होंने उपमुख्यमंत्री के इस दावे का हवाला दिया कि उनके दिवंगत गुरु एवं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस.एम. कृष्णा ने एक बार उन्हें सलाह दी थी कि अगर पारंपरिक तरीकों से सत्ता हासिल करना असंभव हो, तो बल का प्रयोग करें।
शिवकुमार ने सिद्दारमैया के साथ सत्ता-साझाकरण समझौते का संकेत दिया है, लेकिन मुख्यमंत्री ने ऐसे दावों से इनकार करते हुए कहा है कि वे अपना कार्यकाल पूरा करना चाहते हैं। सार्वजनिक रूप से एकजुटता के प्रदर्शन के बावजूद, श्री सिद्दारमैया और श्री शिवकुमार के बीच प्रतिद्वंद्विता पार्टी की आंतरिक गतिशीलता को प्रभावित करती रहती है। यह राजनीतिक नाटक आंतरिक प्रतिद्वंद्विता और बाहरी दबावों के बीच स्थिरता बनाए रखने में कांग्रेस के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करता है, क्योंकि भाजपा कर्नाटक के बदलते राजनीतिक परिदृश्य में संभावित लाभ के लिए खुद को तैयार कर रही है।
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Tue, Jan 07 , 2025, 11:31 AM