Ganesh Chaturthi : गणेश बप्पा की स्थापना के लिए नहीं मिल रहे गुरुजी? इस विधि से करें घर पर प्राण-प्रतिष्ठा 

Sun, Sep 08 , 2024, 10:35 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Ganesh Chaturthi 2024: हिंदू धर्म में भाद्रपद माह की चतुर्थी (Chaturthi of Bhadrapada month) का विशेष महत्व है। भगवान गणेश (Lord Ganesha) का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इसीलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को हर जगह बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग प्रिय गणपति बप्पा की मूर्ति (idol of beloved Ganpati Bappa) घर लाते हैं और उसकी स्थापना करते हैं और भक्तिभाव से भगवान गणेश की पूजा करते हैं।

सभी देवी-देवताओं से पहले गणपति की पूजा का शास्त्रीय महत्व है। हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी और संकष्ट चतुर्थी (Vinayak Chaturthi and Sankashti Chaturthi) मनाई जाती है। लेकिन भाद्रपद माह में आने वाली गणेश चतुर्थी पर सबके प्यारे बप्पा हर घर में आते हैं और यह गणेशोत्सव हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी मुहूर्त
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3.31 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 7 सितंबर को शाम 5.37 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार 7 सितंबर को गणेश चतुर्थी व्रत रखा जाएगा और मूर्ति स्थापना की जाएगी।

शनिवार 7 सितंबर को मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्त सुबह 11:3 बजे से दोपहर 1:34 बजे तक - 2 घंटे 31 मिनट की अवधि के लिए होगा। वहीं, गणेश विसर्जन 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन होगा।

गणपति बप्पा की प्राण प्रतिष्ठा के लिए करें ये काम
गणेश चतुर्थी तिथि के शुभ समय पर श्री गणेश को घर की उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें। पूजा सामग्री लेकर आसन पर बैठ जाएं। पूजा स्थल पर पवित्र गंगा जल छिड़कें। भगवान गणेश की मूर्ति के पूर्व दिशा में कलश रखें और दक्षिण-पूर्व दिशा में दीपक जलाएं। अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ॐ पुण्डरीकाक्षय नमः मंत्र का जाप करें। गणपति को प्रणाम करने के बाद तीन बार पवित्र जल लें और माथे पर तिल लगाएं। दीपक जलाएं, गणपति बप्पा को जसवंदा का फूल, दूर्वा, भैयाराम, पान का पत्ता चढ़ाएं। इसके बाद गणपति बप्पा को वस्त्र, चंदन, अक्षत, धूप, प्रसाद और फल अर्पित करें। श्री गणेश की आरती करें, मंत्रपुष्पांजलि, कपूरआरती करें और क्षमा प्रार्थना करें। बोलो गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया, इसके बाद गणपति के पास प्रसाद रखें। परिवार में सभी को प्रसाद दें। स्वयं: प्रसाद स्वीकार करें। साथ ही डेढ़, पांच, सात, दस दिन तक जितने दिन गणपति विराजमान होते हैं, हर दिन सुबह-शाम गणपति बप्पा की पूजा और आरती करें।

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