Sarvapitri Amavasya : सर्वपितृ अमावस्या कब है? जानिए श्राद्ध की तिथि, समय और महत्व!

Wed, Sep 04 , 2024, 11:24 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Sarvapitri Amavasya 2024 Date : अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) पर गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan) के दूसरे दिन से पितृपक्ष शुरू होता है (Pitru Paksha begins)। पितृपक्ष की तिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म किया जाता है। पितृपक्ष में सर्वपितृ अमावस्या (Sarvapitri Amavasya) का विशेष महत्व है। यह श्राद्ध की सबसे महत्वपूर्ण और अंतिम तिथि है। भाद्रपद माह की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। इस दिन उन सभी पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु अमावस्या को हुई थी या जिनकी मृत्यु की तिथि अज्ञात है। यदि पितृपक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध करना संभव न हो तो पितृदोष (Pitru Dosh) से बचने के लिए इस अमावस्या पर भी श्राद्ध किया जा सकता है।

पितृ पक्ष 17 सितंबर 2024 से शुरू होकर 2 अक्टूबर 2024 तक चलेगा. ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितर धरती पर आते हैं। यही कारण है कि इस अवधि के दौरान श्राद्ध और तर्पण अनुष्ठान किया जाता है। सर्वपितृ अमावस्या को महालय अमावस्या, पितृ अमावस्या या पितृपक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पितर धरती से विदा लेते हैं। इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या 2 अक्टूबर 2024, बुधवार को है।

अमावस्या तिथि कब और कब तक है:
अमावस्या तिथि 1 अक्टूबर को रात 9:39 बजे शुरू होगी और 3 अक्टूबर को दोपहर 12:18 बजे समाप्त होगी।

पंचांग के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या है श्राद्ध और तर्पण का शुभ समय -
पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष में श्राद्ध करने के लिए कुतुप, रौहीन आदि शुभ समय माने जाते हैं। श्राद्ध संबंधी अनुष्ठान दोपहर के समय करना चाहिए। श्राद्ध के अंत में तर्पण किया जाता है।

कुतुप मुहूर्त - सुबह 11:46 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक

अवधि - 00 घंटे 47 मिनट

रोहिण मुहूर्त- दोपहर 12:33 बजे से 1:20 बजे तक

अवधि - 00 घंटे 47 मिनट

दोपहर का समय - दोपहर 1:20 बजे से 3:42 बजे तक

अवधि - 2 घंटे 22 मिनट

सर्वपितृ अमावस्या के दिन किन पितरों का श्राद्ध किया जाता है -
पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि, अमावस्या तिथि, पूर्णिमा तिथि और चतुर्दशी तिथि पर मृत पूर्वजों के लिए श्राद्ध किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति विद्यमान तिथि पर श्राद्ध करने में असमर्थ है, कुछ कठिनाई आ रही है तो वह अमावस्या तिथि पर श्राद्ध कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि अमावस्या तिथि पर श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है। जिन पूर्वजों की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो उनका श्राद्ध भी अमावस्या तिथि को किया जा सकता है।

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