Ganesh Chaturthi: सुनने में आ रहा है कि गणपति बप्पा (Ganpati Bappa) और गणेशोत्सव (Ganeshotsav) का काफी इंतजार रहता है और बप्पा के स्वागत की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो जाती हैं। हर साल भाद्रपद माह (Bhadrapada month) के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को पूरे देश में भगवान गणेश का जन्मोत्सव मनाया जाता है, (Lord Ganesha's birth anniversary is celebrated) जिसे गणेश चतुर्थी कहा जाता है।
गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी के शुभ अवसर पर पूरे देश में भव्य गणेश उत्सव (Grand Ganesh festival) का आयोजन किया जाता है। यह त्यौहार घरों और सार्वजनिक क्षेत्रों में बड़े हर्षोल्लास के साथ 10 दिनों तक चलता है। इस बीच बप्पा की भव्य मूर्तियां स्थापित की जाती हैं, जिनकी भव्यता महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा होती है।
इस साल 7 सितंबर से शुरू हुआ गणेशोत्सव 17 सितंबर तक चलेगा और इसकी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। बस कुछ ही दिनों में गणेशोत्सव आने वाला है और मुंबई के कई प्रतिष्ठित गणेश भगवान धूम-धड़ाके के साथ पहुंच रहे हैं। चिंतामणि गणेशोत्सव मंडल को मुंबई के सबसे पुराने मंडलों में से एक के रूप में जाना जाता है। 31 अगस्त को चिंचपोकली के चिंतामणि (Chintamani of Chinchpokli) का आगमन समारोह लाखों गणेश भक्तों की उपस्थिति में ढोल-नगाड़ों और गणराया के मंत्रों के बीच मनाया गया।
इस वर्ष बोर्ड अपने 105वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। लालबाग क्षेत्र में सबसे पुराना चिंचपोकली सार्वजनिक उत्सव बोर्ड जिसे 'चिंचपोकली चा चिंतामणि' के नाम से जाना जाता है, की स्थापना वर्ष 1920 में लोकमान्य तिलक के आदर्श के साथ की गई थी।
चिंचपोकली के चिंतामणि दरबार में आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है। उनके आगमन समारोह में मुंबई के साथ-साथ मुंबई के बाहर के शहरों से हजारों मंडलियों ने भाग लिया। 1968-69 में गोल्ड फेस्टिवल, 1979-80 में डायमंड फेस्टिवल और 1994-95 में 75वीं वर्षगांठ मनाई गई। चिंतामणि बप्पा को अगमधीश कहा जाता है।
चिंचपोकली की चिंचमणि की विशेषता
चिंतापोकली की चिंतामणि की सुन्दर मूर्ति देखने को मिल रही है। बप्पा की मूर्ति सुंदर और आकर्षक है. चिंतामणि की प्रतिमा की ऊंचाई 18 फीट है और इस वर्ष चिंतामणि श्रीकृष्ण के अवतार में विराजमान हैं। बप्पा को चिंतामणि रंग की धोती पहनाई गई है, साथ में नीली शिला, सिर पर सुनहरा मुकुट, सोने और चांदी के आभूषण भी नजर आ रहे हैं। इस वर्ष की 'चिंतामणि' अवधारणा को सुभद्रा और बलराम के साथ भगवान कृष्ण के अवतार जगन्नाथ के रूप में साकार किया गया है। युवाओं के विशेष आकर्षण चिंतापोकली की चिंतामणि की छवि को अपने कैमरे में कैद करने के लिए आगमन समारोह में ही लाखों श्रद्धालु शामिल हुए।
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Tue, Sep 03 , 2024, 09:17 AM