Geeta Updesh: भगवान कृष्ण की कही ये 'ये '5' बातें' हमेशा याद रखें, जीवन में आएंगी खुशियां!

Fri, Aug 30 , 2024, 08:34 AM

Source : Hamara Mahanagar Desk

Knowledge of Gita : हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पाठ श्रीमद्भगवद गीता (Srimad Bhagavad Gita) है, जिसमें भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद का विस्तृत विवरण है। महाभारत के युद्ध (war of Mahabharata) से पहले भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश (Lord Krishna preached the Gita to Arjuna) दिया था। दरअसल, अर्जुन अपने ही परिवार के सदस्यों, शिक्षकों और दोस्तों के खिलाफ युद्ध छेड़ने के विचार से दुखी और भ्रमित थे। फिर, उन्होंने भगवान कृष्ण से मार्गदर्शन मांगा। अर्जुन के सभी संदेहों को दूर करने के लिए, भगवान कृष्ण ने अपना सार्वभौमिक रूप प्रकट किया। महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले अर्जुन को अपने परिवार, गुरु और दोस्तों के सामने युद्ध करने में झिझक महसूस हुई और उन्होंने युद्ध न करने का फैसला किया। तब भगवान कृष्ण ने उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं, कर्तव्यों और धर्म का ज्ञान दिया। आज के इस आर्टिकल में हम आपको गीता उपदेश में बताई गई बातें बताने जा रहे हैं। आइए विस्तार से जानें...

याद रखें ये '5' बातें!
> गीता की शिक्षा के अनुसार व्यक्ति को क्रोध और अहंकार से सदैव बचना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है कि क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। क्रोध बुद्धि को नष्ट कर देता है और जब बुद्धि नष्ट हो जाती है तो व्यक्ति अपना कर्तव्य ठीक से नहीं निभा पाता। गुस्से के कारण इंसान खुद पर से नियंत्रण खो देता है, जिससे वह खुद को ही नुकसान पहुंचाता है।

> गीता की शिक्षाओं के अनुसार जीवन में लिए गए निर्णय और कार्य हमारे भाग्य का निर्माण करते हैं। इसके लिए माधव अर्जुन से कहते हैं कि जिंदगी में सही समय पर सही फैसला लेना बहुत जरूरी है। क्योंकि एक मिनट में जिंदगी नहीं बदलती, बल्कि एक मिनट में लिया गया फैसला पूरी जिंदगी बदल देता है।

> गीता के उपदेश के अनुसार यदि किसी बच्चे को उपहार न दिया जाए तो वह कुछ समय के लिए रोता है, लेकिन यदि उसे संस्कार न दिए जाएं तो वह जीवन भर रोता है। हमें अपना कर्तव्य अवश्य निभाना चाहिए। बच्चों को जीवन में अपने कर्तव्यों का पालन करना सिखाना उनके जीवन को सही दिशा में ले जाने के लिए आवश्यक है।

>गीता के उपदेश के अनुसार भगवान नहीं बल्कि हमारी सोच, हमारा व्यवहार और हमारे कर्म ही हमारा भाग्य लिखते हैं। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि मनुष्य का कर्म ही उसका भाग्य निर्धारित करता है।

>गीता की शिक्षा के अनुसार, पिता द्वारा क्रोध से भरा हुआ पुत्र, गुरु द्वारा पढ़ाया गया शिष्य और सुनार द्वारा गढ़ा गया सोना सदैव रत्न बन जाता है। सोना तब तक सुंदर आभूषण नहीं बनता जब तक उसे अच्छी तरह से पिघलाया और पीटा न जाए।

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