मुंबई। बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने महाराष्ट्र में कोल्हापुर (Kolhapur in Maharashtra) के विशालगढ़ किले के आसपास तोड़फोड़ (Demolition around Vishalgad fort )की गतिविधियों पर शुक्रवार को रोक लगा दी। न्यायमूर्ति बी. पी. कोलाबावाला और न्यायमूर्ति एफ. पी. पूनीवाला (Justices B.P. Colabawala and F.P. Pooniwala) की युगल पीठ ने कहा कि राज्य सरकार पर यह कहते हुए फटकार लगायी कि वह मानसून के दौरान संरचनाओं को नहीं गिराने की अपनी अधिसूचना का उल्लंघन कर रही है। पीठ ने सरकार से सवाल किया, “आप बरसात के मौसम में संरचनाओं को कैसे गिरा सकते हैं। वाणिज्यिक या घरेलू कोई भी संरचना अगले आदेश तक नहीं गिरायी जानी चाहिए।”
न्यायमूर्ति कोलाबावाला (Justice Colabawala) ने चेतावनी दी कि यदि कोई उल्लंघन होता है, तो न्यायालय संबंधित अधिकारियों (Court concerned officials) पर कड़ी कार्रवाई करने के साथ ही और उन्हें जेल में डालने में संकोच नहीं करेगी।” राज्य सरकार के मुख्य अधिवक्ता प्रियभूषण काकड़े ने तर्क दिया कि अधिकारी केवल व्यावसायिक संरचनाओं को गिरा रहे थे, जिन्हें न्यायालयों द्वारा कोई संरक्षण नहीं दिया गया था, लेकिन पीठ ने अधिकारियों को अगले आदेश तक किसी भी संरचना को ध्वस्त करने से रोक दिया।
गौरतलब है कि विशालगढ़ किले के आसपास और किले से तीन किलोमीटर से अधिक दूर स्थित गजपुर गांव में भी लगभग 60-70 संरचनाओं को गिरा दिया गया था, जिसके कारण वहां सांप्रदायिक तनाव की स्थिति निर्मित हो गयी है। इस क्षेत्र में 14 जुलाई को अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदायों के बीच झड़पें हुई थी। न्यायालय ने विशालगढ़ किले के अधिकार क्षेत्र में शाहूवाड़ी पुलिस थाने के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक को हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ़ कार्रवाई से अवगत कराने के लिए उन्हें 29 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित रहने के निर्देश दिये हैं।
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