छत्रपति संभाजीनगर। महाराष्ट्र में औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर (Chhatrapati Sambhajinagar) किये जाने के मामले में दो याचिकाकर्ताओं ने बॉम्बे उच्च न्यायालय (Bombay High Court) के उस फैसले को उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) में चुनौती दी है जिसमें राज्य सरकार के 2022 के निर्णय को फैसले को बरकरार रखा गया है।
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने गत 08 मई को औरंगाबाद का नाम बदलने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।याचिकाकर्ताओं मोहम्मद हिशाम उस्मानी और संजय वाघमारे ने 16 जुलाई को अपने अधिवक्ता शकील अहमद सैयद के जरिए उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष न्यायालय में याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ता उस्मानी ने गुरुवार को यूनीवार्ता से कहा कि वे उच्च न्यायालय के फैसले से निराश हैं, क्योंकि इसमें वैध बिंदुओं पर विचार नहीं किया गया है।” उन्होंने कहा , “औरंगाबाद देश का विश्वप्रसिद्ध विरासत शहर और महाराष्ट्र की पर्यटन राजधानी है। सरकार ने बिना किसी उचित प्रक्रिया का पालन किए अवैध रूप से यह फैसला लिया है, जिसका मकसद लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांटना और उससे राजनीतिक लाभ उठाना है।”
उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि शीर्ष न्यायालय हमारी दलीलों को सुनेगा और देश के इस विरासत और ऐतिहासिक शहर को बचाने में हमारे साथ न्याय करेगा।"
गौरतलब है कि महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने 29 जून-2022 को सबसे पहले औरंगाबाद संभाग, औरंगाबाद जिला, औरंगाबाद तालुका, औरंगाबाद शहर और औरंगाबाद गांव का नाम बदलकर संभायनगर करने का फैसला किया था। उसके बाद एकनाथ शिंदे सरकार ने इसे संशोधित कर छत्रपति संभाजीनगर करने का निर्णय किया। एमवीए सरकार की ओर से लिये गये निर्णय में कांग्रेस पार्टी की सक्रिय भागीदारी से व्यथित होकर उस्मानी ने जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और तबसे वह नाम परिवर्तन के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
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Thu, Jul 18 , 2024, 04:10 AM