Garlic Price Hike : दैनिक भोजन में लहसुन (garlic) अवश्य शामिल है. लहसुन के बिना सब्जियां खाना नामुमकिन है. लेकिन संभावना है कि भविष्य में लहसुन का छौंक (garlic seasoning) महंगा हो जाएगा. पिछला वर्ष प्रतिकूल मौसम और बेमौसम बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुआ था। तो दिवाली के बाद लहसुन का भाव (Garlic Price Hike ) 200-250 किलो के आसपास था.
लेकिन दिसंबर महीने में यही कीमत सीधे 350-400 रुपये प्रति किलो हो गई. फिर जनवरी माह में नए लहसुन की आवक के कारण ये कीमतें कम हो गईं. लेकिन अब मानसून की पूर्वसंध्या पर कीमत एक बार फिर बढ़ गई है. अहमदनगर बाजार समिति (Ahmednagar Market Committee) में लहसुन को 80 से 180 रुपये प्रति किलो का भाव मिला.
पिछले वर्ष प्रकृति की मार से किसान बुरी तरह प्रभावित हुए थे. लगातार हो रही बेमौसम बारिश (unseasonal rains) और बदलते मौसम के कारण कृषि उत्पादों का उत्पादन काफी कम हो गया है.मुख्य रूप से सब्जियां महंगी हुईं. स्पेशल लहसुन ने लंबी छलांग लगाई थी. टमाटर, प्याज और आलू की कीमतें भी पूरे साल स्थिर रहीं. पिछले अगस्त महीने में महंगाई का सिलसिला तेज हो गया था. इसके बाद लहसुन के एक बड़े छींटे ने ग्राहकों के मुंह में पानी ला दिया.
अब बरसात के मौसम में एक बार फिर लहसुन ने अपना सिर उठाया है. राज्य की विभिन्न बाजार समितियों में लहसुन को 80-85 से 180-210 रुपये प्रति किलो का भाव मिल रहा है. पिछले साल के अंत में लहसुन की कीमतों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई थी. इस साल भी सीजन की शुरुआत से ही कीमतों में बढ़ोतरी शुरू हो गई है.
पिछले साल जून की शुरुआत में राज्य की विभिन्न बाजार समितियों में लहसुन 40 से 65 रुपये प्रति किलो बिक रहा था. इस साल यही दरें 85 से 210 रुपए तक पहुंच गई हैं. खुदरा बाजार में लहसुन 250 से 280 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है. लहसुन का मौसम हर साल जनवरी में शुरू होता है.
जून तक लहसुन की कीमतें गिरती रहती हैं, लेकिन इस साल सीजन की शुरुआत से ही लहसुन में तेजी रही है. मुंबई बाजार समिति (Mumbai Market Committee) में लहसुन का बाजार भाव (market price of garlic) पिछले साल जून की तुलना में दोगुना हो गया है. अहमदनगर बाजार समिति में लहसुन को 80 से 180 रुपये प्रति किलो का भाव मिला.
यह अंतर लहसुन का उत्पादन कम होने के कारण है. व्यापारियों का अनुमान है कि अगर दिवाली के दौरान लहसुन की मांग बढ़ी तो कीमतों में कुछ हद तक कमी आएगी. इसके अलावा अन्य सब्जियां महंगी होने पर उपभोक्ताओं की जेब पर असर पड़ सकता है.
केंद्र सरकार को इस संबंध में जल्द कदम उठाना होगा. देश में महंगाई का ग्राफ ऊंचा बना हुआ है. केंद्र सरकार ने समय-समय पर हस्तक्षेप करने की कोशिश की है, लेकिन जलवायु ने इन प्रयासों को कमजोर कर दिया है.
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Tue, Jun 11 , 2024, 12:02 PM