बारामती: भारतीय राजनीति (Indian politics) में शरद पवार (Sharad Pawar) एक ऐसी शख्सियत हैं जो हमेशा अपनी राजनीतिक हरकतों (political antics) से चाहनेवालों को हैरान कर देते हैं. राजनीति से उनका रिश्ता कई दशकों पुराना है. वह महज 27 साल की उम्र में विधायक (MLA) बन गये थे. उनके पास 50 साल से ज्यादा का राजनीतिक अनुभव (political experience) है. आज राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की 25वीं वर्षगांठ (25th anniversary of the Nationalist Congress Party) है. उनके द्वारा शुरू की गई एनसीपी ने कई चुनौतियों को स्वीकार किया. एनसीपी (NCP) के विभाजन के बाद शरद पवार की पार्टी के ख़त्म होने की आशंका जताई जा रही थी. लेकिन शरद पवार नाम के एक औलिया ने न केवल किले को नष्ट कर दिया बल्कि उस पर कब्ज़ा भी कर लिया. हम उनके राजनीतिक करियर के बारे में जानेंगे.
महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव में जन्मे शरद पवार ने देश की राजनीति में ऐसी जगह बनाई है कि आज वह किसी भी खेल को पलट सकते हैं. शरद पवार का जन्म 12 दिसंबर 1940 को पुणे के बारामती में हुआ था. राजनीति उन्हें विरासत में मिली है. शरद पवार के पिता गोविंदरकव पवार और मां शारदाबाई भोसले दोनों राजनीति में सक्रिय थे. इस कारण उन्हें बचपन से ही राजनीति का चस्का लग गया था. जब शरद पवार तीन दिन के थे, तब उनकी मां उन्हें एक स्थानीय बोर्ड मीटिंग में ले गईं. शरद पवार ने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई बीएमसी कॉलेज से पूरी की. उन्हें पढ़ाई से ज्यादा राजनीति में रुचि थी.
1960 से राजनीति में सक्रिय हैं पवार...
उन्होंने 1960 में बीस साल की उम्र में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया. कॉलेज की शिक्षा पूरी करते ही उन्होंने कांग्रेस के साथ काम करना शुरू कर दिया. इस बीच, कांग्रेस नेता केशवराज जेधे के निधन के कारण महाराष्ट्र की बारामती लोकसभा की सीट खाली हो गई. इस सीट पर लोकसभा चुनाव के बाद पीडब्ल्यूपी पार्टी ने शरद पवार के बड़े भाई को टिकट दिया था, जबकि कांग्रेस ने इस सीट से केशवराव के बेटे को उम्मीदवार बनाया था. इसी बीच उनके बड़े भाई ने शरद पवार से कहा कि अगर वह कांग्रेस के साथ हैं तो उन्हें उसी उम्मीदवार के लिए प्रचार करना चाहिए. तदनुसार, शरद पवार ने अपने ही भाई के उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार किया. वह उम्मीदवार जीत भी गया और शरद पवार सक्रिय राजनीति में आ गए.
27 साल की उम्र में विधायक बन गए
1967 में कांग्रेस ने शरद पवार को बारामती विधानसभा से टिकट दिया. 27 वर्षीय पवार पहली बार बारामती निर्वाचन क्षेत्र (Baramati constituency) से विधायक बने. तब से यह सीट पवार के पास ही है. शरद पवार 1991 तक इस सीट से विधायक रहे. शरद पवार पिछले पांच दशकों में 14 बार चुनाव जीत चुके हैं.
सबसे युवा मुख्यमंत्री...
शरद पवार महज 38 साल की उम्र में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे. जब शरद पवार मुख्यमंत्री बने तो उनके पास 180 विधायकों का समर्थन था. विधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 288 थी. 1978 तक कोई भी नेता इतनी कम उम्र में मुख्यमंत्री नहीं बन सका था.
इस तरह है एनसीपी की स्थिति...
1998 में सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं. इस बात से शरद पवार खुश नहीं थे. इस समय शरद पवार ने प्रधानमंत्री पद के लिए सोनिया गांधी का विरोध किया. 20 मई 1999 को उनके विरोध के कारण कांग्रेस ने उन्हें अगले छह वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया. इस घटना के बाद शरद पवार ने अपनी पार्टी बनाने का फैसला किया और इसका नाम NCP रखा.
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Mon, Jun 10 , 2024, 12:34 PM