मुंबई. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) में कई मुकाबले अहम रहे. इस चुनाव में न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश का ध्यान बारामती चुनाव (Baramati elections) की ओर गया क्योंकि यहां पर पवार बनाम. ऐसे ही लड़ रहे थे पवार. शरद पवार (Sharad Pawar) की बेटी सुप्रिया सुले (Supriya Sule) और अजित पवार (Ajit Pawar) की पत्नी सुनेत्रा पवार (Sunetra Pawar) दोनों बारामती से एक दूसरे के सामने खड़ी थीं. आख़िरकार सुप्रिया सुले ने यह चुनाव भारी अंतर से जीत लिया और सुनेत्रा पवार को हरा दिया. एमपी का यह चुनाव जीतने के बाद सुप्रिया सुले ने अजित पवार को खुली चुनौती दी है. उन्होंने घोषणा की कि वह अजित पवार के प्रभुत्व वाले इंदापुर तालुका के भवानी नगर में छत्रपति शुगर फैक्ट्री का चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने श्रमिकों के सामने लड़ने, जीतने और कारखाने को पटरी पर लाने का संकल्प व्यक्त किया.
सुप्रिया सुले ने उस मूल स्थान से निर्वाचित होने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया है जहां छत्रपति सहकारी चीनी फैक्ट्री के निदेशक पद से अजीत पवार का राजनीतिक और सामाजिक करियर शुरू हुआ था. छत्रपति सहकारी चीनी मिल का चुनाव कुछ ही दिन पहले हुआ है और ऐसे में सुप्रिया सुले का यह बयान अहम हो जाता है.
सुप्रिया सुले ने क्या कहा?
बारामती लोकसभा क्षेत्र (Baramati Lok Sabha constituency) के दौंड और इंदापुर में स्वागत देखकर मुझे पहली बार निर्वाचित होने का एहसास हुआ. आज स्वागत में जो माहौल था, वैसा मैंने कभी नहीं देखा. मैंने ऐसा माहौल कभी नहीं देखा.' हमारे 10 में से 8 उम्मीदवार चुने गए, सतारा का उम्मीदवार भी चुना जाता, लेकिन वहां पिपानी सिंबल वाले उम्मीदवार को 46 हजार वोट मिले. उन्होंने दृढ़ संकल्प व्यक्त किया कि अब हमें भवानी नगर फैक्ट्री से लड़ना है और जीतना है.
आइए बारामती पर मिर्ज़ापुर जैसी फिल्म बनाएं।'
मैंने संसद में पहली बार इथेनॉल के बारे में बात की. जीजाजी के लिए दूध बढ़ा दो, नहीं तो अगले 10 दिन में किसान दूध और प्याज का गारंटीशुदा दाम नहीं देगा तो हम आंदोलन करना चाहते हैं. बेरोजगारी, महंगाई से तंग आकर लोगों ने वोट दिया है. कुछ दिनों बाद हम बारामती पर मिर्ज़ापुर जैसी फिल्म बनाएंगे. टीवी सीरियल की तरह आज भी सुबह से कई बदलाव देखने को मिले हैं. हमने बूथ समिति के नाम भी गुप्त रखे, कई तालुकाओं में ऐसा लगा जैसे हमें लोग नहीं मिले.
बारामती निर्वाचन क्षेत्र को केवल एक ही व्यक्ति जानता था, उनका नाम शरद पवार था. श्रीनिवास दादा और मैं कई जगहों पर गए और लोगों ने दरवाजे बंद कर लिए, क्योंकि लोगों को कठिनाइयों और डर का सामना करना पड़ रहा था, लेकिन लोगों ने वोट देकर इसका जवाब दिया है. लोगों को शरद पवार और हमारे लिए कष्ट सहना पड़ा. लोगों को व्हाट्सएप पर स्टेटस रखने से भी दिक्कत हो रही थी. लेकिन फिर भी, बस इतना ही, गंगा को यह मिल गया, अब लोग मदद करना चाहते हैं. किसी को कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी और बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे. उन्होंने आश्वासन दिया कि अगर चुनाव में किसी भी व्यक्ति को नुकसान होगा तो सुप्रिया सुले ढाल बनकर खड़ी रहेंगी.
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Fri, Jun 07 , 2024, 10:50 AM