Treatment of Brain Cancer : आज पूरी दुनिया कैंसर (cancer) का इलाज ढूंढ़ रही है। कैंसर एक गंभीर बीमारी (serious disease) है। कैंसर आज नहीं बल्कि ना जानें कितने सालों से मानव शरीर में बना हुआ है। इसका पता लगाने के लिए मिस्र के डाक्टरों (Egyptian doctors) की एक टीम गठित की गयी। इस टीम ने पहले के दो मानव की खोपड़ियों पर रिसर्च किया। मिस्र के डॉक्टर न केवल कैंसर का निदान और इलाज करने (treat cancer) में सक्षम थे, बल्कि जटिल सर्जरी करने में भी सक्षम थे। अध्ययन से पता चला कि एक खोपड़ी में जानलेवा कैंसर के घाव थे और दूसरे की खोपड़ी का फ्रैक्चर (Skull fracture) ठीक हो गया था। दिलचस्प बात यह है कि कैंसर से पीड़ित इन मानव खोपड़ी में पेरिमॉर्टम कट के निशान भी दिखे, जिससे पता चलता है कि इन व्यक्तियों की सर्जरी या शव परीक्षण हुआ होगा।
ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी की गई
फ्रंटियर्स इन मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित शोध का मानना है कि ये दोनों खोपड़ियां प्राचीन मिस्र की उन्नत शल्य चिकित्सा पद्धतियों के बारे में बताती हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि खोपड़ी की हड्डी टूटने वाला व्यक्ति शायद बच गया होगा। यदि हां, तो इससे पता चलता है कि मिस्र के चिकित्सक सिर की गंभीर चोटों का इलाज करने में सक्षम थे। कैंसर खोपड़ी पर कटे निशानों की व्याख्या करना अधिक कठिन है, लेकिन वे संकेत देते हैं कि मिस्रवासी ट्यूमर को हटाने के लिए किसी प्रकार की सर्जरी कर रहे थे।
जटिल सर्जरी करने में भी सक्षम
यह शोध महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्राचीन मिस्र की चिकित्सा की प्रगति के बारे में नए तथ्य उजागर करता है। इससे पता चलता है कि मिस्र के डॉक्टर न केवल कैंसर का निदान और इलाज करने में सक्षम थे, बल्कि जटिल सर्जरी करने में भी सक्षम थे।
अतीत में कैंसर की भूमिका को जानना
ट्यूबिंगन विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता और पेपर के पहले लेखक तातियाना टोंडिनी ने कहा, "हम अतीत में कैंसर की भूमिका को समझना चाहते थे, प्राचीन काल में यह बीमारी कितनी प्रचलित थी और प्राचीन समाज ने इस विकृति पर कैसे प्रतिक्रिया दी थी।"
कैंसर की वृद्धि को कम करने का प्रयास किया जा रहा है
शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्हें इनमें से एक खोपड़ी में बड़े घाव मिले हैं जो असामान्य ऊतक वृद्धि का संकेत देते हैं। खोपड़ी के चारों ओर कई अन्य छोटे घाव भी थे जो दर्शाते हैं कि यह मेटास्टेसिस हो गया था। टीम ने इनमें से प्रत्येक घाव के आसपास चाकू के निशान भी देखे, जैसे कि किसी ने जानबूझकर कैंसर के विकास को काटने की कोशिश की हो।
जाविक के अनुसार, उन्होंने जिन खोपड़ियों की जांच की, वे कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के डकवर्थ कलेक्शन से हैं। पहला 2687 और 2345 ईसा पूर्व के बीच 30 से 35 वर्ष की उम्र के एक पुरुष का था और दूसरा 663 और 343 ईस्वी के बीच 50 वर्ष से अधिक उम्र की एक महिला का था।
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Wed, Jun 05 , 2024, 11:48 AM